भोपाल। आर्थिक तंगी से जूझ रही मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार एक बार फिर से खुले बाजार से कर्ज लेने जा रही है. इस बार सूबे की हुक्मरान बाजार से 2 हजार करोड़ का कर्जा लेने का फैसला लिया है. कर्ज की अवधि 10 साल की रहेगी. सूत्रों के मुताबिक शिवराज सरकार बाजार से करीब 7 फीसदी की ब्याज दर से यह लोन उठाने की तैयारी में है.
विपक्ष को मिला हथियार: विधानसभा सत्र की शुरुआत में ही सामने आए सरकार के इस फैसले पर सदन में हंगामा मचने के पूरे आसार हैं. प्रदेश पर अभी 2 लाख 95 हजार करोड़ का कर्जा है. इसके बावजूद सरकार फिर से 2 हजार करोड़ का लोन लेने जा रही है. मध्यप्रदेश पर बढता आर्थिक कर्जा विपक्ष के लिए हमेशा से एक सियासी हथियार रहा है. सत्ताधारी दल इसे विकास योजनाओ के क्रियान्वयन का हवाला दे जरूरी ठहरा रहा है वहीं विपक्ष कर्ज के नाम पर बाकी देनदारी को लेकर सरकार को घेरने को कोई मौका चूकना नहीं चाहेगा.
प्रति व्यक्ति पर होगा 47 हजार का कर्ज : मध्य प्रदेश सरकार पर वित्तवर्ष 2017-18 में मध्यप्रदेश पर 1 लाख 54 हजार करोड़ का था कर्जा था. जो प्रदेश में प्रतिव्यक्ति 21 हजार रूपये था, लेकिन यह कर्जा कम होने के बजाए और बढ़ता गया.
-वित्त वर्ष 2018-19 में मध्यप्रदेश पर कर्जा बढकर 1 लाख 94 हजार करोड़ हो गया. प्रदेश में प्रति व्यक्ति 25 हजार के कर्जे में था.
-2019-20 में प्रदेश पर कर्जा 2 लाख 31 हजार करोड़ और प्रतिव्यक्ति कर्ज की दर 29 हजार रूपये हो गई.
-2020-21 में मध्यप्रदेश सरकार पर कर्जा 2 लाख 89 करोड़ का कर्जा था जो 2021-22 में बढकर 3 लाख 32 हजार करोड़ हो गया. इसी साल मध्यप्रदेश के प्रत्येक नागरिक 41 रूपये का कर्जदार रहा.
- वित्त बर्ष 2022 -23 में अनुमानित कर्जा 3 लाख 83 हजार करोड़ हो सकता है. जिसमें प्रदेश का प्रत्येक नागरिक 47 हजार रूपये का कर्जदार होगा.