भोपाल।मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने एक बड़ा फैसला लिया है. इसके तहत प्रदेश के स्कूलों में अब हिंदी, अंग्रेजी के साथ-साथ तेलुगू, मराठी और पंजाबी जैसी अन्य राज्यों की भाषाएं भी पढ़ाई और सिखाई जाएंगी. स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि-" मध्य प्रदेश देश का हृदय स्थल है और मध्य प्रदेश देश भर में पहला राज्य होगा,जहां अन्य राज्यों की भाषाओं को सिखाने का यह प्रयोग होगा".
गैर हिंदी भाषियों में ऐसे बढ़ेगा हिंदी के प्रति सम्मान
राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि- "मध्य प्रदेश का विद्यार्थी अगर तमिल जानता है, तो तमिलनाडु में जाकर उनकी भाषा में उनसे बात करेगा तो वहां के लोगों को लगेगा कि हिंदी भाषी लोग हमारी मातृभाषा का सम्मान करते हैं, तो स्वाभाविक रूप से हिंदी के प्रति उनका सम्मान बढ़ेगा और हिंदी के प्रति उनका विरोध स्वाभाविक रूप से समाप्त हो जायेगा.
प्रदेश के 52 जिलों के 53 स्कूलों में सिखाई जायेगी अन्य राज्यों की भाषाएं
इंदर सिंह परमार ने कहा कि- "तेलगु क्यों नहीं सीखनी चाहिए, मराठी क्यों नहीं सीखनी चाहिए, पंजाबी क्यों नहीं सीखनी चाहिए? भिन्न भिन्न राज्यों की भाषाएं मध्य प्रदेश का विद्यार्थी क्यों नहीं सीख सकता ? क्या भाषा जोड़ने का आधार नहीं बन सकतीं ? प्रदेश भर में हमने 52 जिलों में 53 स्कूलों का चयन किया है, जिसमें शाजापुर का भी एक स्कूल शामिल है. ईएफए के अंतर्गत ओपन बोर्ड के अधीन करके इन स्कूलों में हमने नए प्रयोग शुरू कर दिए हैं. इन 53 स्कूलों में हम देश भर के विभिन्न प्रांतों में बोली जाने वाली भाषाएं सिखाएंगे. हमारे विद्यार्थियों को अन्य प्रांतों की भाषाओं का ज्ञान भी होना चाहिए".
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बता दें कि मध्य प्रदेश में सीएम राइज योजना के तहत फिलहाल 360 सर्वसुविधा संपन्न स्कूल शुरू करने का प्रस्ताव है. इन स्कूलों में विद्यार्थियों को सभी आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी. सरकार इन स्कूलों में योग, कला और संस्कृति आदि विषय भी पढ़ाएगी. इन स्कूलों में 8 तरह के लैब बनाये जाएंगे. स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि आने वाले समय में हमारे प्रदेश के बेटे और बेटियां यह सोचने पर मजबूर होंगे कि इन सभी सुविधाओं के साथ पढ़ने का अधिकार तो आजादी के बाद हमारे संविधान ने हमें दे दिया था, लेकिन इसके लिए 75 साल क्यों इंतजार करना पड़ा ?
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गणतंत्र दिवस 2022 को एक बड़ा ऐलान किया था, जिसमें सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश में इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई हिंदी में भी कराई जाएगी. सीएम ने इसका ऐलान इलसिए किया ताकि प्रदेश के छात्र अपनी मातृभाषा में भी इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई कर सकें. सीएम की बात को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा कि हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रोफेशनल कोर्स को भी अब हिंदी में पढ़ाया जाएगा. उन्होंने कहा कि पहले भी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक हुई है, जिसमें इस बात पर चर्चा हो चुकी है. उन्होंने कहा कि दुनिया के कई ऐसे देश हैं जैसे चीन, जापान, जर्मनी, फ्रांस जो अपनी मातृभाषा में बच्चों को पढ़ाते हैं, अब यही हमारा भी उद्देश्य है. इसलिए अब अपने देश में भी अपनी-अपनी मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प खोल दिया गया है. उनका यह भी कहना है कि अगले सत्र से इसकी शुरूआत हो जाएगी.