भोपाल।अयोध्या की तरह भोपाल के हमीदिया रोड़ स्थित राम मंदिर का निर्माण भी जमीन विवाद से जुड़ा रहा है. 300 साल पुराने इस मंदिर में रामनवमी के अवसर पर हिंदू जागृति केंद्र द्वारा विशेष आयोजन किया जाता है. इस मंदिर की जमीन वापस पाने को लेकर हिंदू संगठनों ने 70 के दशक में चरणबद्ध आंदोलन और प्रदर्शन किए, तब जाकर इस मंदिर का जीर्णोद्धार हो पाया था. यह मंदिर भोपाल का सबसे भव्य और पुराना राम मंदिर है. (Bhopal Ram temple land dispute in 1972) (lord rama blessings)
भोपाल राम मंदिर में रामनवमी 2022 उत्सव रामनवमी पर विशेष पूजन:मंदिर के पुजारी पंडित राजेश दुबे ने बताया कि रामनवमी के मौके पर मंदिर में हवन पूजन के साथ ही राम, लक्ष्मण और सीता जी का विशेष श्रृंगार किया जाएगा. इस दौरान सुंदरकांड पाठ का आयोजन भी होगा और भगवान राम के 1000 नामों का जाप किया जाएगा. पंडित राजेश दुबे ने बताया कि इस मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
रामनवमी पर भोपाल में भंडारा का आयोजन 1972 में हुआ था जमीन को लेकर विवाद:गुरबख्श की तलैया स्थित राम मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख ट्रस्टी ओम मेहता बताते हैं कि मंदिर की जमीन को लेकर काफी विवाद हुआ था. मंदिर के पास 40 बीघा जमीन थी, जिसपर सिख समाज ने गुरुद्वारा बना दिया था. आधे से ज्यादा हिस्सा गुरुद्वारे के निर्माण में चला गया. 1972 में इस मंदिर के रेनोवेशन के समय जमीन को लेकर काफी विवाद हुआ. ओम मेहता ने बताया कि मध्यप्रदेश में सुंदरलाल पटवा की सरकार आने पर यहां की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया गया था. अभी भी मंदिर के सामने की जमीन को लेकर विवाद बना हुआ है. फिलहाल इस पर अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है. (mp happy ram navami)
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पूर्व मुख्यमंत्री के आदेश पर बना मंदिर:ओम मेहता के मुताबिक मंदिर के सामने वाली जमीन जिला कांग्रेस कमेटी को अलॉट हो गई थी. हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस जमीन को मंदिर को देने को लेकर सार्वजनिक तौर पर घोषणा की थी. इस जमीन के आसपास सैकड़ों लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं. जमीन को लेकर प्रदर्शन करने वाले हिंदू संगठनों से जुड़े सुनील पंजाबी बताते हैं कि पंजाबी और सरदारों के बीच राम मंदिर की जमीन को लेकर आपसी मतभेद उभरे थे. पंजाबी जहां राम मंदिर को जमीन देने के पक्ष में थे, तो वहीं सरदार इसकी खिलाफ में थे. जिसके बाद मंदिर की जमीन को कब्जे से मुक्त कराने के लिए 1972 में चरणबद्ध आंदोलन और धरना प्रदर्शन किया गया था.