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MP SCHOOL RESPONSE REPORT: पहले दिन कहीं 50% से ज्यादा छात्र पहुंचे तो कहीं बंद रहे स्कूल, नदारद रहे शिक्षक, कम रही उपस्थिति

छोटी कक्षाओं के स्कूल खोलेने के फैसले का प्रदेश में मिलाजुला असर देखने को मिला. कहीं छात्र-छात्राएं खुश चेहरों के साथ स्कूल तो कई जगह स्कूल खाली ही पड़े रहे. राजधानी भोपाल में भी छोटी कक्षाएं संचालित करने वाले कई स्कूल बंद रहे.

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पहले दिन कहीं 50% से ज्यादा छात्र पहुंचे तो कहीं बंद रहे स्कूल,

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Published : Sep 1, 2021, 6:41 PM IST

भोपाल /इंदौर/शहडोल/ छिंदवाड़ा.मध्य प्रदेश में 1 सितंबर से 6वीं से 8 वीं कक्षा तक के स्कूल खुल गए हैं. लंबे समय बाद प्रदेश में छोटी क्लास की कक्षाएं शुरू की गईं है. इसे लेकर प्रदेश में मिलाजुला असर देखने को मिला. कहीं छात्र-छात्राएं खुश चेहरों के साथ स्कूल तो कई जगह स्कूल खाली ही पड़े रहे. राजधानी भोपाल में भी छोटी कक्षाएं संचालित करने वाले कई स्कूल बंद रहे. ईटीवी भारत ने ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में स्कूलों में कोरोना गाइड लाइन के पालन करने और छात्रों की उपस्थिति की स्थिति जानी. शहडोल, इंदौर और छिंदवाडा के स्कूलों में कई छात्रों की खासी उपस्थिति देखी गई तो कहीं छात्र तो स्कूल पहुंचे लेकिन टीचर ही नदारद थे.

भोपाल में नहीं खुले कई स्कूल

1 सितंबर से प्रदेश में छोटी क्लासों के लिए स्कूल खोले जाने के सरकार के फैसले का राजधानी के ही कई स्कूलों में पालन नहीं हुआ. कोहेफिजा इलाके के स्कूल तय वक्त तक खुले ही नहीं थे, जबकि कई स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बेहद कम रही. जो स्कूल खुले थे उनमें कोरोना गाइड लाइन का पालन किया जा रहा था और छात्रों से पेरेंट्स के अनुमति प्रमाणपत्र भी मांगे गए. स्कूलों में छात्रों की बेहद कम उपस्थिति देखते हुए मध्य प्रदेश पालक संघ ने सरकार से छोटी कक्षाओं के स्कूल खोले जाने के फैसले पर एक बार फिर पुनर्विचार करने की मांग की है. संघ का कहना है कि स्कूलों में सुरक्षा के अभी पर्याप्त इंतजाम नहीं है.

100% वैक्सीनेटेड ग्राम पंचायत में स्कूल पहुंचे 50% स्टूडेंट्स

मध्य प्रदेश में आज से मिडिल स्कूल खोल दिए जाने के साथ ही छात्र स्कूलों पर पढ़ाई करने के लिए पहुंचने लगे. ईटीवी भारत ने शहडोल के ग्रामीण क्षेत्र की जमुई ग्राम पंचायत के स्कूलों का हाल जाना जिस पंचायत को 100% वैक्सीनेटेड होने पर सीएम शिवराज सिंह भी बधाई दे चुके हैं. जब हम शहडोल जिला मुख्यालय से सटे जमुई ग्राम पंचायत में पहुंचे तो यहां के स्कूल में कक्षाएं लगी हुईं थीं और बच्चों की अटेंडेंस भी 50 फीसदी के करीब नजर आई. जब हम ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों पर पहुंचे तो वहां पर भी छात्रों में काफी उत्सुकता देखी गई और कक्षाओं में काफी संख्या में छात्र पहुंचे हुए थे.सभी कक्षाओं में टीचर भी उपस्थित मौजूद थे. स्कूल के प्रिंसीपल संतोष विश्वकर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि-

लोगों को इस बात की जानकारी पहले दे दी गई थी कि स्कूल 50% की छात्र संख्या के साथ खोले जाएंगे, बावजूद इसके पहले ही दिन काफी संख्या में छात्र स्कूल पहुंचे. इसके बाद कुछ छात्रों को वापस भी भेजना पड़ा, हालांकि ऐसा करने से स्टूडेंट काफी निराश दिखाई दिए. जिसके बाद उनके पेरेंट्स की समझाया गया कि आज जिन बच्चों को वापस भेजा जा रहा है उन्हें कल पढ़ाया जाएगा.
संतोष विश्वकर्मा , प्राचार्य, मिडिल स्कूल, ग्राम पंचायत, जमुई

जमुई स्थित मिडिल स्कूल में काफी संख्या में छात्र पहुंचे हुए थे. आदिवासी बहुल इस एरिया में ऐसा भी देखा गया कि पेरेंट्स खुद अपने बच्चों को लेकर स्कूल पहुंचे थे. स्कूलों में भी कक्षा 6 से कक्षा 8 तक की क्लास लगी हुई थी. स्कूल टीचर रंजना मिश्रा ने बताया कि लंबे समय बाद स्कूल खुलने से छात्रों में भी खासा उत्साह था.

