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यहां अनपढ़ भी बोलते हैं धारा प्रवाह संस्कृत, दिल से देसी Nari Shakti कर रही है संस्कृत भाषा का प्रसार

दुनिया में संस्कृत भाषा को देवभाषा का दर्जा प्राप्त है और ये ईसा से 3 हजार साल पहले से बोली जा रही है. इस दौर में संस्कृत भाषा की सांसों को मजबूत करने का काम राजगढ़ जिले का झिरी गांव कर रहा है. इस गांव की 80 फीसदी से ज्यादा आबादी संस्कृत भाषा में ही संवाद करती है और यहां की नारी शक्ति ने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार का जिम्मा उठा रखा है. (Nari Shakti)(Indian Independence Day)

Nari Shakti MP Rajgarh Jhiri village speaks only Sanskrit Indian Independence Day Special
मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले का झिरी गांव एक ऐसा गांव है जहां के लोग संस्कृत में ही बातें करते हैं

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Published : Aug 10, 2022, 5:48 PM IST

Updated : Aug 10, 2022, 6:48 PM IST

भोपाल/राजगढ़।मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले का झिरी गांव एक ऐसा गांव है जहां के लोग संस्कृत में ही बातें करते हैं. यहां की बोल-चाल की भाषा संस्कृत है. मीडिया और सोशल मीडिया पर संस्कृत गांव के तौर पर प्रचारित हो चुके इस गांव की नारी शक्ति जिन गांवों में ब्याह कर गई हैं वे वहां नए संस्कृत गांव तैयार कर रही हैं. इस गांव की खास बात ये है कि यहां 6 बरस के बच्चे से लेकर 60 बरस के बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि गांव की दीवारें भी संस्कृत में ही बोलती हैं. अगर आप एमपी के इस गांव को देखना चाहते हैं तो पहले संस्कृत सीख लीजिए. "झिरी ग्रामे भवताम स्वागतम् अस्ति...अहं भवताम किदृशी सहायतां शकनोमि..." अर्थात झिरी गांव में आपका स्वागत है. मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूं ?

झिरी गांव की दीवारें भी संस्कृत में संवाद करती हैं

ताकि संस्कृत की सांसे चलती रहें :जिस संस्कृत भाषा को देवभाषा का दर्जा हासिल है, जो ईसा से तीन हजार साल पहले से बोली जा रही है, आज भी उस भाषा की डोर थामे हुए है राजगढ़ जिले का ये झिरी गांव. इस गांव की 80 फीसदी से ज्यादा आबादी संस्कृत भाषा में ही संवाद करती है. 1,400 की आबादी वाले इस गांव में 6 बरस के बच्चे से लेकर 60 बरस तक के बुजुर्ग सभी संस्कृत में ही बात करते हैं. खास ये है कि इनमें वे लोग भी हैं जिन्होंने बुनियादी शिक्षा भी नहीं ली, लेकिन संस्कृत धारा प्रवाह बोलते हैं. सीमा चौहान उन्हीं में से एक हैं. सीमा ने स्कूल का मुंह नहीं देखा लेकिन, उन्हें संस्कृत बोलते हुए सुनने के बाद लगता है कि वे संस्कृत की कोई आचार्य हैं.

दुर्गा परमार और राम शिला परमार का संस्कृत भाषा में संवाद

Nari Shakti बनीं संस्कृत का संदेश :अपने साथ संस्कृत का संस्कार लेकर विवाह के बाद दूसरे गांवों में गई बेटियां अब उन गांवों में भी संस्कृत के बीज बो रही हैं. समाज में परिवर्तन परिवार से आता है. लिहाजा पहले अपने परिवारों में ही ये बेटियां संस्कृत में संवाद का माहौल बनाती हैं. परिवारजनों को संस्कृत सिखाती हैं. इन बेटियों के ये प्रयास झिरी के बाद मध्यप्रदेश में नए संस्कृत गांव की बुनियाद बन रहे हैं. झिरी गांव की बेटी दुर्गा परमार उन्हीं में से एक हैं, जो ब्याह के बाद जब दूसरे गांव गईं तो इस संकल्प के साथ कि संस्कृत मायके के बाद उसके ससुराल में भी बोली जाए. दुर्गा विवाह के बाद अपने गांव में संस्कृत शिविर चलाती रहीं. अब तो वो संस्कृत की शिक्षिका बन गई हैं. (Azadi ka Amrit Mahotsav)

22 साल का तप, अब पूरा गांव संस्कृत बोलने लगा :शुरुआत एक से ही होती है. 2002 में समाज सेविका विमला तिवारी ने यहां गिनती के लोगों के साथ संस्कृत भाषा सिखाने की शुरुआत की. संस्कृत भारती का ये प्रयास कुछ महीनों में ही रंग लाने लगा. खास ये है कि जिन ग्रामीणों ने औपचारिक शिक्षा भी नहीं ली. वे भी गांव में सारी बातचीत धारा प्रवाह संस्कृत में ही करते हैं.

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गांव में 17 संस्कृत गृहम भी :इस झिरी गांव में 17 संस्कृत गृहम भी हैं, यानी कि वो परिवार जहां परिवार के सभी सदस्य केवल संस्कृत में ही संवाद करते हैं. जिस परिवार में सभी सदस्य संस्कृत में संभाषण करते हों, उनके घरों पर संस्कृत गृहम लिखा जाता है. यहां घरों की विशिष्टता धन संपदा से नहीं, बल्कि इस संस्कृत गृहम की उपलब्धि पा लेने के साथ होती है. ऐसे घर गांव में विशेष माने जाते हैं.

राजगढ़ जिले का झिरी गांव एक ऐसा गांव है जहां के लोग संस्कृत में ही बातें करते हैं

संस्कृत में कोरोना से बचाव का संदेश भी :संस्कृत में ही ये गांव सद्भाव के और स्वच्छता के संदेश देता है. जब कोरोना आया तो इस संक्रामक बीमारी से बचाव का संदेश भी संस्कृत में सुन लीजिए. "कृपया आपेक्षित शारीरिक अंतरम स्थापयतू तथा च मुख आवरण पट्टिका अपि स्थापनीया".

(Nari Shakti)(Dil Se Desi)(Indian Independence Day)(MP Sanskrit village )

Last Updated : Aug 10, 2022, 6:48 PM IST

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