भोपाल। किसी भी व्यक्ति की कामयाबी के पीछे कई लोगों की मेहनत होती है. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब कोई व्यक्ति अकेले ही लक्ष्य को हासिल करता है. उसके पास न तो किसी का साथ होता है और न ही मार्गदर्शन. ऐसे में जो चीज उस व्यक्ति को सफल बनाती है वह है उसका दृढ़विश्वास और कड़ी मेहनत. एक कहावत भी है, जहां चाह होती है, वहां राह भी होती है. यह कहावत मध्यप्रदेश के छोटे से गांव की चित्रकार दुर्गाबाई पर सटीक बैठती है. उनकी मेहनत और लगन का नतीजा है कि उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा जायेगा. 25 जनवरी को पद्म पुरस्कारों की घोषणा हुई है. इस बार दुर्गाबाई सहित मध्यप्रदेश की 5 हस्तियों को पद्म श्री से सम्मानित किया जा रहा है.
हुनर को बनाया सफलता का जरिया
डिंडोरी के एक छोटे से गांव बुरबासपुर के चमरू सिंह परस्ते के घर दुर्गाबाई ने जन्म लिया था. उनके दो भाई और दो बहनें हैं. घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उन्होंने कभी स्कूल की दहलीज भी पार नहीं की. लेकिन 6 साल की उम्र से चित्रकारी करने वाली दुर्गाबाई ने अपने इस हुनर को अपनी सफलता का जरिया बनाया. आदिवासी भोंडी भित्ति चित्र के माध्यम से दुर्गाबाई ने अपनी अलग पहचान बनाई और आज वह इस मुकाम पर पहुंच गईं जहां जाने का हर इंसान केवल सपना देखता है. उन्हें उनकी कला ने पद्मश्री तक पहुंचा दिया, जिसके बाद से उनके परिवार में खुशी का माहौल है.
लोककथा की चित्रकारी के लिए जानी जाती हैं दुर्गाबाई