भोपाल। केंद्र सरकार की नई वाहन स्क्रैप पॉलिसी का असर मध्यप्रदेश में भी जल्द दिखाई देगा, इस पॉलिसी के तहत 20 साल पुराने निजी वाहन और 15 साल पुराने कमर्शियल वाहनों को कबाड़ यानि कंडम घोषित किया जाएगा, सबसे पहले प्रदेश के 15 साल पुराने सरकारी वाहनों पर इसका असर होगा, इसके लिए प्रदेश के परिवहन विभाग ने जानकारी जुटाने के लिए निर्देश जारी किए हैं. इसके साथ ही राजधानी भोपाल में बनने वाले जुगाड़ वाहनों पर भी ब्रेक लगेगा और ये भी स्क्रैप पॉलिसी की जद में आएंगे.
परिवहन विभाग ने 15 साल पुराने वाहनों की मांगी जानकारी
मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के उपायुक्त अरविंद सक्सेना के अनुसार परिवहन विभाग प्रदेश के विभिन्न विभागों से 15 साल पुराने वाहनों की जानकारी मंगा रहा है, सभी जिलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने जिलों में पुराने वाहनों की सूची परिवहन विभाग को भेजें, ताकि स्क्रैप पॉलिसी के तहत आगे की कार्रवाई की जा सके, कई वाहन ऐसे भी हैं, जिनका टैक्स नहीं भरा गया है, उनकी जानकारी के लिए भी निर्देशित किया गया है.
फायदे का सौदा है स्क्रैप पॉलिसी
भोपाल आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष पांडे का कहना है कि पुराने वाहनों के लिए लाई गई स्क्रैप पॉलिसी फायदे का सौदा है, क्योंकि इससे पुराने वाहन की वर्तमान में बाजार कीमत के हिसाब से देखा जाए तो उसे नए वाहन खरीदने पर फायदा ही होना है, नई पॉलिसी से प्रदूषण कम होगा और नए वाहनों की बिक्री भी होगी, जिससे सरकार को टैक्स के रूप में आमदनी भी होगी.
15 साल पुरानी कार की कीमत को इस तरह समझें
जानकारी के मुताबिक 15 साल पुरानी 4 लाख कीमत वाली कार बाजार में वर्तमान वैल्यू के हिसाब से 80 से 90 हजार रुपए तक में जाएगी, अब यदि कोई व्यक्ति स्क्रैप पॉलिसी के नियमों के तहत मिली छूट के साथ 10 लाख रुपए की नई कार खरीदता है, तो उसे तकरीबन 80 से 90 हजार रुपए (स्क्रैप वैल्यू,रजिस्ट्रेशन में छूट,मैन्युफैक्चर्स की छूट मिलाकर) का फायदा होगा.
सीज किए जाएं पुराने कमर्शियल वाहन
पर्यावरण मामलों के जानकार और एडवोकेट सुभाष सी पांडे का मानना है कि पुराने वाहन वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत बन गए हैं, इनको जल्द ही डिस्पोज आफ किया जाना चाहिए, सबसे पहले सरकारी और कमर्शियल वाहनों को चिन्हित कर इन्हें सीज किया जाना चाहिए, पांडे के मुताबिक मप्र में 1956 से लेकर अब तक पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, क्योंकि प्रदेश में कोई भी सख्त वाहन पॉलिसी नहीं रही है, पुराने वाहनों के चलते होने वाले वायु प्रदूषण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका भी लगाई गई है.
राजधानी में मॉडिफाई होते हैं पुराने वाहन
जानकारी के मुताबिक राजधानी में बड़ी संख्या में पुराने वाहनों को नए रूप में तैयार कर सड़कों पर उतारने का काम किया जाता है, ये वाहनों में प्रदूषण मानकों का ध्यान नहीं रखा जाता है, जुगाड़ वाहन बनाने वालों को जागरूक किए जाने की जरूरत है, इन वाहनों को देखकर पहचानना मुश्किल होता है कि ये कितने साल पुराने हैं, क्योंकि इनकी डेंटिंग-पेंटिंग कर इन्हें नया लुक दे दिया जाता है.
चार महानगरों में 3.5 लाख पुराने वाहन
शहरों में बढ़ते प्रदूषण की समस्या के मद्देनजर पुराने वाहनों को कबाड़ घोषित कर सड़कों से हटाने के लिए केंद्र सरकार ने यह योजना शुरू की है, जानकारी के मुताबिक प्रदेश में वर्तमान में 15 लाख से ज्यादा वाहन 15 साल पुराने हैं, वहीं राज्य के भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर जैसे बड़े शहरों में ही इस तरह के वाहनों की संख्या करीब 3.5 लाख से ऊपर बताई जा रही है, जिन्हें सड़कों से हटाया जाना है, नई पॉलिसी के मुताबिक अब पुराने वाहनों को सड़कों पर चलाने से पहले फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा.
Scrap Policy: ये है नई स्क्रैप पॉलिसी