भोपाल। जाएं तो जाएं कहां. समझेगा कौन यहां दर्द भरे कोरोना मरीजों की जुबां. यह लाइनें राजधानी के बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिट बैठ रही है. अभी दो दिन पहले ही ईटीवी भारत ने प्रमुखता से बताया था कि पांच घंटे की मशक्कत के बाद एक कोरोना मरीज को हाॅस्पिटल में इलाज मिल पाया था. सोचा था शायद व्यवस्था में बदलाव आएगा.लेकिन वही ढाक के तीन पात.
ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में अस्पताल फेल
राज्य में कई जगहों से शिकायतें आई हैं कि कोरोना मरीजों को सही समय पर इलाज नहीं मिल रहा है. कई जगहों पर ऑक्सीजन और बेड को लेकर हंगामे की खबरें भी आईं. ग्वालियर के एक अस्पताल में तो मौत के बाद कोरोना मरीज की डेड बॉडी तक कहीं गुम हो गई. हमारे संवाददाता ने शहर के सभी दस कोरोन हाॅस्पिटल का जायजा लिया. तो भयाभय तस्वीर सामने आई. उससे ‘डर’ भी डर गया.हालात ऐसे, कि आधे से ज्यादा हाॅस्पिटल के तो फोन ही अटेंड नहीं हुए. बाकी ने कहा हाॅस्पिटल में जगह नहीं, कहीं और देखें.
अस्पतालों की भूलभुलैया, कोई फोन नहीं उठाता, कोई बैरंग लौटाता हेल्पलाइन भी बदहाल, ईटीवी भारत के पास ऑडियो रिकॉर्डिंग
कोरोना मरीजों के लिए शुरू की गई हेल्पलाइन भी बदहाल मिली. हेल्पलाइन से टका-सा जवाब मिला.नंबर लेकर खुद पता कर लें. एक हाॅस्पिटल का जो नंबर दिया, वह भी गलत निकला. ई-टीवी भारत की पड़ताल में सरकार के बेहतर इलाज के तमाम दावों की पोल खुल गई. ईटीवी भारत के पास इन सभी की ऑडियो रिकाॅर्डिंग मौजूद है.
हाॅस्पिटल के नंबर ही नहीं लगे, कुछ ने उठाए नहीं
- कोरोना मरीजों के इलाज के लिए भोपाल के हाॅस्पिटल में बेड की उपलब्धता के सरकारी दावों की हकीकत जानने के लिए ई-टीवी भारत ने 10 हाॅस्पिटल्स में एक-एक करके काॅल किया. इनमें भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एम्स से लेकर जाने-माने पांच कोविड अस्पताल भी शामिल हैं. इनमें से 7 हाॅस्पिटल में तो बार-बार काॅल करने के बाद भी काॅल अटेंड ही नहीं हुई.
- प्राइवेट हॉस्पिटल नंबर 1 - हाॅस्पिटल के अलग-अलग छह नंबरों पर काॅल किया गया, लेकिन किसी भी नंबर पर काॅल नहीं नहीं हो सका.
- प्राइवेट हॉस्पिटल नंबर 2- हाॅस्पिटल के मोबाइल नंबर पर करीब आधे घंटे तक कई बार काॅल किया गया, लेकिन नंबर हमेशा बिजी मिला.
- प्राइवेट हॉस्पिटल नंबर 3- हाॅस्पिटल के नंबर पर कई बार काॅल किया, लेकिन हर बार नंबर बिजी मिला. अस्पताल के दूसरे नंबरों पर कई बार काॅल किए गए, लेकिन नंबर नहीं उठाया गया.
- सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल - शहर के सबसे बड़े हाॅस्पिटल के हाल भी बेहाल हैं. हाॅस्पिटल के मोबाइल नंबरों पर कई बार काॅल किए , लेकिन काॅल अटेंड ही नहीं हुआ.
- जिला अस्पताल के हाल - शहर के जिला हाॅस्पिटल के नंबर पर काॅल किया, तो मोबाइल बंद मिला.
मेडिकल काॅलेज का भी यही हाल - मेडिकल काॅलेज के लैंडलाइन नंबर पर भी कई बार काॅल किए , लेकिन किसी ने काॅल अटेंड नहीं की.
तीन हाॅस्पिटल से बात हुई, बोले ‘नो रूम’, दूसरे हाॅस्पिटल ले जाएं
- ईटीवी भारत ने तीन और अस्पतालों में कॉल किया. इन पर बात भी हुई. लेकिन जवाब मिला ऑक्सीजन बेड ही उपलब्ध नहीं हैं.
- एक और सरकारी हाॅस्पिटल के लैंडलाइन नंबर पर काॅल किया तो जवाब मिला, कि भेल के मरीज होंगे तभी हाॅस्पिटल में एडमिट किया जाएगा. आप मरीज को दूसरे हाॅस्पिटल ले जाएं. बाहर के मरीज नहीं लिए जाएंगे.
- एक और निजी अस्पताल के लैंडलाइन नंबर पर काॅल किया, तो जवाब मिला कि ऑक्सीजन बेड उपलब्ध नहीं हैं. हमने पूछा, कहां ले जाएं. जवाब मिला- सरकारी में ले जाओ.
- एक और हाॅस्पिटल के लेंडलाइन नंबर पर काॅल किया, तो बताया गया कि एक भी बेड उपलब्ध नहीं है.
उज्जैन:कोरोना कर्फ्यू बना मजाक, शादी की शॉपिंग के लिए बाजारों में उमड़ी भीड़
हेल्पलाइन पर जवाब मिला नंबर लेकर खुद पता कर लें
राजधानी भोपाल में कोरोना मरीजों के लिए बेड्स की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने हेल्पलाइन नंबर 2704225 और 2704201 जारी किए हैं. इन नंबर पर काॅल कर मरीज के लिए ऑक्सीजन बेड के बारे में पूछा, तो जवाब मिला नंबर लेकर खुद पता कर लें. बेड की उपलब्धता जानने एक सरकारी अस्पताल का मोबाइल नंबर दिया गया, यह नंबर ही गलत मिला. फोन एक शख्स ने उठाया और रॉन्ग नंबर बोलकर रख दिया.