भोपाल। करीब 70 साल के बाद देश के मध्य प्रदेश स्थित कूनो नेशनल पार्क में आ रहे चीतों की तरह मध्य प्रदेश पुलिस की बाइक भी रफ्तार भरते हुए दिखाई देगी. मध्य प्रदेश के थानों में मौजूद बाइक पेट्रोलियम ग्रुप को पूरे मध्यप्रदेश में चीता मोबाइल के नाम से जाना जाएगा, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसका ऐलान किया है. अभी थानों में चलने वाले इन बाइक पेट्रोलिंग ट्रूप को चार्ली कहा जाता है, जो थाना क्षेत्र में पेट्रोलिंग करते हैं और उसकी रिपोर्ट थाने को पहुंचाते हैं, हालांकि इसके पहले चार्ली का नाम चीता ही था.
MP में अब चार्ली फिर कहलाएंगे चीता मोबाइल, कल इस तरह से होगी शुरूआत - एमपी चीता मोबाइल
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए अब पुलिस पेट्रोलिंग वाहन का नाम चीता मोबाइल करने का फैसला लिया है. दरअसल गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रेस कांन्फ्रेंस के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा कि, "कल जब मोदी जी कूनो में चीतों को छोड़ेंगे, उसी समय पूरे प्रदेश में हमारे गश्त के वाहन जो कि अभी कई जिलों में चीता वाहन के नाम से जाने जाते हैं, उसमें एक रूपता लाते हुए सारे प्रदेश में एक साथ सायरन बजाते हुए गश्त पर निकलेंगे. क्योकि दुनिया मे सबसे तेज दौडने वाला जीव है चीता, उसी तरह हमारी पुलिस भी तेजी से काम कर रही है. पूरे प्रदेश में पुलिस की कार्यप्रणाली में एक रुपता लाने के लिए ऐसा किया जा रहा है.
चार्ली फिर होगा चीता:मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक पुलिस के अंदर टू व्हीलर की जो पेट्रोलिंग वाहन है उनमें एकरूपता लाते हुए अब यह सभी वाहन चीता वाहन कह लाए जाएंगे, पेट्रोलिंग अब पूरे प्रदेश में चीता वाहन ही करेंगे. गृह मंत्री ने कहा कि 17 सितंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब कार्यक्रम स्थल पर होंगे उस वक्त यह चीता वाहन सायरन बजाते हुए अपने गश्त की शुरुआत करेंगे. गृह मंत्री ने कहा कि चीता नाम इसलिए दिया गया है, जिससे पुलिस चीते की रफ्तार से काम करें.
प्रदेश में थाना स्तर पर अभी हैं चार्ली:मध्यप्रदेश में थाना स्तर पर अभी चार्ली वाहन तैनात होते हैं, जो इलाके में पेट्रोलिंग और निगरानी का काम करते हैं. एक चार्ली वाहन पर दो सिपाही मौजूद होते हैं जो लगातार क्षेत्र में निगरानी करते हैं और इसकी रिपोर्ट थाने को करते हैं. पूर्व में चार्ली का नाम चीता हुआ करता था, जिसे बदलकर चार्ली कर दिया गया था. चार्ली वाहन के तौर पर पुलिस जवानों को पहले स्प्लेंडर बाइक दी गई थी, लेकिन शहरों में आए दिन होने वाली लूट और दूसरी वारदातों में बदमाशों का पीछा करने में जब पुलिस बिछड़ने लगी और पुलिस के वाहनों की स्थिति खराब होने लगी तो हंड्रेड सीसी बाइक के स्थान पर पुलिस जवानों को डेढ़ सौ सीसी की बाइक दी गई, जिस पर पुलिस सायरन लगा होता है.