भोपाल / जबलपुर। कोरोना काल के दौरान कई बच्चों के माता-पिता या अभिभावकों की मौत हो गई है. ऐसे बच्चों की देखरेख कौन करेगा, ये एक बड़ा सवाल है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि कोरोना महामारी से देश में जो बच्चे अनाथ हो गए हैं, उनकी भरण-पोषण और पढ़ाई-लिखाई का जिम्मा राज्य सरकारों पर हैं.
तोशी के माता-पिता को कोरोना ने छीन लिया
कोरोना संक्रमण महामारी ने मासूम बच्चों से माता-पिता का साया छीन लिया है. ऐसे बच्चों के भविष्य को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. जबलपुर के नर्सिंग नगर में रहने वाला नायडू परिवार पर भी कोरोना का कहर टूटा. 2021 की कोरोना लहर ने पहले 12 साल की तोशी के पिता को अपनी चपेट लिया. इसके बाद मां भी कोरोना की शिकार हो गई. 19 मई को तोशी की मां को कोरोना ने निगल लिया. चार दिन बाद तोशी के पिता भी कोरोना से जंग हार गए.
खुद भी पढूंगी, भाई को भी पढ़ाऊंगी
आठवीं क्लास में पढ़ने वाली 12 साल की मासूम तोशी पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी है. वो कहती है कि वो खूब पढ़ेगी, उसका भाई भी अच्छे स्कूल में पढ़ेगा. 12 साल की बच्ची और उसका छोटा भाई अपने चाचा-चाची के साथ रह रहे हैं. खेलने की उम्र में तोशी कहती है कि वो जल्द से जल्द अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है. अभी जिला प्रशासन की तरफ से तोषी और उसके छोटे भाई को 5-5 हजार रु हर महीने पेंशन मिल रही है.
मदद करने वालों की भी कमी नहीं
तोषी की चाची बताती हैं कि सिर से अचानक माता-पिता का साया उठ जाना बच्चों के लिए बड़ा सदमा है. मासूम बच्चों के ये खेलने कूदने के दिन थे, लेकिन कुदरत ने उन पर बड़ा जुल्म किया है. ईटीवी भारत की पहल पर जबलपुर के समाजसेवी भी मासूम की मदद के लिए आगे आ रहे हैं. समाजसेवी सुधीर दुबे ने भरोसा दिलाया है कि दोनों बच्चों के लिए जो भी हो सकेगा, वो करेंगे.
देश भर में 30 हजार बच्चे हुए अनाथ
कोरोना महामारी की पहली लहर से देश भर में अनाथ होने वाले बच्चों के बारे में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)ने सोमवार को शीर्ष अदालत में आंकड़ा पेश किया. NCPCR ने कोर्ट को बताया कि पांच जून तक राज्यों से मिले आंकड़ों के मुताबिक कोरोना महामारी की वजह से देश भर में कम से कम 30,071 बच्चे अनाथ हुए हैं.आयोग का कहना है कि यह आंकड़ा और बढ़ सकता है .अनाथ हुए बच्चों में ज्यादातर की उम्र 0-13 साल के बीच है.