भोपाल/बालाघाट। मध्यप्रदेश में नक्सल लाल आतंक एक बार फिर पैर पसार रहा है. हाल ही के दिनों में सामने आईं घटनाएं इस बात का ताजा सबूत हैं कि नक्सली एक बार फिर मध्यप्रदेश के जंगलों को अपना सुरक्षित ठिकाना बना रहे हैं. बालाघाट और डिंडौरी जिले करीब 8 साल बाद एक बार फिर नक्सल गतिविधियों का केन्द्र बनते जा रहे हैं. लेवी वसूलने का मामला हो या दहशत फैलाने के लिए जंगलों में पोस्टर, बैनर लगाना और पर्चे बांटना. बीते कुछ महीनों में ऐसी घटनाएं लगातार सामने आई हैं. गृह मंत्रालय ने भी डिंडौरी को एक बार फिर नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शामिल कर चुका है. पुलिस मुख्यालय से भी यहां हॉक फोर्स तैनात करने की मांग की गई है.
मध्यप्रदेश में फिर सिर उठा रहा है 'लाल आतंक' नक्सल प्रभावित जिले में शामिल हुआ डिंडौरी
साल 2013 तक डिंडौरी मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल था. हालांकि इसके बाद पुलिस की सख्ती और हॉकफोर्स की तैनाती के बाद माओवादी घटनाओं में कमी आई थी. जिसके बाद डिंडौरी को नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से बाहर कर दिया गया था, लेकिन एक बार फिर गृह मंत्रालय ने इसे वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई-लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज्म इफेक्टेड डिस्ट्रिक्ट ) नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल किया गया है. जिले में बढ़ती नक्सल गतिविधियों को देखते हुए जिला पुलिस ने पुलिस मुख्यालय से हॉकफोर्स की तैनाती सहित नक्सलियों से मुकाबले के लिए तमाम संसाधन उपलब्ध कराए जाने की मांग की है.जिसे गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मंजूरी भी दे दी है.
मध्यप्रदेश में फिर सिर उठा रहा है 'लाल आतंक' मध्य प्रदेश के 8 जिले माने जाते हैं नक्सल प्रभावित
पुलिस को पिछले एक साल से सूचना मिल रही है नक्सली एमपी में फिर से अपना वर्चस्व कायम करना चाहते हैं. हाल ही में ऐसी कुछ घटनाएं भी सामने आई हैं. मध्य प्रदेश में नक्सली गतिविधियों और उनके छुपने के लिए उपयुक्त भौगोलिक दृष्टि से शासन ने 8 जिलों को नक्सल प्रभावित माना है. इनमें बालाघाट, सीधी, सिंगरौली, मंडला, डिंडौरी, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया शामिल हैं. जिनमें बालाघाट और डिंडौरी के बाद सिंगरौली ही सर्वाधिक नक्सल प्रभावित माना जाता है. नक्सिलयों के एक बार फिर प्रदेश में सिर उठाने की घटनाओं को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता विभा पटेल ने आरोप लगाया है कि बीजेपी सरकार में कानून व्यवस्था कमजोर हुई है, यही वजह है कि नक्सल गतिविधियां बढ़ने लगी हैं.
मध्यप्रदेश में फिर सिर उठा रहा है 'लाल आतंक' ये हैं कुछ ताजा घटनाएं
30 जून 2021-नक्सलियों ने मुखबिरी के शक में एक व्यक्ति की गोली मारकर की हत्या.इसके साथ ही पर्चे भी फेंके जिनपर लिखा था ,कि जनता को परेशान करने वालों और मुखबिरों का यही हाल होगा.
31 मई 2021 -आठ दिन में दूसरी बार नक्सलियों ने तेंदूपत्ता में लगाई आग,किरनापुर के जोधिटोला में सामने आई वारदात.मलाजखंड और टांडा दलम के नक्सलियों ने घटना को अंजाम दिया.
22 मई 2021 - नक्सलियों ने तेंदूपत्ता संग्राहकों को कम राशि देने की बात कहकर लाखों रुपये के तेंदूपत्ता में आग लगा दी थी. घटना पाथरी पुलिस चौकी अंतर्गत कन्दई गांव की बताई जा रही है.
9 मार्च 2021-बालाघाट पुलिस को मलकुआं के जंगल में 14 लाख के इनामी नक्सली मोतीराम धुर्वे को गिरफ्तार किया.
