सागर।मानसून के मौसम में प्रदेश (madhya-pradesh) के एक हिस्से में हुई जरूरत से ज्यादा बारिश किसानों (farmer )के लिए मुसीबत बनी थी वहीं दूसरे कई जिलों में हुई कम बारिश सूखे (drought situation ) के संकेत दे रही है. कम बारिश (less rainfall )के कारण प्रदेश के बड़े हिस्से को सूखे (drought-situation ) के भीषण संकट का सामना करना पड़ सकता है. हालात ये हैं कि प्रदेश के बुंदेलखंड, बघेलखंड और महाकौशल के कुछ जिलों में तो हालात अभी से खराब हो गए हैं. सामान्य से भी कम हुई वर्षा से इन इलाकों में सूखे के हालात बन रहे हैं. रबी सीजन की फसल की सिंचाई के लिए किसानों के सामने पानी का संकट खड़ा हो गया है. केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री (minister Prahalad Patel ) प्रह्लाद पटेल भी किसानों (farmer used less water crop ) को कम पानी फसलों और बीजों का चयन करने की सलाह दे चुके हैं.
सरकार की सलाह कम पानी वाली फसलें बोएं
बुंदेलखंड, बघेलखंड और महाकौशल के कम वर्षा के कारण कुएं खाली पड़े हुए हैं,नदियों और सिंचाई परियोजनाओं में सिंचाई के लिए पानी का संकट (drought-situation ) है. इन हालातों को देखकर कृषि विभाग किसानों (farmer used less water crop )को कम सिंचाई वाली फसलें बोने की सलाह दे रहा है,तो दूसरी तरफ सरकार ने सीधे तौर पर किसानों से कह दिया है कि ऐसी फसल की बुवाई करें, जिसमें कम पानी की जरूरत पड़े. खास बात यह है कि अभी प्रदेश में सर्दी का मौसम है और इस मौसम में ही पानी कमी लोगों के लिए परेशानियां खड़ी कर रही है. किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है वहीं पीने के पानी का भी संकट है ऐसे में गर्मी के मौसम में पानी को लेकर हाहाकार की स्थिति बन सकती है. कृषि विभाग के उपसंचालक बीएल मालवीय का कहना है कि इस साल रबी की फसल के लिए सिंचाई का संकट(drought-situation ) बनेगा. किसानों को सिंचाई के उपलब्ध साधनों के आधार पर बीज का चयन करना चाहिए.
पूर्वी मध्य प्रदेश में सूखे के आसार
मौसम विभाग के आंकड़ों पर गौर करें,तो मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में सूखे की आहट (drought-situation )सुनाई देने लगी है. एक जून 2021 से 30 सितंबर 2021 तक प्रदेश के कई जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है.
- बुंदेलखंड, बघेलखंड और महाकौशल के सिर्फ 3 जिले ऐसे हैं,जहां सामान्य से 60 फ़ीसदी ज्यादा बारिश हुई है.
- 8 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से 20 से 60 फीसदी बारिश हुई है.
- प्रदेश के 31 जिलों में सामान्य बारिश हुई है, लेकिन इनमें ज्यादातर जिले ऐसे हैं, जिनमें सामान्य से 19% तक कम बारिश दर्ज की गई है.
- बुंदेलखंड,बघेलखंड और महाकौशल के 9 जिले ऐसे हैं जहां सूखे का संकट सामने खड़ा दिख रहा है.
- इन इलाकों में सामान्य से 20% से लेकर 60% तक कम बारिश दर्ज की गई है.
संकट में 'रबी का रकबा'
प्रदेश में हुई बारिश के आंकड़ों से साफ है कि आगामी रबी फसल की सिंचाई के लिए किसानों को पानी के संकट का सामना करना पड़ेगा. अल्प वर्षा के कारण कुओं में पानी नहीं है. नदियों का जलस्तर कम है और सिंचाई परियोजना भी पानी के संकट से जूझ रही हैं. इन हालातों में किसानों (farmer )के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई देने लगी हैं. रबी सीजन में किसान गेहूं,चना,मसूर, अलसी, सरसों की खेती कर रहा है, लेकिन इन फसलों के लिए जरूरी सिंचाई के लिए पानी (farmer used less water crop) की स्थिति बेहद कमजोर है.
madhya pradesh में drought की आहट कई जिलों में सामान्य बारिश भी नहीं हुई
-1 जून 2021 से 30 सितंबर 2021 तक पूर्वी मध्य प्रदेश में औसत से 15 फ़ीसदी कम वर्षा दर्ज की गई, वहीं पश्चिमी मध्य प्रदेश में औसत से 15 फीसदी अधिक वर्षा दर्ज की गई.
-छतरपुर, पन्ना, दमोह, कटनी, जबलपुर,सिवनी, बालाघाट,धार और होशंगाबाद ऐसे जिले हैं,जहां सामान्य वर्षा भी नहीं हुई. इन जिलों में सामान्य से 20% से लेकर 60% तक बारिश दर्ज की गई है.
- श्योपुर, शिवपुरी और गुना सिर्फ 3 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से 60 फ़ीसदी से भी अधिक बरसात दर्ज की गई.
-नीमच,आगर मालवा,राजगढ़,शाजापुर,अशोक नगर,विदिशा, भिंड और सिंगरौली जिलों में सामान्य से 20% से लेकर 59% तक ज्यादा बारिश दर्ज की गई.
कई जिलों में सिर्फ सामान्य बारिश दर्ज हुई
हालांकि मौसम विभाग सामान्य वर्षा के आंकड़े में 20% से कम वर्षा और 20% से ज्यादा वर्षा को सामान्य वर्षा में मानता है. विभाग के आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश के ज्यादातर जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से 20 फीसदी कम वर्षा दर्ज हुई है. इनमें मंदसौर, रतलाम, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, उज्जैन, इंदौर, खरगोन, देवास, खंडवा, बुरहानपुर, हरदा, सीहोर, भोपाल, रायसेन, बैतूल, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, सागर,टीकमगढ़, मुरैना,ग्वालियर, दतिया, सतना, रीवा, सीधी, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, मंडला और डिंडोरी हैं.
सरकार ने भी हाथ खड़े किए
बारिश के आंकड़ों से साफ है कि कुछ ही जिले हैं, जहां सामान्य से अधिक वर्षा हुई है जबकि ज्यादातर जिलों में सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई है. ऐसी स्थिति में जब रबी की फसल की सिंचाई के लिए पानी (drought-situation )का संकट है, तो गर्मी में पेयजल का संकट (drought-situation )भी गहरा सकता है. पिछले दिनों सागर के दौरे पर पहुंचे केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल (minister Prahalad Patel ) ने भी साफ कर दिया है किसानों को फसल की सिंचाई के लिए नहरों के भरोसे नहीं रहना चाहिए. इस बार कम वर्षा के कारण नहरों की स्थिति चिंताजनक है.इसलिए किसानों को ऐसी फसलें (farmer used less water crop) बोने और ऐसे बीज का चयन करना चाहिए जिसमें कम पानी की जरूरत हो.