भोपाल। एमबीए चायवाला यह नाम तो आपने सुना ही होगा. दुनिया भर में इसी नाम से अपनी चाय की दुकान खोलने वाले प्रफुल्ल बिल्लोरे (MBA Chay Wala Prafull Billore) भोपाल पहुंचे. यूथ पंचायत में शामिल होने आए प्रफुल्ल ने इस दौरान ईटीवी भारत से भी खास बातचीत की. प्रफुल्ल ने कहा कि जिंदगी का मतलब निराश होना नहीं है. आज के युवा जरा सी बात पर निराश हो जाते हैं और डाउनफॉल के समय निराशा से जीते हैं. कोई भी काम शुरू करते हैं उसमें अगर निराशा हाथ लगती है तो पीछे हट जाते हैं. लेकिन प्रफुल्ल का मानना है कि सारे समय में एक जैसा जीना चाहिए. तो जीत आपकी होगी.
ढाई साल ठेला पर बेची चाय: देश में कई ऐसे चाय बेचने वाले हैं, जिनका खूब नाम है. लेकिन नाम के साथ पैसा भी हो, तो क्या ही कहना. प्रफुल्ल बिल्लोरे भी उन्हीं लोगों में से हैं जिन्होंने संघर्षों से जूझते हुए अपना मुकाम हासिल किया. प्रफुल्ल मूल रूप से धार के रहने वाले हैं और दुनिया भर में अभी तक 125 से अधिक अपने कियोस्क खोल चुके हैं. प्रफुल्ल ने बताया कि एमबीए की पढ़ाई करने के बाद वह कुछ करना चाहते थे. जब कुछ काम नहीं मिल रहा था तो 8000 से चाय का ठेला लगाया. पिता से 15000 लिए वह भी कुछ दूसरे कोर्स के नाम पर. ढाई साल ठेला चलाया. ऐसे में कई बातें लोगों की सुनने को भी मिली. लोग इज्जत नहीं देते थे, मजाक उड़ाते थे, लेकिन मैंने अपने आप को साबित किया. काम के साथ-साथ अपना नाम कमाया. लोग क्या बोलेंगे, समाज क्या बोलेगा, यह कभी नहीं सोचा.
ईटीवी पर देखता था सबसे ज्यादा खबरें: अपने इंटरव्यू में प्रफुल्ल ने सबसे पहले ईटीवी भारत को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि ''जब वह छोटे थे तो ईटीवी पर ही सबसे ज्यादा खबरें देखा करते थे. प्रफुल्ल कहते हैं कि हमारे देश में डिग्निटी ऑफ लेबर को लेकर काफी भ्रांतियां हैं. हम क्या करेंगे, हम अगर यह काम शुरू करते हैं और उसके बाद पीछे हो जाते हैं तो क्या होगा. यह तमाम बातें सामने आती हैं लेकिन इससे ऊपर निकलने की जरूरत है''.