देवास। कवि देवकृष्ण व्यास की एक कविता की कुछ पंक्तियों को लेकर बवाल मच गया है. आरोप है कि अपनी कविता में उन्होंनें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को देश का खलनायक बताया है. ETV BHART की टीम ने इस पूरे मामले पर कवि देवकृष्ण व्यास से बातचीत की.हालांकि उन्होंने इस पूरे मामले पर किसी तरह का खेद व्यक्त करने से इनकार करते हुए कहा कि गांधी हमारे पूज्यनीय हैं (Gandhi Poetry Controvers) कविता में उन्हें नायक कहा गया है, जबकि खलनायक देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार जिन्ना को बताया गया है. उन्होंने कहा कि लोगों ने अपनी समझ के मुताबिक इसका मतलब निकाल लिया. मुझे ऐसा लिखने और कहने पर किसी तरह का कोई खेद नहीं है.
राजकोट में हुआ था कविता पाठ:इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए मध्य प्रदेश के देवास के रहने वाले कवि देवकृष्ण व्यास ने ईटीवी से बातचीत के दौरान बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर पिछले दिनों जुलाई में गुजरात के राजकोट में अखंड काव्य महाकुंभ का आयोजन हुआ. (MP Gandhi Poetry Controversy) कार्यक्रम में देशभर से 75 कवि पहुंचे थे. यहीं मैने इस कविता का पाठ किया था. कविता को लोगों का खूब समर्थन मिला और वहां मौजूद भीड़ इसे फिर से सुनना चाहती थी. लोग वन्स मोर वन्स मोर की डिमांड कर रहे थे. कवि व्यास ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि मेरे द्वारा किए गए काव्यपाठ को तूल देने का प्रयास किया जा रहा, जबकि उसमें गांधी जी आजादी का नायक बताया गया है.
यह है पूरा मामला:मध्यप्रदेश के देवास के कवि देव कृष्ण व्यास ने पिछले दिनों गुजरात के राजकोट में हुए एक आयोजन में जिस कविता का पाठ किया. वह कविता उन्होंने आज़ादी के अमृत महोत्सव के मौके पर ही लिखी थी. कविता का शीर्षक ही है - आज़ादी की दुल्हन अपनी हुई 75 साल की. कविता की जिन पंक्तियों पर विवाद हुआ है, उनमें कवि अघोषित रूप से महात्मा गांधी को (Gandhi Poetry Controversy) संबोधित करते हुए कहते हैं पूछ रहा हूं बापू तुमसे ऐसी मन में ठानी क्यों, एक हठधर्मी था जिन्ना तो उसकी बातें मानी क्यों, आजादी के नायक थे तुम, कैसे खलनायक जीत गए. चरखा- चरखा करते थे सब, जब जरुरत पड़ी मशाल की, आज़ादी की दुल्हन अपनी हुई 75 साल की. कविता के ही एक दूसरे हिस्से में वे कहते हैं सुभाष का उपहास उड़ाया और नेहरू से मोह किया. कविता में एक जगह कवि लिखते हैं, गांधी जी के अनुयायी सब रघुपति राघव गाते थे बिगुल बजाना था जिनको मिलकर बीन बजाते थे. राजकोट से वायरल हुई कविता की इन पंक्तियों पर अब देशभर में बवाल मचा है. कहा जा रहा है कि कवि ने केवल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ही नहीं, उनमें आस्था रखने वाली बड़ी आबादी का भी अपमान किया है.
इन पंक्तियों से उठा विवाद :राजगुरु सुखदेव भगत सिंह फांसी का फंदा याद हमें
तुष्टिकरण की राजनीति का गोरखधंधा याद हमें
भारत मां का था बंटवारा हमें अभी तक खलता है
कितना अत्याचार हुआ था सुनकर खून उबलता है.
लाशों के ऊपर प्रधान प्रतिष्ठा हुई जवाहर लाल की
सुभाष का उपहास उड़ाया और नेहरू से मोह किया
आज़ाद हिंद हो सारा अपना सेना ने विद्रोह किया
गांधी जी के अनुयायी सब रघुपति राघव गाते थे
बिगुल बजाना था जिनको मिलकर बीन बजाते थे.
चरखा चरखा करते थे सब,जब जरुरत पड़ी मशाल की