भोपाल।देश में जल बंटवारे को लेकर कई राज्यों में विवाद की स्थिति बनी रहती है. मध्य प्रदेश भी इस तरह के विवाद से अछूता नहीं है. यहां केन बेतवा परियोजना ते तहत पानी को बंटवारे को लेकर उत्तर प्रदेश से विवाद था. सरदार सरोवर डैम से बिजली उत्पादन और पानी के बंटवारे को लेकर मध्यप्रदेश और गुजरात के बीच विवाद की स्थिति बनी रहती है. इसके अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान के बीच नर्मदा जल के बंटवारे पर विवाद रहता है.
विवाद की फाइल बंद! केन-बेतवा के मिलन से बुंदेलखंड होगा 'मालामाल'
केन बेतवा परियोजना :उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच केन बेतवा परियोजना से पानी के बंटवारे को लेकर 15 साल तक दोनों राज्यों के बीच विवाद चला. बाद में पीएमओ की दो बार हुई मध्यस्थता के बाद दोनों राज्यो ने आपसी सहमति बनाई. इस परियोजना से नंवबर से अप्रैल के बीच मध्य प्रदेश को 1,834 मिलियन क्यूबिक मीटर व यूपी को 750 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा. लगभग 35 हज़ार करोड़ रुपए की लागत की इस परियोजना में 90% राशि केंद्र सरकार ने दी थी, जबकि शेष 5-5% की हिस्सेदारी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश की है. इस योजना से सागर-विदिशा समेत एमपी के आठ जिलों को पानी मिलेगा.
क्या है केन-बेतवा लिंक परियोजना ? :
- 2005 में केन बेतवा लिंक परियोजना की बुनियाद रखी गई थी. यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नदी जोड़ने की योजना का संकल्प था.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में लगभग 44,605 करोड़ की परियोजना का समय निर्धारण करते हुए इसे 8 साल में पूरा करने का निर्णय लिया गया है.
- मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके मेंं बरसों से पानी की कमी रही है.केन बेतवा लिंक परियोजना के पूरे होने पर लगभग 8 लाख 11हजार हेक्टेयर में कृषि सिंचाई का रकबा बढ़ेगा.
- मध्य प्रदेश में 62 लाख व्यक्तियों को पीने के शुद्ध जल के साथ ही 126 मेगावाट बिजली मिलेगी.
- वर्तमान में लगभग प्रदेश में 42 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा है.केन -बेतवा लिंक परियोजना के पूरे होने पर कृषि का रकबा 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर बढ़ जाएगा.