भोपाल। जनजातीय संग्रहालय में 13 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक आयोजित बहुविधि कलानुशासनों की गतिविधियों पर केंद्रित ‘गमक’ श्रृंखला के अंतर्गत 17 अक्टूबर, 2020 को स्मिता मोकाशी के ‘उपशास्त्रीय गायन’ और क्षमा मालवीय के कथक शैली में ‘दुर्गा चरितम’ की प्रस्तुति की गई. कार्यक्रम ने स्मिता मोकाशी में अकेले तो क्षमा मालवीय ने गुणी शिष्याओं के साथ कथक शैली में ‘दुर्गा चरितम’ की समवेत नृत्य प्रस्तुति दी.
स्मिता मोकाशी का उपशास्त्रीय गायन
उपशास्त्रीय गायन में सबसे पहले राग मारवा में जगत जननी जगदम्बा भवानी तत्पश्चात छोटा ख्याल तीनताल मध्य लय पर आधारित-माता भवानी देवी (स्वरचित बंदीश) और द्रुत एकताल में भजन- जगत जननी भवतारिणी माता की हुई.
स्मिता मोकाशी का उपशास्त्रीय गायन क्षमा मालवीय और उनकी गुणी शिष्याओं की प्रस्तुति
दूसरी प्रस्तुति क्षमा मालवीय और उनकी गुणी शिष्याओं (अंशिका मालवीय, प्रियांशी कटारिया, प्रेक्षा नेमा, अलीना खान, कनुप्रिया गुप्ता, जसमिन कौर, विजेता जैन, ज्योति रेकवार एवं खुशी पाण्डे) के द्वारा कथक नृत्य की हुई, जिसमे प्रस्तुति की शुरुआत ‘कलिका स्तवन’ से की एवं ‘दुर्गा चरितम’ से प्रस्तुति का समापन किया. पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुति में तबले पर मनोज पाटीदार, हामोनियम पर अमन मलक और तानपुरा पर परिधि दंडवते ने संगत दी.
स्मिता मोकाशी का उपशास्त्रीय गायन स्मिता मोकाशी की ये हैं उपलब्धियां
बता दें गायिका स्मिता मोकाशी को पंडित अजय पोहनकर, नलिन धोलकिया, स्व. सुरेश ताम्हनकर और डॉ. शशिकांत ताम्बे जैसे मूर्धन्य गुरुजनों का सानिध्य प्राप्त है. मोकाशी तानसेन समारोह (ग्वालियर), कुमार गंधर्व समारोह (बेलगाम) शनि जयंती संगीत समारोह (इंदौर) और खरगोनकर स्मृति संगीत समारोह आदि में शिरकत कर चुकी हैं. इनको मराठी संगीत नाटक ‘रुक्मणी स्वयंवर’ के लिए महाराष्ट्र सरकार ने सम्मान भी दिया है.