भोपाल। टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश को बाघों की निगरानी के लिए हाथियों की जरूरत है. यहां बाघों की निगरानी के लिए 50 से ज्यादा पालतू हाथियों की जरूरत है, लेकिन अभी प्रदेश में सिर्फ 31 हाथी ही उपलब्ध हैं. हाथियों की कमी को पूरा करने के लिए वन विभाग राजस्थान और अंडमान से हाथी मंगाने की कोशिश कर रहा है. वन्य प्राणी विषेशज्ञों के मुताबिक बाघों की निगरानी के लिए हाथियों की कमी पूरी करना बेहद जरूरी है. वैसे भी प्रदेश में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में ट्रेंड हाथियों की संख्या बढ़ाया जाना बहुत जरूरी है.
क्यों जरूरत है हाथियों की
देश में सबसे ज्यादा 526 बाघ मध्य प्रदेश में मौजूद हैं. इसलिए राज्य को टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है. पिछले साल हुई बाघों की गिनती के समय शावकों को गिनती में शामिल नहीं किया गया था. यही वजह है कि इस साल होने जा रही गिनती में यह संख्या 700 तक पहुंच सकती है. लेकिन चिंता की बात है कि जिस तरह प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ रही है, तो वहीं बाघों की मौत के आंकड़ें भी बढ़ रहे हैं.
- पिछले एक साल के दौरान प्रदेश में 35 बाघों की मौत हो चुकी है. इसमें से 20 बाघों की मौत नेशनल पार्कों में हुई है. जबकि 15 बाघों की मौत सामान्य हुई, जो वन मंडलों और सेंचुरी में हुई है.
- वर्चस्व की लड़ाई में बाघ अपनी जान गंवा रहे हैं. प्रदेश में शिकारी भी सक्रिय हैं. बाघों के शिकार के मामले भी सामने आ रहे हैं.
- पिछले दिनों पन्ना टाइगर रिजर्व में युवा बाघ हीरा का शिकारियों ने शिकार किया. बताया जाता है शिकारियों ने बाघ को मारने के बाद उसकी खाल उतार ली थी.
- लगातार बाघों की निगरानी के लिए पालतू हाथियों की जरूरत होती है. घने जंगल में हाथियों से निगरानी आसान होती है. ऐसे में गश्ती दल और वन्य प्राणियों के बीच संघर्ष को भी टालना आसान होता है.
ऐसे आसान होती है बाघों की निगरानी
वन्य प्राणी एक्सपर्ट और रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी डाॅ. सुदेश बाघमारे बताते हैं कि कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं जब किसी घायल बाघ को रेस्क्यू करने में पालतू हाथी की बेहद जरूरत महसूस होती है. इसी तरह कई बार बाघ वन सीमा से बाहर निकलकर ग्रामीण इलाकों के आसपास पहुंच जाते हैं,.ऐसे में समस्या तब और बढ़ जाती है, जब बाघ किसी ग्रामीण पर हमला कर देते हैं.इस स्थिति में हाथियों की मदद से ही बाघों को रेस्क्यू किया जाना आसान होता है. प्रदेश में हाथियों की कमी को पूरा करने के लिए लंबे समय से कोशिश की जा रही है. भोपाल के आसपास ही करीब डेढ़ दर्जन बाघों का मूवमेंट है. कई बार बाघ रिहायशी क्षेत्रों तक पहुंच जाते हैं. ऐसे में बाघों को रिहायशी इलाकों से दूर रखने के लिए हाथी की जरूरत होती है.
बाघों की निगरानी के लिए कम हैं हाथी
वन्य प्राणी विषेशज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे कहते हैं, कि वन विभाग के पास करीब 50 पालतू हाथी हैं. लेकिन प्रदेश में अभी मुश्किल से 35 हाथी ही मौजूद हैं. इनमें से भी कई हाथी बुजुर्ग हो गए हैं. वन विभाग लंबे समय से हाथियों की कमी को पूरा करने के लिए लंबे समय से कोशिश करने में जुटा है. लेकिन अब तक प्रदेश में हाथियों की इस कमी को पूरा नहीं किया जा सका है.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
वन विभाग के मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षण आलोक कुमार के मुताबिक हाथियों को लाने की लंबे समय से कोशिश की जा रही है. हालांकि हाथियों की कमी को देखते हुए सरकार ने समिति बनाई है, जो जल्द ही इसको लेकर फैसला करेगी. कुछ हाथियों को सफारी का प्रशिक्षण दिया गया है. अभी इनका उपयोग बांधवगढ़ में किया जा रहा है.
5 सालों में 140 बाघों की मौत