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'बा- मुआवजा' होशियार, कैसे हुआ 31 जिलों में 'जीरो डेथ' का चमत्कार, जवाब दो सरकार

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Published : Jun 1, 2021, 9:18 PM IST

मध्यप्रदेश में जैसे सबकुछ मंगल है. बीते 31 मई को प्रदेश के कई जिलों में कोरोना से मौत का एक भी मामला सामने नहीं आया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एमपी से कोराना की विदाई हो रही है...या फिर यह कोई सरकारी चमत्कार है? या फिर मुआवजा बांटने से बचने की सरकारी बाजीगिरी.

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31 जिलों में 'जीरो डेथ' का चमत्कार

भोपाल।मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से जारी किए गए कोरोना संक्रमण के आंकड़े तो यही बताते हैं कि प्रदेश में जैसे सबकुछ मंगल है. बीते 31 मई को प्रदेश के 31 जिलों में कोरोना से मौत का एक भी मामला सामने नहीं आया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एमपी से कोराना की विदाई हो रही है...या फिर यह कोई सरकारी चमत्कार है? आंकड़ों में सरकार दिखा रही है कि अब प्रदेश में फिर से सुख भरे दिन आ रहे हैं..जबकि दूसरी तरफ लोगों का दुख कम होने का नाम नहीं ले रहा है. अपनों को खो चुके लोग अब उनके मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, लेकिन उन्हें जो प्रमाणपत्र थमाए जा रहे हैं वे सामान्य मौत के हैं, जबकि मरने वाले का कोविड का इलाज हुआ, अंतिम संस्कार भी कोविड प्रोटोकॉल के तहत हुआ फिर सामान्य मौत का सर्टिफिकेट क्यों? आखिर क्या छुपाना चाहती है सरकार ? और क्यों छुपाना चाहती है. जानिए इस रिपोर्ट में.

31 जिलों में 'जीरो डेथ' का चमत्कार

31 मई प्रदेश के आंकड़े

मध्यप्रदेश में सोमवार को 1,205 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं, संक्रमितों की संख्या 7,80,030 हो गई है. सोमवार को कोरोना संक्रमित 48 मरीजों की मौत हुई है, मरीजों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 8,067 हो गया है. 5,023 संक्रमित मरीज स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं. अब तक प्रदेश में 7,48,573 मरीज स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं, जबकि 23,390 मरीज एक्टिव हैं.

31 जिलों में 'जीरो डेथ' का चमत्कार
  • प्रदेश के 52 में से 31 जिले ऐसे थे जहां कोरोना से मौत का एक भी मामला सामने नहीं आया.
  • इन जिलों में भोपाल, रतलाम,खरगोन, होशंगाबाद, सीहोर, शहडोल, सीधी, रायसेन, बालाघाट, मंदसौर.मुरेना, नीमच, झाबुआ, पन्ना, दतिया, टीकमगढ़, सिवनी, छिंदवाडा, शाजापुर, उमरिया, मंडला,गुना, डिंडौरी, खंडवा, श्योपुर, निवाड़ी, अशोकनगर, अलीराजपुर, भिंड और बुरहानपुर शामिल हैं.

    भोपाल का सच तो सुनो !
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सबसे पहले बात कर लेते हैं राजधानी भोपाल की.

  • मध्यप्रदेश सरकार के 31 मई 2021 को जारी किए गए हेल्थ बुलेटिन में भोपाल में कोरोना वायरस से होने वाली मौतें 'शून्य'थीं.
  • राजधानी में सोमवार को 245 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलें, अब तक संक्रमितों की कुल संख्या 1,20,872 हो गई है. सोमवार को एक भी कोरोना संक्रमित मरीज की मौत नहीं हुई है.
  • राजधानी में सोमवार तक कुल 933 मरीज कोरोना संक्रमण की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं. सोमवार को कुल 1,264 मरीज कोरोना से जंग जीतकर घर लौटे हैं.
  • भोपाल में अब तक 1,13,502 मरीज स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं. जबकि 6,437 कोरोना मरीज अब भी एक्टिव हैं.

