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डिफेंडिंग नहीं, अटैकिंग मोड में महाराजा, न सीएम से मुलाकात, न दिग्गी से बात

प्रदेश के दौरे पर पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच मुलाकात की बात कही जा रही थी. लंबे समय बाद इन दोनों नेताओं की मुलाकात से सियासी गलियारों में खूब चर्चा थी. दोनों की मुलाकात तो हुई लेकिन चंद मिनटों में वे एक-दूसरे से मिलकर निकल गए. दोनों में कोई सियासी चर्चा नहीं हुई.

jyotiraditya scindia
सिंधिया

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Published : Feb 24, 2020, 10:40 PM IST

भोपाल। आजकल ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान सुनकर इतना साफ है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा क्योंकि राज्यसभा सीटों के लिए कांग्रेस के सियासी दिग्गजों के बीच की लड़ाई अब राजनीतिक अस्तित्व पर आ गई है, लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद महाराज सिधिया का सब्र जबाव दे रहा है.

डिफेंडिंग नहीं, अटैकिंग मोड में महाराजा

कल तक सड़क पर उतरने की बात कहने वाले सिंधिया ने आज कह दिया कि उनके बारे में किसी को सोचने की जरुरत नहीं, वे अकेले अपनी लड़ाई लड़ने में सक्षम हैं. सिंधिया ने भले ही ये बयान विपक्ष के लिए दिया था, लेकिन लगा जैसे महाराज ने निशाना अपनों पर साधा हो, चर्चा थी कि गुना के सर्किट हाऊस में सिंधिया और दिग्विजय सिंह की मुलाकात होगी.

मुलाकात हुई, लेकिन सक्रिट हाउस में नहीं, बीच सड़क पर, दोनों दिग्गज अपनी-अपनी कार से उतरे, एक-दूसरे को माला पहनाई और निकल गए. सियासी गलियारों में चर्चा थी कि 'महाराज' सिंधिया और दिग्गी राजा के बीच लंबे समय बाद होने वाली मुलाकात से राज्यसभा जाने की गुत्थी सुलझेगी. सिंधिया ने दिग्विजय सिंह से ठीक से मुलाकात ही नहीं की. हालांकि हर बार की तरह यहां भी सियासी दांव पेंच में माहिर दिग्विजय सिंह ने कहा कि वे सिंधिया से मुलाकात करने की कोशिश में जुटे हैं.

सिंधिया के तेवर साफ है कि पहले सीएम, फिर प्रदेश अध्यक्ष का पद नहीं मिलने के बाद अब राज्यसभा जाने के लिए सिंधिया आर-पार के मूड में हैं क्योंकि जैसे ही कमलनाथ गुट की तरफ से राज्यसभा के लिए प्रियंका गांधी का नाम सामने आया, लगा सिंधिया फिर पिछड़ेंगे, लेकिन क्रिकेट का दीवाना ये सियासी नेता, अब डिफेंडिंग नहीं बल्कि अटैकिंग मोड में खेल रहा है.

जब से राज्यसभा की चर्चा हुई है, सिंधिया प्रदेश के दौरे पर आते हैं, जनता से मिलते हैं, अपने समर्थकों के बीच जाते हैं, कमलनाथ सरकार पर निशाना भी साधते हैं, फिर वापस दिल्ली रवाना हो जाते हैं, न तो सीएम कमलनाथ से मिलते हैं और न दिग्विजय सिंह से, यानि अब महाराज की सियासत सियासी पंडितों की समझ से भी परे होती जा रही है कि उनका अगला कदम क्या होगा.

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