भोपाल। तत्कालीन शिवराज सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना को कमलनाथ सरकार में सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने बेकार बताया है. उनका मानना है कि यह योजना बेकार है, क्योंकि इसमें पैसों की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है. यह योजना कमलनाथ सरकार में भी संचालित की जा रही है, लेकिन इसी सरकार के ही मंत्री का यह बयान विपक्ष को सरकार पर हमलावर होने का मौके दे सकता है.
मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना को मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने बताया 'बेकार' कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह तीर्थ दर्शन योजना को सरकार के पैसे की फिजूलखर्ची बताया है. पिछले कुछ दिनों से लगातार तीर्थ दर्शन योजना को बंद करने की अटकलें लगाई जा रही थी, क्योंकि तीर्थ दर्शन योजना के तहत जाने वाली ट्रेनों को एक दिन पहले ही बिना किसी सूचना के रद्द कर दिया गया है. हालांकि इसे टेक्निकल दिक्कत बताया गया है, लेकिन कमलनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गोविंद सिंह ने बयान देते हुए कहा है कि सरकार के पैसे से इस तरह की यात्राएं नहीं होनी चाहिए मैं इसके पक्ष में नहीं हूं, हालांकि योजना को बंद करना और चालू रखना सरकार का काम है.
तीर्थ दर्शन योजना को बंद करने के लिए सरकार की ओर से अभी कोई विचार नहीं किया गया है लेकिन मंत्री गोविंद सिंह का व्यक्तिगत मत है कि धार्मिक कार्यक्रम करना यह सरकार का काम नहीं है. सरकार के खर्च पर जो तीर्थ यात्राएं कराई जा रही है मैं इसके पक्ष में नहीं हूं, उन्होंने कहा कि जब आदमी मेहनत करता है और अपनी मेहनत के पैसे से यात्रा करता है तो भगवान खुश हो जाते हैं, लेकिन शासन के पैसे से और गरीब जनता के विकास कार्यों को रोककर तीर्थ दर्शन के लिए ट्रेन की ट्रेन भेजना ठीक नहीं है, उन्होंने कहा कि इस पैसे का उपयोग प्रदेश के मूलभूत विकास में किया जाना चाहिए. तीर्थ दर्शन यात्रा चलाना मेरे मत में ठीक नहीं है. इसलिए मैं इस योजना को बंद करने के विषय में पक्षधर हूं.
क्या है मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना
'मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना' को साल 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा सरकार के नेतृत्व में 60 साल और उससे अधिक उम्र के गैर-आयकर दाताओं के लिए शुरू किया था. योजना का लाभ उठाने के लिए महिलाओं की आयु 62 वर्ष तय की गई है. इस योजना के अंतर्गत 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को देश के विभिन्न तीर्थ स्थानों पर तीर्थ यात्रा करायी जाती है और उनकी इस यात्रा के दौरान होने वाले पूरे खर्च राज्य सरकार वहन करती है.