डेथ रेट जीरो, तो श्मशान घाट पर पहुंचे शव किसके?

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सरकार के आंकड़ों की सच्चाई जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी के प्रमुख विश्राम स्थलों का रुख किया. भोपाल के भदभदा विश्रामघाट समिति के अध्यक्ष अरुण चौधरी ने बताया कि.

  • 30 मई को यहां 8 मृत देहों का अंतिम संस्कार किया गया जिसमें 4 अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत हुए जबकि 4 सामान्य.
  • 31 मई को 14 अंतिम संस्कार किए गए जिनमें 6 कोविड प्रोटोकॉल के तहत और 8 सामान्य अंतिम संस्कार हुए.
  • सवाल यह है कि 14 में जिन 6 शवों का कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया वे शव किसके थे. क्या ये मौतें कोरोना से नहीं हुईं थी. अगर मौत कोरोना से नहीं हुई तो अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत क्यों. अगर अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत तो डेथ सर्टिफिकेट सामान्य मौत का क्यों. यह गड़बड़झाला ही सरकार के आंकड़ों को लेकर संदेह पैदा करता है.

कहीं मृत्यु प्रमाण पत्र का इंतजार, कहीं मुआवजे की आस, कैसे मिले योजनाओं का लाभ?

आंकड़ों की बाजीगरी पर गर्माई सियासत

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मप्र शासन के संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा जारी हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक 31 मई को भोपाल में 245 नए कोरोना संक्रमित पाए गए और कोरोना से मौतें जीरो यानि शून्य दर्शाई गई हैं.जबकि अब तक भोपाल में 933 लोगों की मौत सरकारी आंकड़़ों के हिसाब से हुई है. श्मशान घाटों पर रोजाना आ रहे शव कोविड से हो रही मौतों की पुष्टि करते हैं , बावजूद इसके सरकार आंकड़ों की बाजीगरी करके प्रदेश में मौतों का आंकड़ा घटने का 'चमत्कार' दिखा रही है. इसे लेकर प्रदेश में सियासत भी गर्माई हुई है. पूर्व सीएम कमलनाथ और कांग्रेस खुल कर सरकार पर मौतों का आंकड़ा छुपाने का आरोप लगा चुके हैं. भोपाल सहित प्रदेश के दूसरे जिलों में कांग्रेस विधायकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. धरना प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन शायद अभी सरकार की नींद नहीं टूटी है.

कोरोना से हुई मौत डेथ सर्टिफिकेट पर लिखा सामान्य मौत

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भोपाल से कुछ ही दूर विदिशा जिले में कई लोगों की मौत कोरोना से हुई है, लेकिन अब उनके परिजन मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भटक रहे हैं. ऐसे एक दो नहीं बल्कि कई मामले हैं. विशाल रघुवंशी का कहना है कि उसके पिताजी 4 दिन पहले विदिशा के ही हॉस्पिटल में एडमिट हुए थे 10 घंटे उनका इलाज चला जिसके बाद उन्होंने दम तोड़ दिया डॉक्टरों ने कहा कि कोरोना से मौत हुई है, लेकिन मृत्यु सर्टिफिकेट में लिख रहे हैं कि मेरे पिताजी की कोरोना से मौत नहीं हुई है. ऐसा ही मामला विदिशा के ही घनश्याम मीणा का है घनश्याम कहते हैं कि मेरे पिताजी की विदिशा मेडिकल कॉलेज में कोरोना से मौत हो गई, मुझे उनकी बॉडी भी नहीं दी गई अब मृत्यु प्रमाणपत्र भी नहीं दिया जा रहा है, मैं लगातार तीन दिन से चक्कर काट रहा हूं. जिले में कोरोना महामारी से मौत के मामले का विदिशा के मुक्तिधाम, कब्रिस्तान एवं जिला प्रशासन द्वारा भोरघाट में बनाए गए अस्थाई मुक्तिधाम से कोविड प्रोटोकॉल के तहत हुए अंतिम संस्कार का आंकड़ा 545 के करीब है, लेकिन मेडिकल कॉलेज द्वारा महज 178 मौत कोरोना से होने की जानकारी दी गई है.
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ग्वालियर में भी यही हाल

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कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने नगर निगम प्रशासन पर सवाल खड़े किए उन्होंने कहा कि जिन लोगों की कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण मौत हुई है, उनके मृत्यु प्रमाण पत्र पर कॉज ऑफ़ डेथ में कोविड-19 नहीं लिखा जा रहा है .जिससे लोग परेशान हो रहे हैं. लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए विधायक खुद नगर निगम कार्यालय पहुंचे जहां अधिकारियों से उनकी जमकर बहस हुई.

