भोपाल।बेहतरीन शेरों को रचने वाले बशीर बद्र साहब को उनकी पीएचडी की डिग्री मिल गई है. अब आप सोच रहे होंगे कि उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें कैसे और क्यों पीएचडी की डिग्री दी गई है, तो आपको बता दें कि बशीर बद्र साहब ने डॉक्टरेट की उपाधि साल 1973 में ही प्राप्त कर ली थी, लेकिन वह व्यक्तिगत तौर पर इसे लेने नहीं जा सके थे. अब अलीगढ़ मुस्लिम युनीवर्सिटी ने उनकी डिग्री उनके घर भिजवा दी है.
बशीर बद्र को मिली AMU से डिग्री जैसे ही बशीर बद्र सहाब को डिग्री मिली उसके बाद उनका चेहरा मासूमिसत से सराबोर था. उन्होंने फौरन डिग्री को गले से लगा लिया. मानों यादों के झरोको से जिंदगी की किताब से एक पन्ना जो कही खो गया था. वो आंखों के सामने आकर ताजा कर रहा हो.
1973 में शायर बशीर बद्र ने अपनी थीसिस एएमयू में समिट की थी. इसके बाद कभी डिग्री लेने नही आ सके. इसके बाद उनकी पत्नी ने कोशिश शुरु की. AMU के PRO की मदद से ये कोशिश रंग लाई. आखिरकार पीएचडी की डिग्री AMU ने डाक से घर भेजी. डिग्री हाथ में लेते ही शायर बशीर बद्र खिलखिला दिए.
खो चुके है स्मरण शक्ति
बता दें कि बशीर बद्र की सेहत इन दिनों काफी नासाज है. वे अपनी स्मरण शक्ति खो चुके है. कई बार एकदम से कुछ याद आने पर वे उसे दोहराने लगते हैं. वर्ष 1973 में उन्होंने आजादी के बाद की गजल का तनकीदी मुताला शीर्षक से अपनी थीसिस एएमयू में समिट की थी. पीएचडी की यह डिग्री उनकी पत्नी के प्रयासों से एएमयू ने डाक से भेजी है.