भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति 2021 में भी दो बुजुर्ग नेताओं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के इर्द-गिर्द ही घूमती रही. नए प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को लेकर लगातार कयासों का बाजार गरम होता रहा, लेकिन ना प्रदेशाध्यक्ष बदला गया और न ही नेता प्रतिपक्ष. (digvijay kamalnath politics 2021)दोनों ही पदों पर कमलनाथ ही बने रहे. इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी अपनी बयानबाजी और सियासी कद को लेकर चर्चाओं के केंद्र में रहे. कांग्रेस ने इस दौरान उपचुनाव का सामना भी किया, जिसमें उसे नफा कम नुकसान ज्यादा हुआ.
मोदी और शिवराज पर कमलनाथ के हमले कम नहीं हुए उपचुनाव में कांग्रेस 2-2 की बराबरी पर रही
2012 में विधानसभा के चार और एक लोकसभा का उपचुनाव हुआ. जिसमें विधानसभा की चार में से 2 सीटें कांग्रेस और 2 बीजेपी ने जीती. रैगांव और दमोह विधानसभा सीट कांग्रेस ने भाजपा से छीनी, तो पृथ्वीपुर और जोबट सीट बीजेपी ने कांग्रेस से छीनकर अपना कब्जा जमाया. खंडवा लोकसभा सीट पर बीजेपी ने जीत दर्जकर कांग्रेस को फिर पटखनी दी. इस सीट को लेकर कांग्रेस की गुटबाजी और अंतरकलह के चलते पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव ने ऐन चुनाव के पहले अपना नाम उम्मीदवारी से वापस ले लिया था. उसके बाद चुनाव प्रचार के दौरान भी अरुण यादव की निष्क्रियता जगजाहिर रही.
सॉफ्ट हिंदुत्व के सहारे सत्ता तक पहुंचने की मंशा! एक और विधायक ने कांग्रेस छोड़ी
खंडवा लोकसभा उपचुनाव से पहले ही 24 अक्टूबर को बड़वाह विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभा में बीजेपी में शामिल होने की घोषणा कर दी. इससे पहले भी कांग्रेस के विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं. पिछले साल गोविंद सिंह राजपूत,प्रद्युम्न सिंह तोमर,इमरती देवी,तुलसीराम सिलावट,प्रभुराम चौधरी,महेंद्र सिंह सिसोदिया(सभी मंत्री), विधायकों में हरदीप सिंह डंग,जसपाल सिंह जज्जी,राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव,ओपीएस भदोरिया,मुन्नालाल गोयल,रघुराज सिंह कंसाना, कमलेश जाटव,बृजेंद्र सिंह यादव,सुरेश धाकड़,गिरराज दंडोतिया,रक्षा संतराम सिरोनिया,रणवीर जाटव,जसवंत जाटव,मनोज चौधरी,बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना ने कांग्रेस छोड़ी थी.
कमलनाथ काबिज रहे दोनों पदों पर
पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ इस साल भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पीसीसी चीफ(mp congress year ender 2021) दोनों पदों पर काबिज रहे. दोनों पदों में एक पद छोड़े जाने को लेकर साल भर कयास लगाए जाते रहे, लेकिन ये केवल कयास ही साबित हुए. नेता प्रतिपक्ष और पीसीसी चीफ के लिए दावेदारों की सूची भी लगातार मीडिया की सुर्खियां बनती रहीं. यहां तक कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष और सलाहकार बनाए जाने की खबरें भी आईं. लेकिन कमलनाथ ने मध्य प्रदेश ना छोड़ने का ऐलान कर इन खबरों का खंडन कर दिया.
प्रियंका दतिया में थीं, तो कमलनाथ निकल गए भोलेनाथ के दरबार नवंबर से शुरु हुआ सदस्यता अभियान
कांग्रेस ने 1 नवंबर से सदस्यता अभियान शुरु किया. कमलनाथ ने एमपी में 50 लाख सदस्य बनाए जाने का लक्ष्य दिया. संगठन प्रभारियों के मुताबिक दिसंबर तक कांग्रेस ने आधा लक्ष्य पार कर लिया है. लगातार कांग्रेस के पदाधिकारी और अनुषांगिक संगठनों द्वारा कांग्रेस की सदस्यता के फार्म भराए जा रहे हैं.
