भोपाल।जनता को मुफ्त की सुविधा देने के नाम पर बेतहाशा पैसा बहाने वाले राज्यों को एसबीआई ने चेताया है. एसबीआई ने इन राज्यों द्वारा लिए जाने वाले भारी-भरकम कर्ज को लेकर चेताते हुए कहा है कि कई राज्यों का राजकोषीय घाटा 4 फीसदी से ज्यादा पहुंच गया है. इस मामले में मध्यप्रदेश भी अछूता नहीं है. राजनीतिक लाभ के लिए वोटरों को लुभाने के नाम पर गरीबों और पिछड़ों सहित अलग-अलग वर्गों को मुफ्त में सरकारी योजनाओं को लाभ दिया जा रहा है. मध्यप्रदेश की राजकोषीय स्थति पर भी इसका असर पड़ रहा है. प्रदेश का राजकोषीय घाटा भी स्टेट जीडीपी के 4 फीसदी से ज्यादा हो गया है. एसबीआई की ताजा रिसर्च रिपोर्ट में इसे बेहद चिंताजनक माना गया है.
SBI की रिसर्च रिपोर्ट इकोरैप में खुलासा:एसबीआई की ताजा रिसर्च रिपोर्ट में एमपी के राजकोषीय घाटे को 4 फीसदी से ज्यादा होना चिंताजनक बताया है. रिपोर्ट में इस बात की भी खुलासा हुआ है कि मध्यप्रदेश में बजट का करीब 25 फीसदी हिस्सा अनुदान में जा रहा है.
एसबीआई को क्यों चेताना पड़ा:दरअसल एक तरफ राज्य सरकार टेक्स में कमी को लेकर लगातार बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ लोक लुभावनी योजनाओं के नाम पर जमकर पैसा खर्च किया जा रहा है. यही वजह है कि एसबीआई ने अपनी ताजा रिपोर्ट इकोरैप के जरिए मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों को चेताया है कि वे अपने राजस्व का बड़ा हिस्सा लोक लुभावन योजनाओं पर खर्च कर रहे हैं, जबकि उनकी आय इतनी नहीं है. रिसर्च के मुताबिक मध्यप्रदेश की जीएसटी ग्रोथ 10 फीसदी से कम रही है और ऐसे में प्रदेश को मुआवजे की जरूरत होगी.
बजट का 25 फीसदी हिस्सा लोकलुभावन योजनाओं पर होता है खर्च: मध्यप्रदेश में लोक लुभावन योजनाओं पर बजट का 25 फीसदी हिस्सा अनुदान के रूप में खर्च किया जा रहा है. इसको इस तरह समझा जा सकता है कि
- प्रदेश सरकार सिर्फ बिजली पर ही 30 हजार करोड रुपए सिर्फ किसानों और गरीबों को अनुदान दिया जा रहा है.
- इसी तरह सरकार द्वारा किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज पर 29 हजार 834 करोड रुपए का कर्ज दिया गया, इसका ब्याज अनुदान के रूप में 800 करोड़ की राशि राज्य सरकार ने सहकारी बैंकों को दिया गया है.
- राज्य सरकार द्वारा किसान सम्मान निधि के रूप में 10 हजार 333 करोड़ रुपए की राशि दी गई.
- किसानों को सोलर पंप लगाने के लिए 72 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया।
- प्रदेश के करीब 5 लाभ हितग्राहियों को 1 रूपए किलो के हिसाब से गेहूं-चावल दिया जा रहा है. जिसमें राज्य सरकार को करीब 450 करोड रुपए हर साल देना पड़ रहा है.
- इसी तरह मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के साथ ही एससी-एसी वर्ग के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिस पर सरकार हितग्राहियां को बड़ा अनुदान दे रही है.
सरकार लगातार ले रही है कर्ज: रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कितमाम योजनाओं को संचालित करने और अन्य जरूरतें पूरी करने के लिए राज्य सरकार को लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है. प्रदेश सरकार दो साल में 1 लाख करोड़ का कर्ज ले चुकी है. यह कर्ज टोटल बढ़कर 3 लाख करोड़ से ज्यादा का हो जाएगा, जबकि प्रदेश का बजट ही इस बार का 2.79 लाख करोड़ का है. जिसका असर यह होगा कि इस साल कर्ज के ब्याज की राशि के रूप में सरकार को करीबन 22 हजार करोड़ रुपए चुकाने होंगे.
आर्थिक विशेषज्ञों ने भी जताई चिंता:प्रदेश सरकार द्वारा लगातार कर्ज लेने और लोक लुभावन योजनाओं पर बड़ी राशि लुटाने को लेकर आर्थिक विशेषज्ञों ने भी चिंता जताई है. आर्थिक विशेषज्ञ संतोष अग्रवाल कहते हैं कि सरकार किसानों, गरीबों को अनुदान दे, लेकिन इसकी सीमा तय होनी चाहिए. इसके साथ ही सरकार को ऐसे क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस करना चाहिए, जहां से भविष्य में ज्यादा रिटर्न मिल सके, इससे प्रदेश की आर्थिक हालत सुधरेगी, लेकिन मौजूदा दौर जिस तरह से प्रदेश पर कर्ज बढ़ रहा है, यह ठीक नहीं है. सरकार को भी इस बारे में सोचना चाहिए कि आखिर वह कब तक कर्ज लेकर, लोकलुभावनी घोषणा करती रहेगी.