नईदिल्ली/भोपाल।देश की दिग्गज नेता और विदिशा से पूर्व सांसद सुषमा स्वराज का निधन हो गया है. पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से देश भर में शोक की लहर है. सुषमा स्वराज ने 67 साल की उम्र में दिल्ली स्थित AIIMS में आखिरी सांस लीं.
सुषमा स्वराज के निधन की खबर जिसने भी सुनी एक पल के लिए तो किसी को यकीन भी नहीं हुआ. अचानक देश की इतनी बड़ी महिला नेत्री के निधन की खबर से सब स्तब्ध हैं. हरियाणा के अंबाला में जन्मी सुषमा स्वराज का नाम देश की दिग्गज महिला नेत्रियों में शुमार था. सुषमा के पिता का नाम हरदेव शर्मा और माता का नाम लक्ष्मी देवी था. उनके पिता खुद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सक्रिय सदस्य थे. लिहाजा सुषमा का लगाव भी बचपन से ही राजनीति की तरफ हो चला.
सुषमा स्वराज का सियासी सफर सुषमा स्वराज ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गई थीं. सुषमा स्वराज भारतीय संसद की पहली और एकमात्र ऐसी महिला सदस्य थीं, जिन्हें आउटस्टैंडिंग पार्लिमैण्टेरियन सम्मान मिला.
सुषमा स्वराज के नाम कई कीर्तिमान हैं, जिसे अब देश याद करेगा.1977 में जब वह 25 साल की थीं, तब वह भारत की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी बनीं.1977 से 1979 तक सामाजिक कल्याण, श्रम और रोजगार जैसे 8 मंत्रालय मिले थे. 27 साल की उम्र में 1979 में वह हरियाणा में जनता पार्टी की राज्य अध्यक्ष बनी थीं. इंदिरा गांधी के बाद सुषमा स्वराज दूसरी ऐसी महिला थीं, जिन्होंने विदेश मंत्री का पद संभाला था. बीते चार दशकों में वे 11 चुनाव लड़ीं, जिसमें तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़ीं और जीतीं. सुषमा सात बार सांसद रह चुकी थीं. एनसीसी की होनहार छात्रा ने 25 साल की उम्र में हरियाणा सरकार में मंत्री बनकर एक कीर्तिमान रचा. लेकिन ये महज एक शुरुआत थी.
सुषमा स्वराज पहली बार 1977 में अंबाला सीट से विधायक चुनी गई थी. चौधरी देवीलाल की सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुकी है. वे सबसे कम उम्र में कैबिनेट मंत्री बनी थी. 1990 में वे राज्यसभा के लिए चुनी गई थी. 1996 में दक्षिण दिल्ली संसदीय से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीती थीं और 13 दिन की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार और फुलटाइम सरकार में भी सूचना प्रसारण मंत्री रही है.