1 फरवरी 2021 -बालाघाटजिले के लांजी क्षेत्र मे सड़क निर्माण कार्य में लगे सीमेंट से भरे ट्रक और दो ट्रैक्टरों को आग के हवाले कर दिया.
बालाघाट-पिछले दिनों जब्त किए गए 5 करोड़ रुपए के नकली नोट मामले को भी नक्सली लिंक से जोड़कर देखा जा रहा है।
मंडला और डिंडौरी बना नक्सलियों का नया सेल्टर
- छत्तीसगढ़ से सटे होने की वजह से डिंडौरी में नक्सल गतिविधियां बढ़ रही हैं. डिंडौरी, मंडला के उत्तर पूर्व में है और यहां भी छत्तीसगढ़ की सीमा लगती है. भौगोलिक स्थितियों और सघन जंगली एरिया होने के चलते डिंडौरी और मंडला में नक्सलियों की सक्रियता बढ़ी है.
- 2018 तक मध्यप्रदेश का सिर्फ एक बालाघाट ही नक्सल प्रभावित जिला माना जाता था.
- बीते कुछ सालों में बालाघाट के अलावा मंडला और डिंडौरी में नक्सलियों ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं.
- पुलिस को लगातार इस बात का इंटेलीजेंस इनपुट मिला रहा है कि पडोसी राज्य छत्तीसगढ़ में वारदात करने के बाद नक्सली एमपी के मंडला और डिंडौरी में सेल्टर ले रहे हैं.
- गृहमंत्रालय ने डिंडौरी को फिर से नक्सल प्रभावित सूची में शामिल किया है.
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छह राज्यों के आठ जिलों को नक्सली गतिविधियों के मामले में संवेदनशील माना है, इसमें से एक जिला डिंडौरी है.
- बालाघाट जिले को प्रदेश का सबसे ज्यादा प्रभावित जिला माना गया है.
क्या है 'लाल आतंक' से निपटने की सरकार की तैयारी
- पिछले करीब 6 माह से एसएएफ की कई कंपनियां इन जिलों के जंगली इलाकों में डेरा डाले हुए हैं.
- जंगलो में लगातार सर्चिंग की जा रही है.
- केन्द्र सरकार जिले में सुरक्षा और क्षेत्र के विकास के लिए अतिरक्त फंड दिए जाने की बात कह चुकी है.
- मध्य प्रदेश सरकार भी जिले में हॉकफोर्स की तैनाती करने पर जल्द ही कोई फैसला ले सकती है.
नक्सलियों द्वारा अंजाम दी गईं बड़ी घटनाएं
बीते 4 दशक से बालाघाट में लाल आतंक आदिवासी अंचलों में अपनी पैठ बनाए हुए है. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमाओं पर घने जंगलों के फायदा उठाकर आसानी से दोनों राज्यों में आनाजाना करते रहते हैं. बालाघाट जिले मे पिछले चार दशक में यूं तो कई छोटी बड़ी वारदातें हुईं हैं, लेकिन 90 से 2000 तक के दशक में नक्सली यहां अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं.
- मंत्री की घर में घुसकर की थी निर्मम हत्या - 16 दिसम्बर 1999 को दिग्विजय सिंह सरकार में परिवहन मंत्री रहे लिखीराम कांवरे की उनके किरनापुर स्थित घर में घुसकर नक्सलियों ने निर्मम हत्या कर दी थी.
- बालाघाट के हट्टा वन क्षेत्र में मुठभेड़ के दौरान डीएसपी अजय बंसल की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी.
- 2008 में मलाजखण्ड स्थित कापर की खदान में उपयोग किया जाने वाला बारूद से भरा ट्रक नक्सलियों ने लूट लिया था.
- पिछले 4 दशक के दौरान नक्सलियों ने यहां पर तकरीबन 142 लोगों को मुखबिरी सहित दूसरे कारणों से मौत के घाट उतार दिया है.
- नक्सल गतिविधियों को रोकने और मुठभेड़ के दौरान 38 से ज्यादा पुलिस के जवान भी शहीद हुए हैं. वहीं जिले में एक बार फिर इन घटनाओं को अंजाम देने वाले मलाजखण्ड टाडा दलम की सक्रियता ज्यादा दिखाई देने लगी है.