भोपाल।भोपाल यूं तो एक प्राचीन और ऐतिहासिक शहर है. जहां के जर्रे-जर्रे में इतिहास की कहानियां दर्ज हैं. नावाबी शासन का गवाह रहा यह खूबसूरत शहर अपनी अपनी इमारतों के लिए भी मशहूर रहा है. जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. पुराने भोपाल के शाहजहांनाबाद इलाके में बना गोलघर भी ऐसी ही एक धरोहर है. जिसे नवाबी शासनकाल में बनवाया गया था. जिसे भोपाल की विरासत मानकर सहेजा गया है.
भोपाल के गोलघर की यह इमारत नवाबी शासन में गुलशन-ए-आलम के नाम से जानी जाती थी. इसका निर्माण नवाब शाहजहां बेगम द्वारा सन 1868 से 1901 के मध्य में करवाया गया था. यह भवन गोलाकार भवन दो दर्जन दरवाजों से युक्त है, इसके गोल भाग में सीढ़ियां हैं जो ऊपर की ओर जाती हैं. ऊपरी कक्ष में गुम्बद है, स्तंभ गोल व दरवाजे अलंकृत हैं. गुम्बद में बैंगनी, पीला, नांरगी, लाल, भूरा व हरे रंगों के उपयोग से चित्रकारी की गई हैं. जो देखते ही बनती है.
शाहजहां बेगम का कार्यालय था गोलघर
सबसे पहले गोलघर में शाहजहां बेगम का कार्यालय हुआ करता था. वे इस कार्यालय में महिलाओं को नक्काशी और जरदोजी का काम सिखाती थी. शाहजहां बेगम का यह वही दौर था जब भोपाल के प्रसिद्ध बटुए ट्रेंड में आए. बेगम इसमें महिलाओं की समस्याएं भी सुनती थीं और गरीबों को दान पुण्य भी यहीं से किया करती थीं.
चिड़िया बनाती थीं घोंसला