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मोदी और शिवराज की मुलाकात के मायने, नवंबर के बाद तीसरी बार पीएम से मिले मामा, पढ़िए राजनीतिक विश्लेषण - मोदी शिवराज की मुलाकात राजनीतिक विश्लेषण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह की मुलाकात के क्या मायने हो सकते हैं. क्या शिवराज का कद घटा है या फिर बढ़ा है, अगर बढ़ा है तो क्या वजह है. दूसरी बड़ी बात ये है कि क्या 2023 का विधानसभा चुनाव शिवराज के नाम पर लड़ा जाएगा. पढ़िए पूरा विश्लेषण...(PM Modi and Shivraj Singh meeting )

PM Modi and Shivraj Singh meeting Political analysis of MP politics
मोदी और शिवराज की मुलाकात के मायने

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Published : Apr 24, 2022, 12:20 PM IST

भोपाल।मध्य प्रदेश में पिछले कई महीनों से सियासी खींचतान दिखाई दे रही है. इस बीच सीएम शिवराज सिंह की पीएम मोदी से दिल्ली में मुलाकात होती है, राजनीतिक गलियारों में कई तरह के कयास फिर लगने शुरू हो गए हैं. खबरें फ्लैश हुईं कि सीएम शिवराज सिंह को अचानक दिल्ली तलब किया गया. अमित शाह के दौरे के तुरंत बाद ही आखिर क्यों मोदी ने सीएम शिवराज सिंह को तलब किया. खबरों के फैलते देख मुख्यमंत्री निवास से सीएम का प्रोग्राम जारी किया गया कि विकास के मुद्दों पर शिवराज पीएम से मिलने वाले हैं, शिवराज मध्य प्रदेश के विकास का रोडमैप लेकर मोदी से करीब 45 मिनिट चर्चा करेगें. वहीं दूसरा धड़ा जो कि मुख्यमंत्री का विरोधी रहा है, वो खबरों को प्लांट करने का काम करता है. सोशल मीडिया पर खबरें शेयर की जाती हैं, लेकिन इन मुलाकातों के बीच आपको बताते हैं कि क्या इस मुलाकात के मायने हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह की मुलाकात

शिवराज सिंह का कद बढ़ा है या फिर घटा है :पीएम मोदी ने शिवराज सिंह से 45 मिनिट मुलाकात की, इसके बाद पीएम मोदी का ट्वीट आता है जिसमें वे लिखते हैं- " शिवराज जी से मुलाकात हुई, मध्य प्रदेश सरकार के गुड गवर्नेंस के तहत उठाए गए कदमों से आम जन का जीवन बदल रहा है". इस ट्वीट के बाद जहां शिवराज को राहत मिली तो विरोधी खेमा मायूस जरूर हुआ होगा. इससे साफ लग रहा है कि शिवराज मोदी की गुड बुक में हैं और शायद रहेगें भी.

अमित शाह का भोपाल दौरा-शिवराज की जमकर तारीफ: अमित शाह भोपाल आगमन पर जिस तरह से शिवराज सिंह ने भीड़ जुटाकर उनका स्वागत किया, अमित शाह भी गदगद हो गए. केंद्रीय मंत्रियों के सामने शिवराज सरकार की तारीफ की तो, वहीं संगठन को लताड़ लगा गए.

अमित शाह का भोपाल दौरा

संघ भी शिवराज सिंह को पसंद करता है, प्रशासनिक क्षमता का लोहा : बीजेपी में अंदरूनी गुटबाजी में शिवराज के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश जरूर की जा रही है, लेकिन मोहन भागवत को भी शिवराज पसंद हैं. संघ के लोगों को खुश करने में शिवराज कोई कोर कसर नहीं छोड़ते. संघ के कामों में किसी तरह का कोई रोड़ा न आए, इसके लिए सीएम ने ओएसडी नियुक्त कर रखा है. 2018 में बीजेपी भले ही हारी, लेकिन शिवराज के बुने जाल में सिंधिया फंस गए और फिर से शिवराज सीएम बने. माना गया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने उनकी प्रशासनिक क्षमता और डिसीज़न मेकिंग के चलते उनका नाम सामने रखा.

मोदी का 15 नवंबर 2021 का दौरा: शिवराज ने जनजातीय सम्मेलन किया, मोदी को बुलाया गया और पूरे देश के आदिवासियों को संदेश दिया कि मोदी सरकार ही आदिवासी हितैषी है. भीड़ देखकर पीएम मोदी खुश हुए और शिवराज की तारीफों के पुल बांधे.

