भोपाल।मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की इकाई आर्थिक मामले में आत्मनिर्भर होना चाहती है. यही कारण है कि उसने समर्पण निधि के तहत डेढ़ सौ करोड़ का टारगेट तय किया है. यह लक्ष्य हासिल करना पार्टी की राज्य इकाई के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, इसीलिए पार्टी ने अब तमाम विधायकों, सांसदों से लेकर मंत्रियों तक के लिए लक्ष्य तय कर दिया है. प्रदेश में बीजेपी जहां अपना स्वरूप बदलने में लगी है, तो वहीं कई तरह की चुनौतियों का सामना करने की भी तैयारी कर रही है. इसकी वजह भी है, क्योंकि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजे उसे बड़ी सीख देने वाले रहे हैं. यह बात अलग है कि लगभग डेढ़ साल बाद सत्ता में बीजेपी की वापसी हुई, मगर यह वापसी पार्टी के लिए उत्साह भरने वाली नहीं है. यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनाव से लगभग डेढ़ साल पहले ही पार्टी संगठन ने आगामी चुनाव के लिए कमर कसना शुरू कर दिया है.
10 गुना समर्पण निधि जोड़ने का लक्ष्य
बीजेपी की राज्य इकाई ने जहां जमीनी स्तर पर नए कार्यकतार्ओं को जोड़ने के लिए बूथ विस्तारक अभियान चलाया. इसके जरिए अपने खाटी कार्यकर्ता से लेकर अन्य लोगों तक पहुंचने की कोशिश की, तो अब पार्टी आर्थिक तौर पर मजबूती की दिशा में कदम बढ़ा रही है. पार्टी ने बीते सालों के लक्ष्य से लगभग 10 गुना समर्पण निधि इस बार जोड़ने का लक्ष्य तय किया है. इतना बड़ा लक्ष्य किसी भी राजनीतिक दल की राज्य इकाई के लिए आसान नहीं है. सूत्रों की माने तो बीजेपी ने अपने समर्पण निधि अभियान के पहले ही दिन सात करोड़ रुपए की राशि जोड़ ली थी, मगर उसके बाद उसी तरह की जमीनी रिपोर्ट पार्टी के पास तक नहीं आई हैं. जिसकी अपेक्षा पार्टी लेकर चल रही थी. इसका बड़ा कारण पार्टी के प्रमुख नेताओं का इस अभियान को अपेक्षा के अनुरुप साथ न मिला माना जा रहा है. यह बात पार्टी की प्रमुख नेताओं के बीच हुई बैठक में सामने भी आई, परिणामस्वरुप अब पार्टी ने विधायक, मंत्री और सांसद के लिए विशेष अभियान की तारीख तय की है.