भोपाल: सूर्य पुत्र और न्याय के देवता शनिदेव की जयंति 10 जून को है. इस दिन एक विशेष संयोग भी देखने को मिलेगा जो अद्भुत है. ज्येष्ठ मास (Jyestha Maas) की अमावस्या (Amavsya) तिथि को सूर्य और शनि का ऐसा योग बनेगा जो इससे पहले 148 वर्ष पूर्व देखने को मिला था. दरअसल, शनि जयंती (Shani Jayanti) अर्थात शनि जन्मोत्सव के दिन ही साल का पहला सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) पड़ रहा है.
ये विरोधाभास ही है कि एक तरफ शनिदेव को दण्डाधिकारी और कलयुग के न्यायाधीश कहा जाता है तो दूसरी ओर ज्योतिष में शनि को पापी ग्रह भी कहा जाता है. माना जाता है कि शनि के अशुभ प्रभावों की वजह से व्यक्ति का जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है. Shani dev शत्रु नहीं बल्कि संसार के सभी जीवों को उनके कर्मों का फल प्रदान करते हैं. दरअसल, शनि देव दंड के विधान के तहत आपके कर्मों के आधार पर फल देते हैं, इसके तहत यदि आपके द्वारा गलत कर्म किए गए हैं तो शनि भगवान उसका दंड आपको देंगे। वहीं माना ये भी जाता है कि शनिदेव आशीर्वाद के फलस्वरूप आपको वो सब भी देते हैं, जो आपके भाग्य में तक नहीं होता। सप्ताह में जहां इनका दिन शनिवार माना गया है।
मां काली और रामभक्त हनुमान से ऐसा है नाता?
सप्ताह में शनिवार के दिन के कारक देव जहां शनिदेव माने जाते हैं। वहीं माता काली को शनि ग्रह को संचालन करने वाली देवी माना जाता है। शनि के अशुभ प्रभावों की वजह से राजा भी रंक बन सकता है. शनि देव के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए व्यक्ति को हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. धार्मिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी के भक्तों पर शनि की बुरी नजर नहीं पड़ती है. हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ और राम नाम का सुमिरन करें.
कोरोना काल में ऐसे मनाएं शनिदेव को
पिछले एक साल से कोरोना के कहर से पूरी दुनिया जूझ रही है. विगत वर्ष की ही तरह इस बार भी Corona Pandemic के चलते शनि जयंती पर भक्त मंदिर कम ही जा सकेंगे. ऐसे में जानकारों के अनुसार घर पर भी शनि पूजन से शनि देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है. शनि चालीसा का पाठ और शनि मंत्रों का जाप करें. पूजा के दौरान तेल का दीपक काले तिल डाल कर जलाएं. दान पुण्य का विशेष दिन होने के चलते इस दिन अपने आसपास के गरीबों को भोजन कराएं, वस्त्र आदि का दान करें. यदि घर के पास में ही पीपल का पेड़ हो तो वहां भी तेल का दीपक जलाएं।
क्या है पूजा का समय