भोपाल। मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद पहले कांग्रेस की सरकार बनी और डेढ़ साल बाद एक बार फिर बीजेपी की सरकार आ गई. दोनों सरकारों के बीच कई बदलाव हुए. लेकिन प्रदेश में अफसरों के तबादलों का दौर दोनों सरकारों में बदस्तूर जारी है.
प्रशासनिक सर्जरी में जुटी रहती है सरकारें
आलम यह है कि कमलनाथ सरकार ने जहां एक साल में ही 617 आईएएस-आईपीएस अफसरों के तबादले किए. तो शिवराज सरकार ने भी कोरोना संकट के बीच दो माह में ही 200 से ज्यादा अफसरों के ट्रांसफर कर दिए.कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय द्वारा केंद्र सरकार को भेजी गई रिपोर्ट से पता चला कि 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2019 के बीच कमलनाथ सरकार ने करीब 417 आईएएस अधिकारियों और 200 से ज्यादा आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए. तो शिवराज सरकार भी सत्ता वापसी के बाद से प्रशासनिक सर्जरी में जुटी है. 23 मार्च को सरकार गठन के बाद से ही अब तक प्रदेश में 130 आईएएस अधिकारी बदले जा चुके हैं, जबकि 70 से ज्यादा आईपीएस की नई पदस्थापना की गई है.
बीजेपी-कांग्रेस ने एक-दूसरे पर साधा निशाना
प्रदेश में तबादलों पर बीजेपी-कांग्रेस एक दूसरे पर निशाना साधते नजर आते हैं. कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहते हैं कि कोरोना महामारी के बीच शिवराज सरकार ने केवल एक ही काम किया है और वो है अधिकारियों के तबादले करना. हमारी सरकार में 15 महीने में इतने ट्रांसफर नहीं हुए जितने बीजेपी सरकार ने 3 महीने में कर दिए. शिवराज सरकार अधिकारियों को राजनीतिक तुष्टीकरण के तहत तबादले करने में जुटी है. उसे न मजदूरों की चिंता है और न प्रदेश की