मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / city

खतरनाक है MP में टिड्डी दल का हमला, अब तक करोड़ों का नुकसान

कोरोना संक्रमण से जूझ रहे मध्यप्रदेश के लिए टिड्डी दल बड़ा सिरदर्द बन गया है, पाकिस्तान के रास्ते भारत में दाखिल हुआ टिड्डी दल अब मध्यप्रदेश में तबाही मचा रहा है, जिसने महज एक हफ्ते के अंदर ही हजारों हेक्टेयर फसलों को बर्बाद कर दिया है.

locust party attack
टिड्डी दल का टेरर

By

Published : May 30, 2020, 4:51 PM IST

पाकिस्तान के रास्ते भारत में दाखिल हुए टिड्डी दल ने कोरोना वायरस से जूझ रहे मध्यप्रदेश की परेशानियां और बढ़ा दी है, जहां तेजी से सक्रिय हुए टिड्डी दल ने महज एक हफ्ते के अंदर ही कई हेक्टेयर फसलों को बर्बाद कर दिया. राजस्थान से होते हुए मध्य प्रदेश में घुसे टिड्डियों के दल ने अब तक प्रदेश के 28 जिलों को अपनी चपेट में लिया है. प्रदेश में अब तक सब्जी और फल की आठ हजार करोड़ की फसल बर्बाद होने का अनुमान है.

टिड्डी दल का टेरर

टिड्डी दल से सबस ज्यादा प्रभावित राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र में 200 टिड्डी सर्कल ऑफिस बनाए गए हैं. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 47 हजार हेक्टयर जमीन पर 303 लोकेशन पर कीटनाशक का छिड़काव किया जा चुका है. जिसमें मध्यप्रदेश भी शामिल है. एमपी के मालवा अंचल के नीमच और मंदसौर जिले से मध्यप्रदेश में दाखिल हुआ टिड्डी दल अब मध्य भारत, बुंदेलखंड, विंध्य और ग्वालियर-चंबल अंचल में तबाही मचा रहा है.

टिड्डियों को रोकने के लिए रतजगा कर रहे किसान
टिड्डी दल का आतंक कुछ इस तरह बना है कि किसान रात भर जागकर अपने फसलों की रखवाली कर रहे हैं. कोई थाली पीटकर इन टिड्डियों को भगा रहा है तो कोई पटाखे चलाकर खदेड़ रहा है, आलम ये है कि किसान अपनी बाइक का साइलेंसर निकालकर उससे तेज आवाज कर टिड्डी दल को भगाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि केंद्र और राज्य सरकार की टीमें टिड्डी दल पर नियंत्रण पाने की भरसक कोशिश कर रही हैं, मगर ढाई से तीन किलोमीटर लंबा टिड्डियों का फौज एमपी में तबाही मचा रहा है.

MP में इस तरह तबाही मचा रहा टिड्डी दल
टिड्डियों से सबसे ज्यादा भोपाल, उज्जैन, इंदौर, सागर और ग्वालियर संभाग प्रभावित हैं. यहां हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद होने की आशंका है. खास बात ये है कि मालवा अंचल के इंदौर और उज्जैन संभाग में गर्मी के सीजन में बड़े पैमाने पर सब्जी की फसल लगाई जाती है, जबकि इन दोनों संभागों की सीमा राजस्थान से लगती है. यही वजह है की टिड्डी दल ने इन्हीं संभागों के नीमच और मंदसौर जिले से प्रदेश में एंट्री की है. जिससे यहां नुकसान सबसे ज्यादा हो रहा है. भोपाल, सागर और ग्वालियर संभाग भी टिड्डी दल के हमले से परेशान है.