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हिर्देनिया की माने तो-"शिवराज एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने दर्शनशास्त्र की फिलॉसफी को व्यवहारिक रूप में अपनाया है. व्यक्ति को कैसे खुश करना है ये शिवराज को बहुत अच्छे से आता है. मोदी को सुपर ह्यूमन और भगवान का दर्जा देकर खुश कर दिया. हर भाषण में पीएम मोदी का नाम लेते हैं शिवराज और ये संदेश देने की कोशिश करते हैं कि मोदी ही भारत का भविष्य हैं".

संघ और केंद्र को खुश करने के लिए अपराधियों पर बुल्डोजर चला रहे हैं: खासतौर से खरगोन में दो पक्षों के विवाद के बाद आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाकर साफ संदेश दे दिया कि जो केंद्र चाहेगा, वैसा ही करेंगे शिवराज.

अमित शाह का भोपाल दौरा-शिवराज की जमकर तारीफ

पुरानी गलतियों से सीख ली और अब उन मुद्दों पर बातचीत दो दूर, चर्चा भी नहीं करते शिवराज: पिछले चुनावों के पहले हमने देखा कि शिवराज हमेशा अपने भाषणों में कहते दिखे कि- "कौन माई का लाल है जो आरक्षण खत्म कर दे." नतीजा हुआ कि ग्वालियर चंबल में बीजेपी ने सीटें गवां दीं और सरकार नहीं बन पाई. अब इन संवेदनशील मुद्दों पर शिवराज नहीं बोलते. हार का ठीकरा शिवराज पर फोड़ा गया, टिकिट वितरण के लिए भी शिवराज को जिम्मेदार माना गया. लेकिन विपक्ष में रहने के बाद भी लगातार सक्रिय रहे, जिसका नतीजा रहा कि फिर से बीजेपी सरकार की वापसी हो गई.

2023 का चुनाव क्या सीएम शिवराज के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा जाएगा ? : अभी ये कहना फिलहाल संभव नहीं है. सूत्रों की माने तो जैसे पंजाब हो या फिर दूसरे राज्यों में मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा गया, पंजाब हो या फिर अन्य चुनावी राज्य वहां पर बीजेपी ने सीएम चेहरा घोषित नहीं किया था , इस फार्मूले से बीजेपी को फायदा हुआ .पंजाब को छोड़ दिया जाए तो बाकी जगहों पर बीजेपी ने मोदी के नाम पर फिर परचम लहराया.

  • कमर तोड़ मंहगाई बन सकती है शिवराज की हार का कारण: लगातार बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ दी है. हालांकि, शिवराज सरकार योगी की तर्ज पर मुफ्त राशन और सुशासन की राह पर बढ़ चली है. दूसरा वोटिंग के ध्रुवीकरण का खेल भी शुरू कर दिया गया है. फिर भी शिवराज यदि 2023 में हारते हैं तो महंगाई एक वजह हो सकती है.
  • शिवराज के खिलाफ एक गुट लामबंद हो चला है:प्रदेश में शिवराज के खिलाफ एक धड़ जमकर खिलाफत कर रहा है, पिछले महीनो में हमने देखा कि केंद्र के मंत्री और संगठन के लोगों ने मीटिंग शुरू कर दी थी. लेकिन, केंद्रीय हाईकमान की तरफ से संदेश दिया गया कि बंद कमरे में मीटिंगों से प्रदेश का मुखिया बदला नहीं जा सकता. हालांकि, जानकारों के मुताबिक शिवराज की काट ज्योतिरादित्य सिंधिया हो सकते हैं. उनकी सक्रियता और साथ में संघ मुख्यालय के दर पर सिंधिया माथा टेकने जाते हैं और संघ के नेताओं से सतत संपर्क में हैं. संघ भी सिंधिया को पसंद कर रहा है, तो कहा जा सकता है कि शिवराज की काट सिंधिया हो सकते हैं.

मुलाकातों के बीच कांग्रेस ने शिवराज पर साधा निशाना :कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा कहते हैं कि- "इस बार थोड़ी मुस्कुराहट जरूर है लेकिन, कुटिलता भरी. बताया जा रहा है कि दिल्ली बुलाकर मामाजी की नवंबर में इन्वेस्टर्स मीट पर पानी फेर दिया है. बता दिया गया कि अब 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मध्य प्रदेश में होगा. अब मामाजी की विदेश यात्राओं का क्या होगा". (PM Modi and Shivraj Singh meeting ) (Political analysis of MP politics )

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