लंबे समय बाद स्कूल खुला है, कोरोना की वजह से लगभग 2 साल स्कूल बंद रहा और अब जब स्कूल खुला है तो बच्चों में भी पढ़ाई को लेकर उत्साह है. वे क्लास में पहुंच रहे हैं . बच्चों की तरफ से बहुत ही पॉजिटिव रिस्पांस है.
रंजना मिश्रा,शिक्षिका

इंदौर के स्कूलों में सभी शिक्षक वैक्सीनेटेड, कम पहुंचे छात्र

प्रदेश में 1 सितंबर से छठी से आठवीं तक की भी कक्षाओं का भौतिक संचालन शुरू किए जाने बाद स्कूलों का संचालन शुरू कर दिया गया. जिला शिक्षा अधिकारी मंगेश व्यास ने बताया कि

इंदौर में 10लाख से अधिक की आबादी को वैक्सीन का पहला डोज लग चुका है. इसके आधार पर यह माना जा रहा है कि जो भी बच्चे स्कूल पहुंचे हैं उनके माता-पिता को वैक्सीन लग चुकी है. व्यास के मुताबिक स्कूलों में भी जो शिक्षक अध्यापन कार्य करा रहे हैं वे भी 100 % वैक्सीनेटेड हैं. इसके अलावा स्कूलों में कोरोना गाइडलाइन का भी सख्ती से पालन किया जा रहा है.
मंगेश व्यास, जिला शिक्षा अधिकारी, इंदौर


इंदौर में पहले दिन कम रही छात्रों की संख्या
छठी से आठवीं की कक्षाओं का संचालन की शुरुआत के पहले दिन कक्षाओं में बच्चों की संख्या काफी कम रही. कुछ स्कूलों में तो छोटी क्लासों के महज 5 बच्चे ही स्कूल पहुंचे तो कई स्कूलों में स्टूडेंट्स की अधिकतम संख्या 20 के लगभग रही. पढ़ाई करने के लिए स्कूल पहुंचे बच्चों को कक्षाओं में बैठाने के लिए राज्य शासन के निर्देशानुसार व्यवस्था की गई थी. बच्चों से उनके माता-पिता का सहमति पत्र भी लिया गया जिसके बाद ही उन्हें स्कूल में एंट्री दी गई. स्कूल संचालकों और जिला शिक्षा अधिकारी ने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में बड़ी कक्षाओं की तरह छठी से आठवीं कक्षाओं में भी छात्रों की उपस्थिति बढ़ेगी.

छिंदवाडा में बच्चे स्कूल पहुंचे, टीचर नदारद

छोटी क्लासों के लिए भी स्कूल खोलने के आदेश जारी होने के पहले दिन ईटीवी भारत की टीम छिंदवाडा के ग्रामीण इलाकों के स्कूलों का हाल जानने पहुंची. यहां कई गांवों में बच्चे तो पूरे उत्साह के साथ स्कूल पहुंचे, लेकिन टीचर ही समय से स्कूल में मौजूद नहीं दिखाई दिए. मोहखेड़ विकासखंड के तिवड़ा कामथ गांव के माध्यमिक स्कूल के 40 में से करीब 20 बच्चे स्कूल पहुंचे थे लेकिन स्कूल में मौजूद 6 टीचरों में से सिर्फ 3 टीचर ही समय पर स्कूल पहुंच सके. ईटीवी भारत की टीम को स्कूल में मौजूद देखकर खुद प्रधान अध्यापक वहां पड़े गंदगी के डेरों को हटाने के लिए झाडू लगाने में जुट गए. यहां कहीं भी कोरोना गाइड लाइन का पालन होता हुआ भी नहीं नजर आया. शिक्षकों ने पहली से पांचवी के बच्चों को घर पहुंचाया इतना ही नहीं स्कूल में गंदगी का अंबार लगा हुआ था ईटीवी भारत की टीम को देखकर खुद प्रधान पाठक हाथों में झाड़ू लेकर सफाई करते नजर आए.

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