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मंडी में फसल बेचने में किसानों को हो रही परेशानी, सामने आ रही हैं कई दिक्कतें

फसल बेचने मंडी पहुंच रहे किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खरीदी केंद्र पर ना तो किसान के लिए छाया की व्यवस्था है, ना भोजन- पानी की व्यवस्था है. वहीं तुलाई करने वाले कर्मचारियों द्वारा तुलाई में गड़बड़ी की जा रही है.

no arrangement of food and water in procurement centers
उपार्जन केंद्रों में बदइंतजामी

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Published : May 2, 2020, 2:37 PM IST

भोपाल।मध्यप्रदेश के कोरोना संक्रमित कुछ जिलों को छोड़कर तमाम जिलों में गेहूं की खरीदी चल रही है. वैसे तो सरकार का दावा है कि गेहूं खरीदी में किसानों को परेशान ना होना पड़े और गड़बड़ियां ना हों, इसके लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. लेकिन अपनी फसल बेचने मंडी पहुंच रहे किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खरीदी केंद्र पर ना तो किसान के लिए छाया की व्यवस्था है, ना भोजन- पानी की व्यवस्था है. वहीं तुलाई करने वाले कर्मचारियों द्वारा तुलाई में गड़बड़ी की जा रही है.

उपार्जन केंद्रों में बदइंतजामी

सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इन परिस्थितियों में भी सरकार किसानों से उनका ऋण वसूल रही है. भारतीय किसान यूनियन ने सरकार से व्यवस्थाएं सुधारने की मांग की है. फिलहाल एक तरफ लॉकडाउन के कारण किसान को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और दूसरी तरफ फसल खरीदी में हो रही अनियमितताओं से अन्नदाता परेशान हैं. भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि मध्यप्रदेश में गेहूं की खरीदी बड़े पैमाने पर हो रही है, किंतु कर्मचारियों द्वारा बरती जा रही ढिलाई और लापरवाही के कारण स्थितियां नियंत्रण में नहीं है.

उपार्जन केंद्र में वाहनों की कतारें
कहीं 100 ट्रालियां खड़ी हैं तो कहीं 200 ट्रॉली खरीदी के इंतजार में खड़ी है. इन परिस्थितियों में कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन का कैसे पालन संभव होगा, कैसे दूरियां रखी जाएंगी. इन चीजों को देखने के लिए कोई भी मौजूद नहीं है. अनिल यादव ने कहा अगर सरकार को वास्तविकता में तुलाई करनी थी, भले ही देरी हो जाती किंतु खरीदी केंद्र बढ़ाकर करनी थी. सरकार द्वारा कहा गया था कि 6 मैसेज सुबह और 6 मैसेज शाम को आएंगे,अगर सिर्फ 12 मैसेज किसानों को भेजे जा रहे थे, तो फिर यह सैकड़ों ट्राली खरीदी केंद्र पर क्यों खड़ी हैं.

उपार्जन केंद्र में वाहनों की कतारें

खाने के लिए किसान परेशान
फसल बेचने के लिए किसान 1 दिन का खाना लेकर पहुंच रहा है, लेकिन 4-4 दिन तक उसे फसल बेचने का इंतजार करना पड़ रहा है. होटल बंद हैं, खाने का कोई दूसरा साधन नहीं है. इन समस्याओं को देखते हुए मुख्यमंत्री को वहां के अधिकारियों को इन गलतियों पर जवाब तलब करना चाहिए. अगर आज इन गलतियों को नहीं सुधारा गया, तो ग्रामीण इलाकों में स्थितियां बिगड़ जाएंगी. अभी इतने दिनों में सिर्फ 2 प्रतिशत तुलाई हो पाई है, बाकी किसानों की फसल जैसी की तैसी पड़ी हुई है. एक तरफ महामारी और दूसरी तरफ किसान की जटिल समस्याएं सामने हैं.

तुलाई में हो रही है गड़बड़ी

डिफॉल्टर किसानों को मिले राहत
अनिल यादव का कहना है कि तुलाई में तेजी लाई जाए, जिससे खरीदी केंद्रों पर भीड़ ना हो और किसानों को असुविधा का सामना ना करना पड़े. खरीदी केंद्र पर पानी की व्यवस्था की जाए. एक-एक किलो तक गेहूं की चोरी की जा रही है, इन पर रोक लगाई जाए. दूसरी प्रमुख बात ये है कि सरकार द्वारा ऋण वसूली की जा रही है, फिलहाल किसान स्थिति में नहीं है कि वो कर्ज चुका पाए. पूर्व की सरकार ने कर्ज माफी की बात कही थी, इस कारण किसान डिफॉल्टर हो गए हैं ऐसे किसानों को राहत दी जाए.

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