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मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर उमा भारती सक्रिय होने के दे रही हैं संकेत, पढ़िए कैसे...

उमा भारती मध्य प्रदेश की सियासत की वो धुरी हैं, जिन्होंने अपने दम पर साल 2003 में दिग्विजय सिंह की सरकार को उखाड़ फेंका था. ये अलग बात है कि वो प्रदेश की ज्यादा दिन तक मुख्यमंत्री नहीं रह सकीं. उमा भारती को इसका मलाल आज तक है, जिसे वो हाल में दर्शा चुकी हैं. ऐसे में 2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दीदी सक्रिय होती नज़र आ रही हैं. कैसे, पढ़िए...

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Published : Feb 23, 2022, 9:35 AM IST

Updated : Feb 23, 2022, 10:27 AM IST

Madhya Pradesh politics Uma Bharti preparing to be active in MP politics again
मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर उमा भारती सक्रिय होने के दे रही हैं संकेत

भोपाल । भारतीय जनता पार्टी की फायर ब्रांड नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती आज भले ही प्रदेश की सियासत में हाशिए पर हैं, लेकिन उनके वर्तमान तौर तरीके कुछ और कह रहे हैं. उमा भारती एक बार फिर अपने गृह राज्य में सियासी तौर पर सक्रिय होने की तैयारी में हैं. इसके लिए वे शराबबंदी के अभियान को बड़ा हथियार बनाने वाली हैं और उसके आसरे राज्य की सियासत में अपनी खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करने की कावयद में जुट गई हैं. यह बात अलग है कि वे तीन बार तारीखों का ऐलान कर चुकी हैं, मगर यह अभियान अब तक शुरू नहीं हो पाया है.

वर्ष 2003 में भाजपा को सत्ता में लाने का श्रेय उमा भारती को है
राज्य में वर्ष 2003 में भाजपा को सत्ता में लाने का श्रेय उमा भारती को जाता है, यही कारण है कि मुख्यमंत्री भी बनी थीं मगर हुबली की एक अदालत के फैसले के चलते वे ज्यादा दिन तक इस पद पर नहीं रह पाई थीं. बाद में उन्होंने दोबारा मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की, परंतु उनकी यह कोशिश पूरी नहीं हुई.

2023 के विधानसभा चुनाव के पहले सियासी जमीन तलाशतीं उमा भारती
आगे चलकर उमा भारती ने भाजपा छोड़कर भारतीय जनशक्ति पार्टी भी बनाई, यह पार्टी सियासी तौर पर ज्यादा ताकतवर नहीं बन पाई तो बाद में उनकी भाजपा में वापसी हुई. भाजपा में वे वापस तो आ गईं, मगर उनका गृह राज्य ही उनके हाथ से निकल गया और उन्हें उत्तर प्रदेश से लोकसभा व विधानसभा का चुनाव लड़ाया गया. अब एक बार फिर उन्होंने अपने गृह राज्य में वर्ष 2023 के विधानसभा और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जमीन तलाशना शुरू कर दी है.

यूपी विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने नहीं किया उपयोग
उत्तर प्रदेश के विधानसभा के चुनाव में भी पार्टी ने उनका ज्यादा उपयोग नहीं किया, तो गृह राज्य में भी उन्हें ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है. अब एक बार फिर वे अपने गृह राज्य की तरफ रुख करने के संकेत दे रही हैं. वहीं, बुंदेलखंड को योजनाएं दिलाने का श्रेय न मिलने का उन्हें अफसोस भी है. छतरपुर में केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में उनका दर्द भी बाहर आ गया, उन्होंने यहां तक कह दिया- "काम मैं करती हूं और क्रेडिट किसी और को मिल जाता है सरकार मैं बनाती हूं मगर चलाता कोई और है".

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तीन बार शराबबंदी के अभियान की तारीख का ऐलान, अब तक नहीं हुआ शुरू
उमा भारती तीन बार राज्य में शराबबंदी के अभियान की तारीख का ऐलान कर चुकी हैं, मगर यह अब तक शुरू नहीं हो पाया है। इस अभियान को लेकर कांग्रेस की ओर से लगातार हमले होते रहे हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा- " प्रश्न था क्या मैं शराबबंदी की बात करके शिवराज जी को शर्मिदा करके क्या मैं उनको बैकफुट पर ला रही हूं? मेरा उत्तर यह था- शिवराज को शर्मिंदा करने से शराबबंदी नहीं होगी. मैं तो आपस की बातचीत से ही समाधान निकाल कर कई बार इस मामले में बैकफुट पर जाकर शर्मिदा हो जाती हूं".

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अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उमा भारती ने कहा, "शराबबंदी कोई बैकफुट या फ्रंटफुट क्रिकेट का खेल नहीं है बल्कि करोड़ों लोगों की जीवन रक्षा एवं महिलाओं की जीवन रक्षा का मुद्दा है. मैं इसे अपने अहंकार का मुद्दा नहीं बनाऊंगी, किंतु मध्यप्रदेश में शराबबंदी करवा के रहूंगी".

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उमा भारती के करीबियों का कहना है कि राज्य में उनके समर्थक हर तरफ हैं और राज्य में भाजपा की सत्ता होने के बाद भी उन्हें सियासी तौर पर वह महत्व हासिल नहीं दिया जा रहा है, जिसके वे हकदार हैं. लिहाजा उमा भारती राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ अपना प्रभाव दिखाना चाहती हैं, ताकि आगामी समय में होने वाले पंचायत, नगरीय निकाय और विधानसभा चुनाव में अपने समर्थकों को उम्मीदवार बनवाने में सफल हो सकें.

Last Updated : Feb 23, 2022, 10:27 AM IST

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