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उपचुनाव की तैयारियां शुरू, बीजेपी की तुलना में कांग्रेस की राह क्यों है मुश्किल ?

बीजेपी और कांग्रेस के बीच मध्य प्रदेश की सभी 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की बिसात बिछ गई है. दोनों ही पार्टियों ने हर सीट पर तैयारी शुरु की है. बीजेपी को जहां सत्ता में आने के लिए 9 सीटें जीतनी जरुरी हैं. तो कांग्रेस को सत्ता वापसी के लिए सभी 24 सीटें जीतनी पड़ेंगी.

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Published : Jun 8, 2020, 8:06 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियां शुरु हो गई हैं. बीजेपी ने सभी सीटों पर प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है. तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस उपचुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ते हुए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है. कांग्रेस के पक्ष में सीटों का समीकरण करने के लिए वह रणनीति तय करने में जुटे हैं. कमलनाथ के करीबियों का मानना है कि यह उपचुनाव ही सत्ता में वापसी का आखिरी विकल्प है और शिवराज से हिसाब बराबर करने का मौका भी. इसलिए कमलनाथ हर सियासी चाल चल रहे हैं.

सिंधिया के विरोधियों की कांग्रेस में हो रही वापसी

ज्योतिरादित्य के पिता माधव राव सिंधिया के बेहद करीबी रहे बालेंदु शुक्ला की कांग्रेस में घर वापसी कराने के पीछे कमलनाथ की सोची-समझी रणनीति बताई जाती है. कमलनाथ को उम्मीद है कि बालेंदु शुक्ला, सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में कांग्रेस को कुछ फायदा पहुंचाएंगे. बालेंदु शुक्ल का ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट से चुनाव की लड़ने की चर्चा भी है. शुक्ल के अलावा अन्य कई नेता भी कांग्रेस में शामिल हुए हैं.

230 सदस्यीय मध्य प्रदेश में 24 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है. इसमें 22 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने और दो सीटें विधायकों के निधन से खाली हुई हैं. एमपी में बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 116 है. मौजूदा वक्त में बीजेपी के पास 107 विधायक हैं तो कांग्रेस के पास 92 विधायक है. फिलहाल शिवराज सिंह चौहान सरकार को स्पष्ट बहुमत के लिए सिर्फ नौ सीटों की जरूरत है. तो कांग्रेस को सभी 24 की 24 सीटें जीतनी होंगी. ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि कांग्रेस के लिए उपचुनाव में क्लीन स्वीप टेढ़ी खीर है. इस प्रकार उपचुनाव के भरोसे कमलनाथ सरकार की सत्ता में वापसी मुश्किल दिख रही है.

ग्वालियर-चंबल पर सबकी नजर

जिन 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उसमें से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की हैं. यह वही इलाका है, जहां कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया का वर्चस्व माना जाता है. बीजेपी सिंधिया के कारण इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के विधायकों को ही फिर से लड़ाकर सीटें हासिल करने की जुगत में है तो कांग्रेस सीटों को बचाने की कोशिश में जुटी है. कांग्रेस के नेताओं की ओर से विधायकों के विश्वासघात की दुहाई देकर जनता से उन्हें सबक सिखाने की अपील की जा रही है.

सूत्रों का कहना है कि यूं तो उपचुनाव में सत्ताधारी बीजेपी की स्थिति मजबूत मानी जा रही है. लेकिन, पांच सीटों पर बीजेपी को कांग्रेस से ज्यादा अपनों से चुनौती मिल रहीं हैं. इसमें देवास जिले की हाटपिपलिया, इंदौर जिले की सांवेर, ग्वालियर जिले की ग्वालियर, रायसेन की सांची और सागर जिले की सुरखी सीट शामिल हैं. यहां बीजेपी के कुछ स्थानीय नेताओं के बीच अंतर्कलह की स्थिति उभरकर सामने आ रही है. ऐसे में कांग्रेस बीजेपी के अंदरखाने मचे संघर्ष का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है.

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