भोपाल। मध्य प्रदेश के लोग कितने खुश हैं, इसका पता सरकार पिछले चार साल में भी नहीं लगा सकी. मध्य प्रदेश में हैप्पीनेस इंडेक्स निकालने की कवायद पिछले चार सालों से की जा रही है. इसके लिए आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों से इसका एमओयू किया गया, लेकिन इसका सर्वे पिछले साल भी नहीं हो सका. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक बार फिर इसे टाल दिया गया है. संस्थान के पदाधिकारियों के मुताबिक कोरोना की स्थितियां सामान्य होने के बाद सर्वे कराया जाएगा.
5 साल पहले बना था राज्य आनंद संस्थान, ये था उद्देश्य
राज्य सरकार ने नया प्रयोग करते हुए आनंद विभाग मंत्रालय का गठन कर मध्य प्रदेश राज्य आनंद संस्थान बनाया था. इसका उद्देश्य था कि आनंद और सकुशलता को मापने के पैमानों की पहचान की जा सके और आनंद का प्रसार करने के लिए विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित कर कार्य किए जा सके. इसके तहत हैप्पीनेस इंडेक्स बनाने की कवायद शुरू की गई, ताकि पता किया जा सके कि प्रदेश में लोगों की खुशी का पैमाना कितना है. इसके लिए विभाग ने आईआईटी रुड़की से एमओयू किया गया. हैप्पीनेस इंडेक्स की गणना के लिए आईआईटी खड़गपुर द्वारा प्रदेश के 10 जिलों के 3-3 सर्वेयर को ट्रेंड कर पायलेट सर्वे कार्य भी किया गया है. आईआईटी खड़गपुर के साथ मिलकर संस्थान द्वारा हैप्पीनेस इंडेक्स हेतु आवश्यक प्रश्नावली तैयार कर ली गई है.
हैप्पीनेस के लिए 70 प्रश्नों का तैयार किया गया ड्राफ्ट, नहीं हो सका सर्वे
एमओयू के बाद आईआईटी खड़गपुर द्वारा विश्वभर में हैप्पीनेस इंडेक्स पर अब तक हुए सर्वे का अध्ययन किया गया. इस अध्ययन में मुख्य रूप से हैप्पीनेस इंडेक्स, ग्लोबल सर्वे, रूरल नेशनल हैप्पीनेस, भूटान और कैनेडियन इंडेक्स ऑफ वेलबीइंग, यूएसए ग्रास नेशनल हैप्पीनेस तथा करीब 16 शहरों के हैप्पीनेस इंडेक्स को शामिल किया गया. हैप्पीनेस का स्तर नापने के लिए 14 डोमेन तय किए गए और उसके लिए करीबन 70 सवालों का ड्राफ्ट, सर्वेक्षण प्रश्नावली तैयार की गई. इस प्रश्नावली के आधार पर मध्य प्रदेश में हैप्पीनेस इंडेक्स तैयार करने के लिए एक ड्राफ्ट (प्रस्ताव) तैयार किया गया, जिसमें सर्वेक्षण पद्धति, सैम्पल साइज, डाटा विश्लेषण के तरीके और रिपोर्ट का फार्मेट आदि शामिल किए गए.
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