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OBC आरक्षण से निकाय चुनाव कराने वाला पहला राज्य बना मध्यप्रदेश, फिर भी रिजर्वेशन से नाराज है ओबीसी वर्ग, जानें वजह

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण देने के साथ चुनाव कराने को मंजूरी दे दी है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक न हो. कोर्ट के फैसले के बाद नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के साथ निकाय चुनाव करवाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है. (Body elections due to OBC reservation in MP) ( OBC disappointed reservation)

Body elections due to OBC reservation in MP
OBC आरक्षण से निकाय चुनाव कराने वाला पहला राज्य बना मध्यप्रदेश

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Published : May 19, 2022, 11:41 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को शिवराज सरकार को बड़ी राहत देते हुए अब मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ ही चुनाव कराने के निर्देश जारी किये हैं. फैसले के बाद नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह (Urban Development Minister Bhupendra Singh) ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने जो आदेश दिया है, उसमें बहुत बड़ी सफलता सरकार को मिली है. ओबीसी आरक्षण के साथ निकाय चुनाव करवाने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य बन गया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक न हो. देखा जाए तो ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व कई सीटों पर घटेगा. बीजेपी भले ही कह रही हो की हमने जो संकल्प लिया था कि हम बगैर ओबीसी आरक्षण के चुनाव नहीं कराएंगे, हमारी जीत हुई. ओबीसी के लिए सीटों का प्रतिनिधित्व कम होगा.

आरक्षण की अधिसूचना जारी करने के निर्देश :सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को एक हफ्ते में निकायवार आरक्षण की अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिये हैं. इसके एक सप्ताह में राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की घोषणा करने की बात कही है. कोर्ट ने साफ कहा कि चुनाव हर हाल में होंगे. उन्हें किसी भी कीमत पर टाला नहीं जाएगा. बता दें कि मप्र की शिवराज सरकार ने एप्लीकेशन फार मॉडिफिकेशन के माध्यम से बिना ओबीसी आरक्षण के ही पंचायत चुनाव कराए जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.

24 मई तक आएगी आरक्षण की रिपोर्ट:आयोग ने दोनों ही चुनाव जून माह में करा लेने का ऐलान किया है. कोर्ट के आदेश के ​हिसाब से 24 मई तक चुनाव के आरक्षण की रिपोर्ट आ जाएगी और 31 मई तक चुनाव घोषित हो जाएंगे. कोर्ट का आदेश आने के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग ने बैठक बुलाई. इसमें निकायवार आरक्षण की रिपोर्ट को लेकर चर्चा की गई. कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि ओबीसी आरक्षण पर पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट अहम है. यदि रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती दी जाती है तो इसे ऑन मेरिट देखा जाएगा. सर्वोच्च न्यायालय ने 2022 के परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने की मांग मान ली है. यानी पंचायत चुनाव 2022 के परिसीमन नगरीय चुनाव 2020 के हिसाब से माने जाएंगे.

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जानिये क्या होता है ट्रिपल टेस्ट?: आरक्षण की व्यवस्था में तब्दीली से पहले चलाई जाने वाली ट्रिपल-टेस्ट (Triple test) प्रक्रिया के तहत तीन चीजें होती हैं.अनुच्छेद 243 डी (6) और 243 टी (6) के तहत स्थानीय निकायों में ओबीसी वर्ग के पिछड़ेपन की प्रकृति और पहचान की जांच के लिए राज्य आयोग बनाए. आयोग निकायवार आरक्षण का पुनरीक्षण करना. आरक्षण के प्रतिशत में परिवर्तन इस तरह से की जाए कि सभी श्रेणियों के कुल आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत से अधिक न होने पाए.

751 जनपद सदस्यों को मिलेगा आरक्षण: पंचायत चुनाव में पहले ओबीसी के 13 जिला पंचायत अध्यक्ष होते थे, लेकिन अब मात्र 4 होंगे. वहीं पहले 56 जनपद अध्यक्ष होते थे, अब 30 होंगे. 180 जिला पंचायत सदस्यों की जगह 102 सदस्य होंगे. 1270 जनपद सदस्य की जगह 751 को आरक्षण मिलेगा. मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग के पहले 4295 सरपंच होते थे अब 2985 होंगे. कोर्ट के फैसले के बाद नगर निगम 16 है, जिनमें 26 फीसदी ओबीसी आबादी है और उन्हें 4 सीटें मिलेंगी. पहले 14 पर चुनाव हुआ था, 2 सीटें मिली थी.

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