भोपाल।मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद शिवराज सरकार पूर्व की कमलनाथ सरकार के दौरान लिए गए फैसलों को एक- एक कर पलट रही है. अभी तक शिवराज सरकार ने करीब एक दर्जन फैसलों को या तो पलट दिया है, या फिर योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल चुकी है. अब सीएम शिवराज ने कमलनाथ सरकार में तैयार की गई कृषक बंधु योजना और ग्राम युवा शक्ति समिति बनाने की योजना को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है. कांग्रेस का आरोप है कि, आगामी उपचुनाव और निकाय चुनाव को देख सरकार ऐसे निर्णय ले रही है.
कमलनाथ के दर्जन भर फैसलों पर शिवराज कैंची, कुछ बंद, तो कुछ को पलटा गया
शिवराज सरकार पूर्व की कमलनाथ सरकार के दौरान लिए गए फैसलों को एक- एक कर पलट रही है. अभी तक करीब एक दर्जन फैसलों को या तो पलट दिया है, या फिर योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.
बीजेपी, कांग्रेस में जारी है आरोप- प्रत्यारोप
पूर्ववर्ती सरकार के फैसलों को लगातार पलटे जाने को लेकर कांग्रेस हमलावर है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अब्बास हफ़ीज़ ने आरोप लगाया है कि, 'बीजेपी राजनीतिक द्वेष और आगामी चुनाव को ध्यान में रखकर कमलनाथ सरकार के फैसलों को पलट रही है, जबकि इन योजनाओं का लाभ प्रदेश की जनता को मिलना था'. उधर बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता राहुल कोठारी के मुताबिक पूर्ववर्ती सरकार ने जो गलतियां की थी, प्रदेश सरकार उसमें सुधार कर रही है.
दो फैसलों से बीजेपी को निकाय चुनाव में मिलेगा फायदा!
प्रदेश की सत्ता में आने के बाद शिवराज सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट से पूर्ववर्ती सरकार के फैसलों को बदलना शुरू कर दिया. शिवराज सरकार ने पहली ही कैबिनेट में मेयर और पंचायतों का कार्यकाल 1 साल बढ़ा दिया. कमलनाथ सरकार ने नगर निगम के पार्षदों और महापौर का कार्यकाल खत्म होने के बाद प्रशासकों की नियुक्ति कर दी थी. वहीं नगर निगम महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष को लेकर भी कमलनाथ सरकार अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव के फैसले को शिवराज सरकार ने पलट दिया. कमलनाथ सरकार ने नगरपालिका अधिनियम में संशोधन कर प्रदेश में 20 साल बाद अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर, अध्यक्ष का चुनाव कराने का फैसला किया था. जाहिर है, इसमें हुए बदलाव का आगामी निकाय चुनाव में बीजेपी को फायदा मिलेगा.
एक योजना बदली, एक ठंडे बस्ते में
शिवराज सरकार ने पंचायतों में ग्राम युवा शक्ति समिति बनाने की पूर्ववर्ती सरकार के फैसले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. कांग्रेस सरकार ने सभी पंचायतों में 11 सदस्यीय समिति बनाने का फैसला किया था, जिसे गांव में नशा मुक्ति को बढ़ावा देने से लेकर विभिन्न योजनाओं का ग्रामीणों को लाभ दिलाने का जिम्मा सौंपना था. शिवराज सरकार ने पूर्व की कमलनाथ सरकार के 2 पंचायत पर एक कृषक बंधु नियुक्त करने की योजना को भी बदल दिया, इनके स्थान पर शिवराज सरकार ने उपचुनाव के पहले 26 हजार कृषक मित्र तैनात करने की योजना तैयार की है.
कमलनाथ की महत्वाकांक्षी योजना निशाने पर
कमलनाथ की महत्वाकांक्षी योजना, जय किसान ऋण माफी योजना पर शिवराज सरकार पहले से ही हमलावर है. सरकार इस योजना के जरिए किसानों को ठगे जाने का आरोप लगाते हुए पूर्ववर्ती सरकार पर निशाना साधती रहती है. सरकार के तेवरों से साफ है कि, इस योजना पर सरकार आगे कदम नहीं बढ़ाएगी. वर्ष 2020-21 के बजट में कर्ज माफी के लिए बजट रखा जाएगा या नहीं यह मुख्यमंत्री ही तय करेंगे. फिलहाल कृषि सहकारिता और वित्त विभाग ने अब तक इसके लिए कोई पहल नहीं की है. उधर कमलनाथ सरकार की इंदिरा ज्योति योजना के स्वरूप को बदलकर इसे फिर से संबल योजना से जोड़ दिया गया है.
ये पांच फैसले पलटे गए
- कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को 5 फीसदी से बढ़ाकर 17 फीसदी किए जाने का फैसला.
- 22 नगर परिषदों को पंचायत क्षेत्र में शामिल करने का फैसला.
- कृषि कलाकार परिषद के गठन के फैसले को पलटा, परिषद का गठन 5 साल के लिए किया गया था.
- चाचौड़ा नागदा और मैहर को नए जिले बनाने का फैसला फिलहाल अधर में.
- कमलनाथ सरकार की पानी के अधिकार योजना भी फिलहाल अधर में.