भोपाल। कमान से छूटा तीर और मुंह से निकले शब्द कभी वापिस नहीं आती है. फिर वह चाहे सामान्य इंसान को या फिर महान नेता. कुछ इसी तरह की जुबान कल कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे की भी फिसल गई थी. इस पर हंगामा तो होना ही था. हालांकि खड़गे ने यह कतई नहीं सोचा होगा उनके इस बयान पर सियासी भूचाल आ जाएगा. अब वह अपने इस बयान पर सफाई पेश करते नजर आ रहे हैं. जिसका असर होता अब नहीं दिख रहा है. दूसरी ओर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने खड़गे के उक्त बयान के प्रति सहानुभूति और कांग्रेस पर तंज कसा है. (bhopal kharge told the truth Shivraj)
शिवराज ने दर्शायी सहानभूतिः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस अध्यक्ष के प्रति सहानभूति दिखायी है. उन्होंने कहा कि असल में मल्लिकार्जुन खड़गे ने सच्चाई स्वीकार कर ली है. कांग्रेस को पता है 2023 और 2024 में पार्टी को कुछ मिलने वाला है नहीं. राहुल गांधी अपनी यात्रा में व्यस्त हैं. उन्हें एक बलि का बकरा चाहिए था तो खड़गे को बना दिया गया है. इसीलिए उनके मुख से बलि और बकरा निकल गया. बहरहाल खड़गे के बयान पर राजनीतिक गलियारे में अलग-अलग तरह के निष्कर्ष निकाले जा रहे हैं. एमपी के बाद चंडीगढ़ पहुंचे कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे को उनके बयान से उठे बवाल के बाद सफाई देनी पड़ी. उन्होंने इसका मतलब समझाते हुए ये कहा कि हमारे यहां इस तरह की कहावत है. हालांकि उनकी स्थिति उस कहावत की तरह है ' अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत'. (Shivraj showed sympathy) (poonawalla and manjar said insult to Muslim)
Kharge big statement मल्लिकार्जुन ने खुद को बताया बलि का बकरा, पीएम के चेहरे पर बोले बकरीद में बच गए तब मोहर्रम मनाएंगे
यह मुसलमानों का अपमान हैःखड़गे के इस बयान का दूरगामी असर होता दिख रहा है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्वीट किया कि कांग्रेस परिवार के चुने गए पहले प्रॉक्सी अध्यक्ष पद के उम्मीदवार से पूछा गया कि 2024 में कांग्रेस का पीएम उम्मीदवार कौन होगा. इस पर उनका जवाब था, बकरा ईद पर बचेंगे तो मोहर्रम में नाचेंगे'. पूनावाला का कहना है कि सबसे पहले उन्हें यह समझना चाहिए कि मुहर्रम जश्न नहीं बल्कि मातम होता है. एक तरह से यह मुसलमानों का अपमान है. खड़गे जी को चाहिए था कि वो जानकारी लेकर अपनी बात को कहते.(poonawalla and manjar said insult to)
मातम पर कौन नाच सकता है खड़गे जी-मंजर भोपालीः बकरीद पर बचेंगे तो मोहर्रम में नाचेंगे. इस कहावत को लेकर ही कई सवाल खड़े हो गए हैं. जानकारों की निगाह में कहावत में ही अर्थ का अनर्थ हो गया है. असल में बकरीद पर बचेंगे तक तो ठीक लेकिन मोहर्रम में नाचने का तो सवाल ही खड़ा नहीं होता. मोहर्रम में मातम मनाया जाता है. मलिल्कार्जुन खड़गे न अपनी स्थिति स्पष्ट कर पाए. बल्कि उन्होंने इस्लाम को समझे जाने बिना एक बेतुकी कहावत और बोल दी. जो इस्लाम का अपमान भी है. मशहूर शायर मंजर भोपाली कहते हैं. ये कहावत भी गलत है और जो कहा गया वो तो बहुत ही गलत. बकरीद कुर्बानी का त्योहार है और मोहर्रम वो वक्त होता है जब इस्लाम में पूरे दो महीने आठ दिन शोक मनाया जाता है. उसमें कोई नाच कैसे सकता है. क्या खड़गे जी के यहां मातम के वक्त नाचा जाता है? (Kharge Ji who can dance on mourning manjar bhopali) (bhopal ruckus over kharge statement)