भोपाल। मोदी सरकार अब देश के प्रमुख शहरों के बीच सी-प्लेन सेवा शुरू करने की योजना बना रही है. पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने इस योजना को जमीन पर उतारने के लिए जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. गुजरात के केवड़िया और साबरमती के बीच सी प्लेन चलाए जाने के बाद मध्यप्रदेश के बड़े जलाशयों में भी सी-प्लेन चलाने की तैयारी की जा रही है. प्रदेश में सी प्लेन चलाने के लिए खंडवा के हनुवंतियां बोट क्लब, बरगी, कोलार सहित सात जलाशयों को चिह्नित किया गया है. (mp sent proposal for sea plane to central government )
एमपी में उड़ेंगे सी-प्लेन
सी-प्लेन सेवा के लिए बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने देश के कई रूटों की पहचान की है. राज्य सरकार ने पर्यटन को गति देने के लिए सी प्लेन के लिए 7 जलाशयों को चिह्नित किया है. सरकार की कोशिश यहां सी-प्लेन चलाने की है. इसमें ग्वालियर के तिघरा डेम, इंदौर का यशवंत सागर डेम, होशंगाबाद का तवा डेम, भोपाल-सीहोर का कोलार डेम, खंडवा जिले के हनुवंतियां बोट क्लब एंड रिसोर्ट इंदिरा सागर डेम, मंदसौर जिले के हिंजाला बोट क्लब एंड रिसोर्ट गांधी सागर डेम और बरगी डेम शामिल हैं. राज्य सरकार ने सभी जलाशयों का सर्वे कर इसकी रिपोर्ट केन्द्र को भेज दी है. सी प्लेन के लिए यह जलाशय उपयुक्त हैं. राज्य सरकार ने इसका प्रस्ताव केन्द्र सरकार के विमानन विभाग को भेज दिया है. अब विभाग अपनी सी-प्लेन नीति के तहत निजी(sea plane preparations in mp) क्षेत्र से एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट(EOI) मांगेगा.
पूरी तैयारी, केन्द्र से हरी झंडी का इंतजार
बताया जा रहा है कि सी प्लेन के लिए चिह्नित किए गए सभी जलाशय हर कसौटी पर खरे उतरते हैं. यहां वाॅटर लेवल बहुत अच्छा है. पानी की लहरें भी सी प्लेन के लिए उपयुक्त हैं. ये जलाशय जल संसाधन विभाग के हैं. इन सभी जलाशयों को पर्यटन विकास निगम के सहयोग से विकसित किया जा रहा है. पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला के मुताबिक यदि मध्यप्रदेश में सी प्लेन चलते हैं तो इसका फायदा प्रदेश के पर्यटन को मिलेगा. सभी जलाशयों में पर्यटन की भरपूर संभावनाएं हैं. हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं .
70 साल पहले एमपी में चलते थे सी प्लेन
मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित तिघरा डेम में ब्रिटिश एयरफोर्स के सी-प्लेन उतरते थे. तिघरा डेम का निर्माण सिंधिया राजवंश ने कराया था. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश कंपनी के सी-प्लेन ग्वालियर में फ्यूल लेने के लिए आते थे. ग्वालियर के लाल रामजी दास वैश्य के पास से इन विमानों को केन से एयर टरबाइन फ्यूल उपलब्ध कराया जाता था.
केवड़िया से साबरमती तक उड़ा पहला सी प्लेन
देश में पहली बार गुजरात के केवड़िया और साबरमती के बीच सी प्लेन ऑपरेशन का उद्घाटन किया गया था. (sea plane to start in madhya pradesh very soon )प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल 31 अक्टूबर को इसका उद्घाटन किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती पर देश के पहले सी-प्लेन प्रोजेक्ट की शुरुआत की . पीएम मोदी ,केवड़िया से साबरमती तक जाने के लिए सी-प्लेन में सवार होकर रवाना हुए. यह सी-प्लेन अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट को केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से जोड़ता है. गुजरात के बाद देश के किन-किन बड़े जलाश्यों में सी-प्लेन चलाए जा सकते हैं, इसके लिए जलाशयों की लिस्टिंग की जा रही है.
जिन्ना-औरंगजेब समर्थकों की यूपी में खैर नहीं! सुनिए और किस-किस को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने क्या-क्या कहा
क्या होता है सी-प्लेन
- सी प्लेन को उड़ने वाली नावों के रूप में जानते हैं, क्योंकि विमान का एक हिस्सा नाव के आकार का है.
- सी प्लेन ऐसा विमान है जो पानी की सतह और हवा दोनों ही जगह आसानी से उड़ान भर सकता है.
- इसे एंफीबियस कैटेगरी वाला प्लेन कहा जाता है.
- विज्ञान के अनुसार एंफीबियन उस वर्ग को कहते हैं जो पानी और जमीन दोनों जगह रह सके.
- यह छोटे फिक्स्ड विंग वाला विमान है जो जलाशय, पथरीले उबड़-खाबड़ जमीन और घास पर भी उतर सकता है.
- सी प्लेन में पानी में लैंडिंग और टेक-ऑफ करने की क्षमता होती है.
- सी प्लेन को पानी में उतरने के लिए छह फीट की न्यूनतम गहराई की जरूरत होती है.
- उड़ान भरने के लिए कम से कम 300 मीटर के रनवे और पानी की सतह की जरूरत होती है.
- डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन की गाइडलाइन के अनुसार, कमर्शियल एयरलाइन के प्लेन के लिए दो इंजन और चार्टर्ड प्लेन के लिए एक इंजन की जरूरत होती है.
- टर्मिनल बिल्डिंग और पार्किंग स्थापित करने के लिए दो एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है.
- विमान में 14 से 19 यात्रियों को ले जाने की क्षमता है.
- इसमें लैंडिंग और टेक ऑफ के लिए फ्लोटिंग मार्कर होते हैं.