भोपाल। राजस्थान में चल रहे सियासी घटनाक्रम का असर मध्य प्रदेश की सियासत में भी देखने मिल सकता है. राजस्थान की रेतीली जमीन से उठी सचिन पायलट की बगावत, ग्वालियर-चंबल के बीहड़ों तक अपना असर दिखा सकती है. ऐसा इसलिए कि सचिन पायलट गुर्जर समुदाय आते हैं और गुर्जर समुदाय का सीधा दखल ग्वालियर-चंबल की सियासत में रहता है. खास बात यह है कि, ये वो इलाका है जहां चुनाव छोटा हो बड़ा, लेकिन यहां डोमिनेंट कास्ट डेमोक्रेसी यानि (प्रभु जाति लोकतंत्र) का असर दिखता है. यानी जिस जाति के ज्यादा वोटर होंगे, क्षेत्र में दबदबा भी उसी का होगा.
सूत्रों का कहना है कि, ग्वालियर- चंबल संभाग की जिन 16 सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से गुर्जर समुदाय निर्णायक भूमिका में होता है. यही वजह है कि, सचिन पायलट की बर्खास्तगी और उन पर दर्ज किए गए केस से गुर्जर समुदाय की नाराजगी कांग्रेस को उपचुनाव में झेलनी पड़ सकती है.
गुर्जर समुदाय कर सकता है विरोध
गुर्जर नेता लोकेंद्र गुर्जर कहना है कि, सचिन पायलट ने कांग्रेस के लिए खून पसीना बहाकर राजस्थान में सरकार बनवाई है. अगर कांग्रेस ने सम्मान सहित सचिन पायलट की वापसी नहीं कराई तो गुर्जर समुदाय उपचुनाव में कांग्रेस का विरोध करेगा. 'मैं सचिन पायलट से अनुरोध करता हूं कि, आप अलग से पार्टी बनाए और राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश के उप चुनाव में अपने उम्मीदवारों को लड़ाएं'.
ग्वालियर-चंबल में निर्णायक होता है गुर्जर मतदाता
- मुरैना सीट पर 60,000 गुर्जर मतदाता
- सुमावली सीट पर 45000 गुर्जर मतदाता
- जौरा सीट पर 18000 गुर्जर मतदाता
- दिमनी सीट 17000 गुर्जर मतदाता
- अंबाह सीट पर 9000 गुर्जर मतदाता
- मेहगांव सीट 27000 गुर्जर मतदाता
- गोहद सीट पर 23000 गुर्जर मतदाता
- ग्वालियर पूर्व सीट पर 10000 गुर्जर मतदाता
- डबरा सीट पर 10000 गुर्जर मतदाता
- ग्वालियर सीट पर 5000 गुर्जर मतदाता
- भांडेर सीट पर 10000 गुर्जर मतदाता
- बमोरी सीट पर 5000 गुर्जर मतदाता
- मुंगावली सीट पर 5000 गुर्जर मतदाता
- अशोकनगर सीट पर 2000 गुर्जर मतदाता वोट करते हैं.
यानि इतना बड़ा वोट अगर कांग्रेस से बगावत कर गया तो उसके लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएगी. वही सचिन पायलट की बगावत पर मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी नेताओं के अपने-अपने दावे हैं.