कमलनाथ ने साफ कर दिया, मैं रहूंगा तो एमपी में ही बाल कांग्रेस का गठन
कमलनाथ ने 14 नवंबर को बाल कांग्रेस की स्थापना की. अपनी विचारधारा को मजबूती प्रदान करने को लेकर कांग्रेस ने अब मध्यप्रदेश में बाल कांग्रेस के रूप में एक नया प्रयोग किया है. जिसके जरिए वह आरएसएस की शाखा का माकूल जवाब दे सके. बाल कांग्रेस के जरिए ऐसी नई पीढ़ी को तैयार करने का मंसूबा है, जो आने वाले समय में पार्टी को कैडरबेस पार्टी के तौर पर मजबूत कर सके. इसमें 16 से 20 वर्ष के बालक-बालिकाओं को शामिल किया जाना है. इसमें उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी जिनका परिवार पहले से कांग्रेस की विचारधारा से जुड़ा रहा है.
कांग्रेस नेताओं का गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मिलना
साल 2021 में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं की गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से सियासी मुलाकात चर्चा में रही. कांग्रेस के(mp congress 2021 ) वरिष्ठ नेता अजय सिंह राहुल की दो बार नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात ने अजय सिंह के भाजपा में जाने की खबरों को बल दिया. हालांकि अजय सिंह ने इसे केवल सौजन्य मुलाकात बताया. इसके अलावा विधानसभा में कांग्रेस सचेतक और पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात की. इन मुलाकातों से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में इनके मायने निकाले जाते रहे.
बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ बुलंद रखी आवाज दिग्विजय सिंह रहे चर्चा में
2021 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह चर्चाओं के केंद्र में रहे. मध्य प्रदेश में गद्दार कौन को लेकर दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच जुबानी जंग हुई. इसके साथ ही घुटना तोड़ पॉलिटिक्स के चलते भी दिग्विजय सिंह चर्चाओं में रहे. बीजेपी के विधायक और पूर्व प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने कांग्रेसियों के घुटने तोड़ने का बयान दिया था. जिस पर दिग्विजय सिंह ने चुनौती स्वीकर करते हुए कहा था वे 24 नवंबर को उनके घर आ रहे हैं. हिम्मत हो तो घुटने तोड़कर दिखाएं. इसके बाद दिग्विजय ने रामेश्वर शर्मा के घर की तरफ कूच किया, लेकिन उन्हें पुलिस ने जाने से रोक दिया.
मोदी के सबसे बड़े आलोचक की भूमिका में रहे दिग्विजय कांग्रेस में एक बार दिग्विजिय सिंह का सियासी कद बढ़ाया गया. सितंबर 2021 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को राष्ट्रीय मुद्दों पर होने वाले आंदोलन की योजना बनाने के लिए गठित समिति का अध्यक्ष बनाया गया. इस समिति में महासचिव प्रियंका गांधी बतौर सदस्य शामिल की गई. इसके साथ ही कांग्रेस के जनजागरण अभियान का प्रभारी भी दिग्विजय सिंह को बनाया गया. इन दोनों नियुक्ति के बाद ये चर्चा रही कि दिग्विजय सिंह को मध्य प्रदेश से दूर कर दिया गया है.
कांग्रेस की आदिवासी राजनीति
कांग्रेस ने आदिवासियों की राजनीति के तहत इस साल आदिवासी अधिकार यात्रा शुरु की. कमलनाथ ने बड़वानी में इस यात्रा में हिस्सा लिया. दरअसल मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं. कांग्रेस ने भाजपा के भोपाल में बिरसा मुंडा जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी के आने को लेकर बिरसा मुंडा की जयंती पर जबलपुर आदिवासी सम्मेलन किया.
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पंचायत चुनाव और ओबीसी आरक्षण की राजनीति
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने पंचायत में ओबीसी आरक्षण को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अब ये चुनाव स्थगित करने की स्थिति में आ गए हैं. दरअसल ओबीसी समुदाय की आबादी करीब 50 प्रतिशत है. 2019 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने ओबीसी के 14 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया तो कोर्ट ने तत्काल इस पर रोक लगा दी थी. अब पंचायत चुनाव में बिना ओबीसी आरक्षण के ना कराए जाने का संकल्प विधानसभा मे सर्वसम्मति से पास कराया गया.