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लॉकडाउन में कलयुगी मां ने बेटी के लिए दरवाजा किया बंद, जानिए पूरा मामला

भोपाल फैमिली कोर्ट से बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां एक महिला ने अपनी चार साल की बच्ची को ही घर में बुलाने से इंकार कर दिया है. हालांकि बाद में काउंसल सरिता रजानी के काफी समझाने के बाद मां ने बेटी को घर में अंदर बुलाया.

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भोपाल न्यूज

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Published : May 14, 2020, 5:07 PM IST

भोपाल।लॉकडाउन के चलते इस वक्त सभी लोग अपने-अपने घरों में है. कई लोगों के रिश्तों में बनी दूरियां कम हो रही है, तो कई मामले ऐसे भी आ रहे हैं. जो हैरान कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला भोपाल फैमिली कोर्ट से सामने आया है. जहां एक कलयुगी मां ने लॉकडाउन में अपनी 4 साल की बच्ची के लिए घर के दरवाजे बंद कर दिए. जिसके बाद काउंसलर सरिता रजानी की समाझाइश के बाद ही मां ने बेटी को फिर से घर के अंदर बुलाया इसी मसले काउंसल सरिता रजानी ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

सरिता रजानी, काउंसलर

काउंसलर सरिता रजानी ने बताया कि महिला अपने पति की कम कमाई से परेशान थी और ससुर से मिल रही आर्थिक सहायता से भी असंतुष्ट थी. जिससे दोनों पति-पत्नी के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था. उन्होंने बताया कि महिला के पति को एक महीने में केवल 7 हजार रुपए मिलते थे. जबकि उसके ससुर उसे हर माह घर खर्च के लिए 10 हजार रुपये देते थे. लेकिन महिला ने इससे ज्यादा पैसों की मांग की, जिसे उसके ससुर ने ठुकरा दिया.

पति और बच्ची को नहीं आने दिया घर के अंदर

पति-पत्नी में हुई लड़ाई के बाद महिला अपनी 4 साल की बच्ची को छोड़कर मायके आ गई. घरवालों ने सोचा कि महिला एक-दो दिन की नाराजगी के बाद वापस आ जाएगी. लेकिन महिला ने ससुराल वापस ना जाने की ठान ली. इस बीच उसकी बच्ची को तेज बुखार आया और वो मां के पास जाने की जिद करने लगी. जब महिला का पति बच्ची को लेकर उसके घर पहुंचा तो महिला ने घर के दरवाजे नहीं खोले. तेज बुखार में बच्ची रोती रही लेकिन उसे अपनी ही बेटी पर तरस नहीं आया. इसी बीच बच्ची की तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई, जिससे मामला फैमिली कोर्ट में पहुंच गया.

मामले की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई, जहां काउंसलर सरिता रजानी की समझाइश के बाद भी महिला मानने को तैयार नहीं थी. आखिकार बच्चे को मां से मिलवाने के लिए पुलिस की मदद लेनी पड़ी. क्योंकि लॉकडाउन में बच्ची को मां के पास ले जाना मुश्किल हो रहा था. काउंसलर ने पुलिस की मदद से बच्ची को मां के घर तो भेजा. लेकिन मां ने बच्ची के लिए दरवाजे नहीं खोले. काउंसलर ने बताया तकरीबन 6 बार काउंसलिंग की गई. तब कही जाकर महिला ने अपनी बेटी घर के अंदर आने दिया.

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