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खुद कचरा हो गईं स्मार्ट डस्टबिन, सरकार को लगा करोड़ों का पलीता

भोपाल को स्वच्छ बनाने के लिए योजनाएं सही तरीके से लागू नहीं होती, इस कारण तैयारियों के बाद भी भोपाल पिछड़ता जा रहा है. इसी का उदाहरण है कि 2 साल पहले स्मार्ट डस्टबिन लगाने का फैसला लिया गया था, लेकिन अब यह योजना बर्बाद होती दिखाई दे रही है.

Smart dustbin in Bhopal spoiled due to lack of keepers
खुद कचरा हो गईं स्मार्ट डस्टबीन

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Published : Nov 25, 2020, 6:24 PM IST

भोपाल।शहर को स्वच्छ बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिसमें करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. इसके बावजूद भी शहर नंबर वन नहीं आया है. इसकी सबसे बड़ी वजह है योजनाएं जो सही तरीके से लागू नहीं होती. भोपाल को कचरा मुक्त बनाने के उद्देश्य से 2 साल पहले स्मार्ट डस्टबिन लगाने का फैसला लिया गया था, लेकिन अब यह योजना बर्बाद होती दिखाई दे रही है.

खुद कचरा हो गईं स्मार्ट डस्टबीन

5 करोड़ की योजना बर्बाद

राजधानी को कचरा मुक्त बनाने के उद्देश्य से 2 साल पहले स्मार्ट डस्टबिन लगाने का प्रोजेक्ट लाया गया था, लेकिन अब ये योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. दो साल पहले 130 स्मार्ट डस्टबिन लगाने का फैसला लिया गया था, जिसमें से 90 स्मार्ट डस्टबिन राजधानी के अलग-अलग इलाकों में लगाई भी गई है, जिनका खर्च 5 करोड़ से ज्यादा का है, लेकिन इसके सेंसर खराब पड़े हैं, जिस कारण उसके भर जाने की सूचना कंट्रोल रूम को नहीं मिल पाती और लोग कचरा बाहर फेंक देते हैं.

स्मार्ट डस्टबीन

क्या थी स्मार्ट डस्टबिन

जब डस्टबिन को लगाया जा रहा था तब दावा किया गया था कि कचरा जैसे ही डस्टबिन में पूरी तरह भर जाएगा, स्मार्ट डस्टबिन पर लगा सेंसर इसकी जानकारी कंट्रोल रूम को दे देगा और इसके बाद कचरा गाड़ी आकर डस्टबिन को खाली कर देगी. लेकिन 5 करोड़ के खर्च से लगाई गई ये डस्टबिन किसी काम नहीं आ रही हैं.

स्मार्ट डस्टबीन

स्मार्ट डस्टबिन सेल आउट करने की तैयारी

रखरखाव नहीं होने के कारण डस्टबिन बदहाल हो गए हैं. डस्टबिन में लगा सेंसर टर्की में मिलता है. स्मार्ट सिटी के सीईओ आदित्य सिंह का कहना है कि सेंसर खराब है जिन्हें वो नहीं मंगा पाए. अब स्मार्ट सिटी इन डस्टबिन को सोसायटियों को सेल आउट करने की भी तैयारी कर रहा है.

भोपाल को स्वच्छ बनाने की मुहिम फेल

स्मार्ट डस्टबिन से आम जनता परेशान

जिन इलाकों में स्मार्ट डस्टबिन लगाए गए हैं, वहां के स्थानीय रहवासी अब इससे परेशान हैं. स्थानीय रहवासियों का कहना है कि कचरा उठाया नहीं जाता है, जिससे आसपास गंदगी होती है. जब डस्टबिन लगाया गया था तो अधिकारियों का कहना था कि इससे इलाका साफ सुथरा रहेगा, लेकिन अब सब उल्टा हो रहा है.

सरकार को लगा करोड़ो का पलीता

भोपाल स्वच्छता रैंकिंग में सातवें नंबर पर है. राजधानी कभी भी पहले नंबर पर नहीं आया है. हर साल अधिकारी दावा करते हैं कि अगले साल नंबर वन आएंगे लेकिन जिस तरह से करोड़ों रुपए की योजनाओं को बर्बाद कर दिया जाता है. उससे सवाल उठना लाजमी है क्या ऐसे भोपाल नंबर वन आएगा.

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