भोपाल। रविवार को शहर में एक हजार से ज्यादा जगहों पर होलिका दहन होगा. इस बार होलिका दहन के लिए गौ काष्ठ और कंडों का उपयोग किया जा रहा है. राजधानी की सबसे प्रमुख सामाजिक संस्था हिंदू उत्सव समिति के आह्वान पर शहर की सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं ने भी इस बार गौ काष्ठ से होलिका दहन में सहभागिता दिखाई है. कंडों और गोबर से बनी लकड़ियों यानि गौ काष्ठ से होली जलाने की शुरुआत कुछ सालों पहले हो चुकी है. इसके जरिए पेड़ों को कटने से बचाने का भी काम हो रहा है.
इस तरह बनाई जाती है गौ काष्ठ
गौ काष्ठ बनाने वाली मजदूर लीला बाई के अनुसार गोबर में पानी मिलाकर इसे फावड़े से मिलाया जाता है. फिर इसे मशीन में डालते हैं. इसके बाद गौ काष्ठ को सुखाने के लिए छोड़ देते हैं. एक-दो दिन धूप में सूखने पर गौ काष्ठ बिक्री के लिए तैयार हो जाती है. इसे दो आकारोंं गोलाकार औऱ चौकोर रूप में तैयार किया जाता है.
700 रुपए क्विंटल है कीमत
हलाली डेम के पास स्थित ब्रजमोहन रामकली गौरक्षण केंद्र के प्रबंधक सुरेश योगी ने बताया, कि केंद्र में एक दिन में 450 नग गौ काष्ठ तैयार किए जाते हैं. एक क्विंटल गौ काष्ठ की कीमत 700 रुपए है. इसे बनाने के लिए गौरक्षण केंद्र में दो मशीनें लगाई गई हैं. इसके साथ ही पांच से छह मजदूर इसे बनाने के लगे रहते हैं. बारिश के चार महीनों को छोड़कर साल भर गौ काष्ठ का जारी रहता है. इस गौ शाला में करीब 1100 गायें हैं. भोपाल और आसपास के इलाकों में अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाटों में भी यहां से गौ काष्ठ की सप्लाई की जाती है.