भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव (MP Local Body Election) का बिगुल बज चुका है. नगर पालिका से लेकर नगर परिषद में कई युवा उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी सियासी किस्मत आजमाने उतरे हैं. इसमें कई ऐसे भी हैं जिनकी उम्र 21 और 22 साल है. ऐसे उम्मीदवार यदि पार्षद का चुनाव जीत भी गए तब भी अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी नहीं कर सकेंगे. क्योंकि शिवराज सरकार नगरीय निकाय चुनाव के नियमों में एक बड़ा बदलाव करना भूल गई. निर्वाचन नियमों में संशोधन न किए जाने से यह स्थिति बनी है. पार्षद के चयन की उम्र तो 21 साल या इससे अधिक रखी गई, लेकिन नगर पालिका और परिषद अध्यक्ष के लिए उम्र को 25 साल और उससे अधिक ही रखी गई है.
महापौर के प्रत्यक्ष चुनाव को लेकर अध्यादेश लाई थी सरकार: प्रदेश सरकार निकाय चुनाव में महापौर के प्रत्यक्ष चुनाव को लेकर 25 मई को अध्यादेश लेकर आई थी. इसमें प्रावधान किया गया कि महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा, जबकि नगर पालिका और नगर परिषद के चुनाव अप्रत्यक्षण प्रणाली से कराए जाएंगे. यानी नगर पालिका और नगर परिषद में जो उम्मीदवार चुनकर आएंगे, वह अध्यक्ष का चुनाव कराएंगे. जबकि पूर्व में महापौर की तरह नगर पालिका अध्यक्ष और नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव में डायरेक्ट होते थे, लेकिन इस बाद जब इसमें बदलाव किया गया तो उम्मीदवार की उम्र को नहीं बदला गया.
छत्तीसगढ़ सरकार उम्र में कर चुकी है संशोधन:छत्तीसगढ़ सरकार तीन साल पहले ही नगर पालिका अध्यक्ष की उम्र को घटाकर 21 साल कर चुकी है. 2019 में लाए गए अध्यादेश में नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष की न्यूनतम आयु सीमा को घटा कर 21 साल किया जा चुका है. इसी तरह महापौर के चुनाव की प्रक्रिया अप्रत्यक्ष कर दी गई थी और इसके बाद पार्षद के चुनने की उम्र को भी 21 साल कर दिया गया था. पूर्व में यह आयु सीमा 25 साल थी.