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सतना में भी जारी है आंकड़ों का खेल

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ईटीवी भारत से बात करते हुए जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अशोक अवधिया ने बताया कि अभी तक हेल्थ बुलेटिन के अनुसार यह स्पष्ट है कि वर्ष 2020 से लेकर वर्ष 2021 तक 110 लोगों की मृत्यु कोविड-19 से हुई है, और वर्तमान में हम कोविड-19 के मरीजों में कमी लाने में सफल हुए हैं, जिलेभर में कोविड-19 के 965 बेड में केवल 90 बड़े ही भरे हुए हैं, और वर्तमान में मौत का आंकड़ा शून्य हैं, नगर निगम कमिश्नर तन्वी हुड्डा कहती है कि कोविड-19 की दूसरी लहर से अभी तक कुल 126 लोगों श्मशान घाट एवं कब्रिस्तान में दाह संस्कार के आंकड़े सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हैं. जबकि जिला कलेक्टर अजय कटेसरिया ने अपना पल्ला झाड़ते हुए गोलमोल जवाब दिया, कलेक्टर ने बताया किअभी कोविड से हुई मौतों की ऑडिट रिपोर्ट आ रही है, उसको लेकर कार्यवाही जारी है, हमारे यहां कुछ यूपी के भी मरीज भर्ती थे पन्ना और कटनी के भी मरीज यहां पर भर्ती थे, सभी की डेथ ऑडिट अभी हो रही है, सभी मृत्यु के कारणों की जांच हो रही है, आधिकारिक आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ रहा है

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स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से कम हो रहे हैं आंकड़े

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सरकार पर लगे कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा छिपाने के आरोप गहराते जा रहे हैं. इस मामले में कांग्रेस ने सीएम शिवराज सिंह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है. आगर-मालवा जिले के कांग्रेस जिलाध्यक्ष आरोप लगाते हैं कि स्वास्थ्य विभाग की मिली भगत से यह आंकड़ों की हेराफेरी की जा रही है. सरकार की तरफ से विभाग के अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है. विधायक विपिन वानखेड़े आरोप लगाते हैं कि शिवराज सरकार कोरोना से हुई मौत के आंकड़े इसलिए छिपा रही है, ताकि वह मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने से बच सके.

यह है मध्यप्रदेश में मुआवजे का गणित

  • मध्य प्रदेश में कोरोना से मरने वालों के परिवार को सरकार की ओर से 1 लाख रुपए मुआवजा राशि दी जाएगी.
  • मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह घोषणा की है, कि कोरोना से मरने वाले सरकारी कर्मचारियों के परिजनों को 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता और एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी.
  • अनुकंपा नियुक्ति योजना 1 मार्च 2021 से 30 जून 2021 तक ही लागू रहेगी.
  • मुआवजा योजना भी 30 मार्च 2021 से 31 जुलाई 2021 तक लागू रहेगी.


    ऐसे में सरकार पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि वह मुआवजा देने से बचने के लिए प्रदेश में कोरोना से हुई मौतों के आंकडों को लेकर भ्रम की स्थिति जानबूझ कर पैदा कर रही है. इसे लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है, प्रदेश में सियासत भी गर्माई हुई है. ऐसे में कोरोना काल के दौरान श्मशान घाटों पर हुए अंतिम संस्कार और स्वास्थ्य विभाग के मौतों के आंकड़ों के बीच का यह अंतर विपक्ष के सरकार के मुआवजा देने से बचने की कोशिश के आरोपों में दम नजर आता है.

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