7-8 हजार करोड़ के नुकसान की आशंका
कृषि जानकारों की मानें तो प्रदेश में तेजी से सक्रिय हुए टिड्डी दल पर अगर जल्द काबू नहीं पाया गया तो एमपी में 7 से 8 हजार करोड़ की फसल का नुकसान होगा, भले ही रबी की फसल कट चुकी है. लेकिन प्रदेश में मूंग, सब्जी और फलों की खेती गर्मी के सीजन में बड़े पैमाने पर होती है, जबकि इस बार कोरोना के चलते अधिकांश फसलें अभी खेतों में लगी हैं. ऐसे में टिड्डी दल इन फसलों को अपना निशाना बना रहे हैं. यही वजह है कि टिड्डी दल से प्रदेश में करोड़ों रुपए के नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है.

MP के ये जिले सबसे ज्यादा प्रभावित
अब तक मप्र के श्योपुर, मंदसौर, नीमच, उज्जैन, रतलाम, देवास, आगर मालवा, रायसेन, नरसिंहपुर, सीहोर, होशंगाबाद, देवास छतरपुर, सतना व ग्वालियर में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. टिड्डी दल कितनी तेजी से फसलों को नष्ट करता है, इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र से सटे बालाघाट जिले में ही टिड्डी दल के हमले से 40 हजार हेक्टेयर फसल बर्बाद होने की आशंका है. बात अगर बुंदेलखंड अंचल की करें तो अकेले दमोह जिले में 50 गांव टिड्डियों के हमले से बुरी तरह प्रभावित है. इसी तरह राजस्थान से सटे श्योपुर जिले में टिड्डी दल ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया है, जहां हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई है.

मूंग, सब्जी और फूलों की खेती हुई प्रभावित

मध्यप्रदेश में टिड्डी दल के हमले से सबसे ज्यादा मूंग, सब्जी और फूलों की खेती प्रभावित हुई है. रायसेन, सीहोर, होशंगाबाद और देवास जिले में मूंग की 80 हजार हेक्टेयर से ज्यादा फसल बर्बाद होने की आशंका है. इसी तरह उज्जैन जिले में 60 प्रतिशत तिल की फसल टिड्डियों ने खराब कर दी. मुरैना, भिंड और दतिया में 25 प्रतिशत से भी ज्यादा सब्जी की फसल बर्बाद हुई है, जबकि राजगढ़ में टिड्डियों ने संतरे की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. प्रदेश में फूलों की खेती भी इस वक्त बड़े पैमाने पर होती है, लेकिन लॉकडाउन की मार से परेशान फूलों की खेती करने वाले किसानों पर टिड्डी दल दोहरी मुसीबत बनकर सामने आया है. अब मध्यप्रदेश में फूलों की 40 से 50 प्रतिशत फसल बर्बाद होने का अनुमान है. जबकि ये आंकड़े बढ़ भी सकते हैं.

किसानों ने सरकार से लगाई मदद की गुहार
टिड्डी दल के हमले से परेशान किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. किसानों का कहना है पहले ही लॉकडाउन से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था, जबकि अब टिड्डियों के हमले से उन्हें करोड़ों रुपए का नुकसान हर दिन हो रहा है. सबसे ज्यादा असर मूंग और सब्जियों पर हुआ है. करोड़ों की संख्या वाला टिड्डी दल देखते ही देखते फसलों को चौपट कर देता है. जिन्हें रोकना मुश्किल है. ऐसे में सरकार को अब किसानों की मदद के लिए पर्याप्त कदम उठाने चाहिए.

MP में 1993 में भी हो चुका है टिड्डी दल का हमला
ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश में टिड्डियों का हमला पहली बार हुआ है, 1992-1993 और 2002 में भी टिड्डियों के इसी तरह के हमले ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया था. उस वक्त भी करोड़ों रुपए की फसल बर्बाद हुई थी. तब प्रशासन की सतर्कता और सावधानी से नुकसान कम हुआ था. उस वक्त हेलीकॉप्टर के जरिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया गया था, लेकिन पर्यावरण को होने वाले नुकसान की आशंका के चलते हेलीकॉप्टर के जरिए कीटनाशक दवाओं के छिड़काव पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इस बार कोरोना संकट के बीच टिड्डी दल के हमले से न तो प्रशासन सर्तक हो पाया और न किसान व्यापक इंतजाम कर सके. जिससे अब तक 28 जिलों में हजारों हेक्टेयर फसल टिड्डियां चट कर गई हैं.

