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mp legislative assembly winter session: 20 से 24 तक 5 दिन के सत्र में जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरेगी कांग्रेस - मध्य प्रदेश में 20 से 24 दिसंबर चलेगा शीतकालीन सत्र

मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र (mp legislative assembly winter session)20 दिसंबर से शुरू (winter session will start on 20-24 December 2021)हो रहा है,जो 24 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है.

mp legislative assembly winter session
त्र में जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरेगी कांग्रेस

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Published : Dec 3, 2021, 9:04 PM IST

भोपाल।मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र (mp legislative assembly winter session)20 दिसंबर से शुरू (winter session will start on 20-24 December 2021)हो रहा है,जो 24 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है. कांग्रेस प्रदेश में बदहाल कानून व्यवस्था, किसानों की समस्या, बढ़ती बेरोजगारी, ओबीसी आरक्षण और कोरोना महामारी में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली जैसे मुद्दों को लेकर सरकार को घेरेगी. कांग्रेस का आरोप है कि सत्र की अवधि छोटी रखकर सरकार अहम मुद्दों पर चर्चा से बचना चाह रही है लेकिन हम जनहित के मुद्दों को लेकर सरकार से सवाल पूछने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे.

त्र में जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरेगी कांग्रेस
सरकार अपना रही है तानाशाही रवैयाविधानसभा के शीतकालीन सत्र (mp legislative assembly winter session) की अवधि छोटी रखने को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया है. कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना का आरोप है कि सत्र की अवधि को लेकर पक्ष और विपक्ष बैठकर आपसी सामंजस्य के साथ काम करते थे, लेकिन अब सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है. सक्सेना ने कहा कि सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है इसलिए चर्चा से बचना चाह रही है. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार न तो कोरोना से ढंग से लड़ पाई हैं और ना अब तक ऑक्सीजन प्लांट ही बन पाए हैं. प्रदेश के आर्थिक हालात कमजोर हैं और कामकाज ठप पड़े हुए हैं. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अधिकारियों को डराने धमकाने का काम कर रहे हैं जो कि उन्हें शोभा नहीं देता है. सक्सेना ने कहा कि सत्र भले ही छोटा हो लेकिन हम जनहित के मुद्दों पर डटकर अपनी बात रखेंगे.ध्वनिमत से कानून पास कराने का रिकॉर्ड बना रही है सरकारकांग्रेस का आरोप है कि बीते 3 साल में विधानसभा की केवल 43 बैठकें हुई हैं, जबकि पहले 5 साल में विधानसभा में लगभग 300 बैठकें होती थीं जो अब घटकर 100 से 125 तक आ गई हैं. पार्टी के प्रवक्ताओं का आरोप है कि पिछले लंबे समय से विधानसभा में किसी गंभीर मुद्दे पर कोई सार्थक चर्चा नहीं हुई है. बीते 2 साल में जितने भी कानून विधानसभा में पारित हुए हैं, किसी पर भी 2 मिनट चर्चा नहीं कराई गई. विधानसभा में ध्वनिमत से कानून बनाने की नई परिपाटी बनती जा रही है. कांग्रेस सरकार के कार्यकाल का हवाला देते हुए सलूजा ने कहा कि मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह के पहले कार्यकाल में 282 बैठकें हुईं, उनके दूसरे कार्यकाल में 288 बैठकें हुई. इसके बाद भाजपा के पहले कार्यकाल 2003 से 2008 में 159 बैठकें,दूसरे कार्यकाल 2008 से 2013 में 170 बैठकें और तीसरे कार्यकाल 2013 से 2018 में मात्र 135 बैठकें हुईं, जबकि मौजूदा कार्यकाल में कांग्रेस और भाजपा की सरकारों में बीते 3 साल में अभी तक केवल 43 बैठके हुई हैं.

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