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जिस भावांतर योजना को शिवराज ने किया बंद, उसी योजना को देश के देश के अर्थशास्त्रियों ने बताया सर्वोत्तम

मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार ने 2017 में  जिस भावांतर योजना का ढिंढोरा पीटा, और बाद में बंद कर दिया. लेकिन अब यही योजना देश के बड़े-बड़े इकोनॉमिस्ट्स को खूब रास आ रही है. इंडियन इकोनामी एसोसिएशन के अधिवेशन में आए अर्थशास्त्रियों ने भावांतर योजना को किसानों की आय बढ़ाने के लिए सबसे बेहतरीन योजना करार दिया है.

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Published : Dec 25, 2021, 5:47 PM IST

Indian Economy Association Convention in bhopal
भोपाल में इंडियन इकोनामी एसोसिएशन अधिवेशन

भोपाल। इंडियन इकोनामी एसोसिएशन के राष्ट्रीय अधिवेशन (Indian Economy Association Convention in bhopal) में अर्थशास्त्रियों ने एमपी की शिवराज सरकार की पुरानी योजनाओं की तारीफ की है. अर्थशास्त्रियों ने बताया कि मध्य प्रदेश बीमारू राज्य था, लेकिन अब अग्रणी राज्य की श्रेणी में शामिल होने की राह पर है. राज्य की ग्रोथ में भावांतर योजना का बड़ा हाथ रहा है. अधिवेशन में इसकी जमकर तारीफ की गई.(MP bhavantar scheme)

मध्यप्रदेश में किसानों की फसल को खरीदने और उपज का अच्छा रेट देने के लिए 2017 में शिवराज सरकार ने भावांतर योजना की शुरूआत की थी. लेकिन बाद में योजना का फायदा किसानों को नहीं मिल पाने का हवाला देते हुए इसे बंद कर दिया गया. लेकिन अब देशभर के अर्थशास्त्री भावांतर योजना को शिवराज सरकार की सफलतम योजनाओं में से एक कह रहे हैं.

क्या थी भावांतर योजना
किसान कृषि उपज मंडी में बेची गई फसल, अनुसूचित फसल की विक्रय दर न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम, लेकिन राज्य सरकार द्वारा घोषित मंडियों की मॉडल विक्रय दर से ज्यादा हुई, तो न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसान द्वारा विक्रय मूल्य के अंतर की राशि किसान के खाते में दी जाती थी. जो कि मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना के पोर्टल पर अपलोड होती थी.

क्यों बंद कर दी गई भावांतर योजना
योजना के लागू होते ही राज्य की मंडियों में सोयाबीन और उड़द के भाव पिछले 3 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंचे. इसके बाद मंडी में न्यूनतम मूल्य का खामियाजा उन किसानों को भुगतना पड़ा जिन्होंने भावांतर योजना में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की जटिलता को देखकर रजिस्टर नहीं कराया था. मध्य प्रदेश के 45 फीसदी किसान भावांतर योजना में रजिस्टर्ड नहीं हो पाए थे, इसके चलते उन्हें बहुत नुकसान हुआ था. योजना के बंद होते ही सरकार भाव के अंतर की बजाय समर्थन मूल्य पर किसान की फसल खरीद रही है.

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