टिड्डी दल पर कृषि विशेषज्ञों की राय
मध्यप्रदेश के कृषि विशेषज्ञ जीएस कौशल ने ईटीवी भारत को बताया कि टिड्डी की लाइफ 3 से 5 महीने की होती है, पर इतने ही समय में टिड्डी दल फसलों और सब्जियों को बड़ा नुकसान पहुंचा देता है. उन्होंने कहा कि चार इंच तक लबे ये टिड्डे हवा और पानी के बहाव की दिशा में चलते है, जहां रुकते हैं, वहां पेड़, पौधों, फसलों को तेजी से चट कर जाते हैं. मध्यप्रदेश में जून माह तक मानसून सक्रिय होता है, जिससे ये टिड्डी दल आने वाले वक्त में और तबाही मचाएगा. इसलिए इन्हें रोकने के लिए अभी से व्यापक उपाय किए जाने जरुरी हैं.

प्रदेश सरकार भी उठा रही टिड्डियों को रोकने के लिए जरुरी कदम
टिड्डियों के लगातार बढ़ते प्रकोप पर अब प्रदेश की शिवराज सरकार भी सर्तक हो गई है, कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि टिड्डियों के मामले में हाई लेवल मीटिंग्स हो रही है. केंद्र सरकार की चार टीमें भी टिड्डियों से निपटने में मदद कर रही हैं, इसके आलावा जिले लेवल पर टीमों का गठन किया गया है, जिसमें कृषि, पुलिस और वन विभाग के कर्मचारी शामिल हैं. टिड्डियों को रोकने के लिए कीटनाशक दवाओं का भी प्रयोग फॉयर बिग्रेड की मदद से किया जा रहा है. कमल पटेल ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भी टिड्डी दल से हुए नुकसान का डिटेल बताया गया है.

भारत में अब तक टिड्डियों का हमला
भारत में पहले भी टिड्डी दल हमला करते रहे हैं, जिसके चलते देश में टिड्डी चेतावनी संगठन की स्थापना 1946 में की गई थी. 1926 से 1931 के बीच भारत में टि्ड्डी दल के हमले से 10 करोड़ का नुकसान हुआ था. इसी तरह 1940 से 46 और 1949 से 55 के दौरान दो बार टिड्डी दल ने हमला किया, जबकि 1993 में हुए टिड्डी दल के हमले में भी देश का करोड़ों रुपए नुकसान हुआ था.

90 के दशक में टिड्डी दल ने एमपी में किया था बहुत नुकसान

बात अगर मध्यप्रदेश की करें तो 1992 और 93 में टिड्डी दल ने प्रदेश में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था. प्रदेश के कृषि विभाग के मुताबिक उस वक्त प्रदेश में भारी नुकसान हुआ था. वो भी तब जब प्रशासन पहले से सर्तक था. इस बार जिस तरह से प्रदेश में टिड्डी दल ने हमला किया है. वो किसानों की परेशानी बढ़ा रहा है. खास बात ये है कि पाकिस्तान से आया टिड्डी दल दो भागों में बंट गया है. जो अलग-अलग झुंड में हमला कर रहा है. ऐसे में टिड्डी दल को खदेड़ने के बाद भी वापसी की संभावना बनी रहती है. जिससे किसानों की परेशानियां बढ़ गयी हैं. एमपी में अभी टिड्डियों का आतंक जारी है, लिहाजा नुकसान के आंकलन के लिए सर्वे का काम अभी शुरु नहीं हुआ है. साथ ही प्रशासनिक अमला भी कोरोना से जंग लड़ रहा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details