भोपाल।मध्य प्रदेश सरकार नेपुलिस कमिश्नर सिस्टम (mp police commissioner system)को हरी झंडी दे दी है. इंदौर और भोपाल (police commissioner system in bhopal or indore) में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो गया है. सीएम शिवराज सिंह ने प्रेजेंटेशन देखने के बाद पुलिस कमिश्नर सिस्टम को मंजूरी दे दी. अब पुलिस आयुक्त सर्वोच्य पद होगा. इस सिस्टम के तहत जिले को कई जोन में बांटा जाएगा. हर जोन में डीएसपी स्तर का अधिकारी प्रभारी होगा जो सीधे पुलिस कमिश्नर को रिपोर्ट करेगा. जल्द ही इस बारे में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है.
पुलिस को मिलेंगे जिला प्रशासन के 14 अधिकार
मध्यप्रदेश में कमिश्नर प्रणाली का सेटअप उत्तर प्रदेश के वाराणसी और लखनऊ की तरह होगा. इसमें जिला प्रशासन के 14 अधिकारों को पुलिस को सौंपा जा सकता है. जिसमें गुंडा नियंत्रण अधिनियम (Gunda Control Act) के तहत पुलिस किसी भी अपराधी को जिला बदर करने के अधिकार दिए जाएंगे. अभी पुलिस ऐसे अपराधियों की सूची तैयार कर कलेक्टर को भेजती है. इसके बाद कलेक्टर इस पर अंतिम निर्णय करता है. सुरक्षा को लेकर इस्तेमाल की जाने वाली प्रतिबंधात्मक धाराएं 107, 116, 144, 133 पुलिस एक्ट (Police Act) को लागू करने के अधिकार पुलिस को सौंपे जाएंगे. विस्फोटक अधिनियम इसमें पटाखों, बंदूक की दुकानों आदि की जांच जिला प्रशासन के अधिकारी करते हैं , यह अधिकार अब पुलिस के पास आ जाएंगे. बंदूक लाइसेंस (gun license) की अनुमति भी पुलिस देगी. इसके साथ ही कई अन्य अधिकार भी पुलिस कमिश्नर की सहमति से ही लागू किए जा सकेंगे.
- पुलिस कमिश्नर (Police Commissioner System)लागू होने के बाद कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम और तहसीलदार को दी गई मजिस्ट्रियल पावर पुलिस को मिल जाएगी.
- इससे पुलिस शांति भंग होने की आशंका में धारा 155 के तहत व्यक्ति पर कार्रवाई कर सकती है. ऐसी स्थिति में अभी जमानत के अधिकार एसडीएम को होते हैं, लेकिन कमिश्नरी के बाद यह अधिकार खत्म हो जाएंगे.
- गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका लगाने के लिए अभी थाने से पुलिस अधिक्षक से यह प्रस्ताव डीआईजी को भेजे जाते हैं और फिर इन्हें कलेक्टर कार्यालय भेजा जाता है, इसके बाद कलेक्टर के विवेक पर कार्रवाई की जाती है. पुलिस कमिश्नरी के बाद पुलिस कमिश्नर इस पर निर्णय ले सकेंगे.
- कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाने का सीधा अधिकारी पुलिस दे सकेगी और नगर निगम को इस पर अमल करना होगा.
- धरना-प्रदर्शन की अनुमति देने का अधिकारी पुलिस के पास आ जाएगा.