भोपाल। मध्यप्रदेश में महिला स्व सहायता समूह को मदद करने के लिए प्रदेश सरकार राज्य स्तरीय विपणन महासंघ बनाने जा रही है. ये विपणन महासंघ महिला स्व सहायता समूह को बताएगा कि किन-किन क्षेत्रों में समूह काम कर सकते हैं. साथ ही समूह द्वारा तैयार किए जाने वाले प्रोडक्ट को मार्केट उपलब्ध कराने का काम भी किया जाएगा. आज मुख्यमंत्री शिरवाज सिंह चौहान ने इस बात की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार केंद्रीयकृत बैंकों के माध्यम से महिला स्व सहायता समूह को हर माह डेढ़ सौ करोड़ रुपए की आर्थिक मदद करेगी. इन बैंकों के माध्यम से कुल 14 सौ करोड़ रुपए की राशि महिला स्व सहायता समूह को वितरित की जाएगी. इस राशि के एवज में बैंक समूहों से चार परसेंट ब्याज दर लेंगे, बाकी ब्याज राज्य सरकार भरेगी.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मनरेगा से की 400 करोड़ रुपए की व्यवस्था
सीएम शिवराज ने बताया कि पहले महिला स्व सहायता समूह को 300 करोड़ रुपए देने का सरकार ने निर्णय लिया था, लेकिन बाद में बैंकों की बैठक बुलाकर समूहों को 1400 करोड़ रुपए देने का निर्णय किया गया है. स्व सहायता समूह में और कौन-कौन से काम किए जा सकते हैं और इनका मार्केट लिंकिंग और ब्रांडिंग कैसे हो सकती है. इसको लेकर प्रदेश सरकार संस्थान स्थापित करेगी. जो इस मामले में रिसर्च करेगी और महिला स्व सहायता समूहों की मदद करेगी. मुख्यमंत्री ने कहा है कि मनरेगा से 400 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है, वहीं आदिवासी विभाग की तरफ से 70 करोड़ रुपए की व्यवस्था की जाएगी. प्रदेश में स्व सहायता समूह से 33 लाख महिलाएं जुड़ी हैं. प्रदेश सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि आने वाले 3 सालों में 33 लाख महिलाओं को और जोड़ा जाए.
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भी जुड़ेंगे महिला स्व सहायता समूह
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भी महिला स्व सहायता समूह को जोड़ा जाएगा. सफलतम काम करने वाले महिला स्व सहायता समूह की केस स्टडी दूसरों को बताई जाएगी. इसी तरह सरकारी काम महिला स्व सहायता समूह को उपलब्ध कराने के लिए भी सरकार मैकेनिज्म तैयार कर रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ियों में सप्लाई होने वाले रेडी टू ईट खाद्य पदार्थ स्व सहायता समूह द्वारा बनाए जाने का फैसला पिछली सरकार में किया था, उसका नतीजा है कि प्रदेश में अब ऐसी पांच फैक्ट्रियां चल रही हैं. अब बाकी स्व सहायता समूह भी रेडी टू ईट खाद्य पदार्थ बनाएंगी. इसी तरह स्कूल यूनिफार्म का काम भी स्व सहायता समूह को सौंपा गया है, इस मामले में स्थानीय कलेक्टर किसी तरह का दखल नहीं देंगे. मुख्यमंत्री ने कहा है कि स्व सहायता समूह जो भी काम करना चाहेगी, सरकार उसमें मदद करेगी. बड़े-बड़े उद्योगपति तो डिफाल्टर हो जाते हैं, पैसा भी नहीं देते, लेकिन महिला स्व सहायता समूह 90 फीसदी रीपेमेंट करती है.