भोपाल।कर्ज का ताज, बेरोजगारी से युवक हताश, खुद तोड़ रहे जिंदगी की डोर. एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) की साल 2021 की देश भर में आपराधिक आंकड़ों को लेकर रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में मुताबिक मध्यप्रदेश में आत्महत्या के मामले अधिक बढ़े हैं. बीते साल में प्रदेश में 14 हजार से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की है. प्रदेश में आत्महत्या के मामलों में 9.1 फीसदी की बढोत्तरी हुई है.आत्महया के मामले में मध्यप्रदेश देश में तीसरे नंबर है. एनसीआरबी की इस ताजा रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा किया है.
बेरोजगारी, कर्ज छीन रहा जिंदगी :आत्महत्या का ताजा मामला मध्यप्रदेश के खंडवा जिले का है. यहां 33 साल के युवक ने इसलिए मौत को गले लगा लिया, क्योंकि वह शिक्षक पात्रता परीक्षा की मेरिट सूची में सिर्फ एक नंबर से चूक गया था. मृतक अनंत राजपाली अतिथि शिक्षक था. इसके अलावा हाल ही में इंदौर में कर्ज से परेशान एक युवक ने बच्चों सहित आत्महत्या कर ली थी. प्रदेश में पिछले एक साल में 14 हजार 965 लोगों ने जिंदगी से हताश होकर मौत को गले लगा लिया.
- एनसीआरबी की ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 2020 के मुकाबले 2021 में आत्महत्या के मामलों में 9.1 फीसदी की बढोत्तरी हुई है.
- आत्महत्या के मामले में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है. देश में सबसे ज्यादा लोगों ने आत्महत्याएं मायानगरी मुंबई में की हैं.
- मुंबई में साल 2021 में 22 हजार 207 आत्महत्या के मामले सामने आए. दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है, जहां 18 हजार 925 लोगों ने आत्महत्या की.
- 2020 के मुकाबले मुंबई और तमिलनाडु में भी आत्महत्या के मामले बढ़े हैं.
- मुंबई में आत्महत्याओं के मामलों में 13.5 और तमिलनाडु में 11.5 फीसदी की बढोत्तरी देखी गई है.
Ncrb Report आत्महत्या के मामले में तीसरे नंबर पर MP, एक साल में 14 हजार से ज्यादा लोगों ने मौत को गले लगाया - एमपी में आत्महत्या के मामले बढ़े
एनसीआरबी की ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 2020 के मुकाबले 2021 में आत्महत्या के मामलों में 9.1 फीसदी की बढोत्तरी हुई है. आत्महत्या के मामले में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है. देश में सबसे ज्यादा लोगों ने आत्महत्याएं मायानगरी मुंबई में की हैं, जबकि दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है. Ncrb Report ,MP at number three
देश के 19 शहरों में से कोलकाता में दुष्कर्म के मामले सबसे कम
आधे मामले सिर्फ 5 राज्यों में :देशभर में आत्महत्या के मामलों की बात की जाए तो 2021 में 1 लाख 64 हजार 33 लोगों ने आत्महत्या की है, जबकि इसके एक साल पहले यानी 2020 में 1 लाख 53 हजार 52 लोगों ने आत्महत्या की थी. एनसीआरबी के आंकड़ों को देखें तो पांच राज्यों में ही देश भर में हुई आत्महत्याओं के 50.4 फीसदी मामले आए हैं, जबकि बाकी मामले देश के 23 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के हैं. यानी सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले मुंबई, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में सामने आए हैं. जो देशभर में सामने आए सुसाइड के केस का 50 फीसदी से ज्यादा है.
कांग्रेस ने सरकार को घेरा:मध्यप्रदेश में आत्महत्याओं के बढ़ते मामलों को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया है. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि 75 साल के इतिहात में सबसे ज्यादा युवाओं ने आत्महत्या की है. जिसमें अधिकतर मामले रोजगार चले जाने, बेरोजगार रहने और कर्ज न चुकाने पाने जैसे कारणों ने युवाओं की जिंदगी छीन ली. शर्मा ने इन आंकड़ो को शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने आरोप लगाया कि देश में दिहाडी मजदूर, कारगार, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों द्वारा सबसे ज्यादा आत्महत्या की हैं. देश की कुल आत्महत्याओं की 25 फीसदी आत्महत्याएं इसी वर्ग से हैं.