भोपाल।शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुके हैं और आज नवरात्रि का दूसरा दिन है. नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है- नौ रातें. इन नौ रातों और दस दिन के दौरान शक्ति देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है. दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है. मां दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरुप देवी ब्रह्मचारिणी का है. यहां ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या हैं. ब्रह्मचारिणी अर्थात तप की चारिणी-तप का आचरण करने वाली कहा जाता है. वेदस्तत्वं तपो ब्रह्म-वेद, तत्व और तप ब्रह्म शब्द के अर्थ हैं. ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य हैं. इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता हैं. (Navratri 2022 2nd Day Maa Brahmacharini Puja Vidhi )
ऐसे खत्म होंगे दुर्गण और दोष: देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना (Worship of Brahmacharini) से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है. जीवन की कठिन समय में भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है. देवी अपने साधकों की मलिनता, दुर्गणों और दोषों को खत्म करती है. देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि तथा विजय की प्राप्ति होती है. नवरात्र के दूसरे दिन में मां के (Brahmacharini) ब्रह्मचारिणी एवं तपश्चारिणी रूप को पूजा जाता है. जो साधक मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है और जीवन में वे जिस बात का संकल्प कर लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं.
मां ब्रह्मचारिणी प्रिय फूल, ऐसे पूरी होगी मनोकामना: माता ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान पुष्पों में कमल उन्हें चढ़ाया जाता है तो यह बेहद शुभ माना जाता है. पंडित विष्णु राजोरिया के अनुसार ब्रह्मचारिणी का स्वरूप जिस रूप में है, जिसमें तपस्या और ब्रह्मचर्य का पालन है. ऐसे में जो भी लोग पूजा के दौरान माता ब्रह्मचारिणी को कमल का फूल अर्पित करता है तो इससे उनकी मनोकामना पूरी होती है. देवी को बरगद (वट) वृक्ष का फूल पसंद है, इसका रंग लाला होता है. (Maa Brahmacharini Favourite Flower)
ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग और रंग:पंडित विष्णु राजोरिया के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी का स्वरूप दूसरा रूप कहा जाता है. ऐसे में माता को भोग लगाने के लिए सिर्फ एक विशेष वस्तु का उपयोग किया जाए तो आपकी मनोकामना की पूर्ति होती है. माता ब्रह्मचारिणी को मिश्री या शक्कर का भोग अगर लगाया जाता है, तो माता प्रसन्न होती हैं. इसलिए नवरात्र के दूसरे दिन जब माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जा रही हो, तब देवी को शक्कर और पंचामृत का भोग लगाया जाए. देवी को इसका भोग लगाने से दीर्धायु का आशीष मिलता है. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की लाल रंग शुभ माना गया है. (Maa Brahmacharini Puja Color)