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National Education Policy 2020: MP में प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रमों के लिए तैयार हो रहा है ई-कंटेंट, 10 नवंबर तक एक हजार से अधिक मॉड्यूल होंगे उपलब्ध

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर ई-कंटेंट उपलब्ध कराने वाला मध्य प्रदेश संभवत देश का पहला राज्य होगा. 17 विषयों पर तैयार किया रहा है ई-कंटेंट.

Madhya Pradesh is preparing e-content for first year courses according to National Education Policy 2020
मध्य प्रदेश में प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रमों के लिए तैयार हो रहा है ई-कंटेंट

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Published : Oct 11, 2021, 8:21 AM IST

भोपाल। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) के तहत प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रमों के लिए प्रथम चरण में सभी संकायों के 17 मुख्य विषयों का ई-कंटेंट (e-content) तैयार किया जा रहा है.

10 नवंबर तक एक हजार से अधिक मॉड्यूल होंगे तैयार

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव (Higher Education Minister Dr. Mohan Yadav) ने बताया कि 10 नवंबर तक एक हजार से अधिक ई-कंटेंट मॉडल तैयार किए जाने की कार्य-योजना है. प्रथम वर्ष के लिए लगभग 1500 मॉड्यूल्स के ई-कंटेंट तैयार करने का लक्ष्य है. द्वितीय चरण में कुछ अन्य विषयों पर भी कंटेंट तैयार किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर ई-कंटेंट उपलब्ध कराने वाला मध्यप्रदेश संभवत देश का पहला राज्य होगा.

किताबों के अलावा पढ़ाई के लिए ई-मटेरियल भी उपलब्ध होगा

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश के महाविद्यालयों में विद्यार्थियों को कोर्स की किताबों के अलावा पढ़ाई के लिए ई-मटेरियल भी उपलब्ध होगा. ऑनलाइन माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसके संपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं. डॉ. यादव ने कहा कि तैयार किए जा रहे कंटेंट विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियम अनुसार वीडियो व्याख्यान, ई-टेक्स्ट, मूल्यांकन के प्रश्न तथा अन्य विषय-वस्तु के संदर्भ उपलब्ध होंगे.

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बता दें कि मध्य प्रदेश के शासकीय, अशासकीय विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के नियमित शिक्षकों, अतिथि विद्वानों द्वारा यह कार्य नि:शुल्क किया जा रहा है. इस कार्य के लिए लगभग 1400 शिक्षकों से आवेदन प्राप्त हुए. इन शिक्षकों के लिए सात बैंचों में 6 दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया गया. इसमें कुल 1056 शिक्षकों को सफलतापूर्वक एफडीपी पूर्ण करने पर प्रमाण-पत्र जारी किया गया.

17 विषयों पर तैयार हो रहा ई-कंटेंट

विभिन्न चयनित शिक्षकों को 17 विषयों वनस्पति शास्त्र, प्राणी शास्त्र, रसायन शास्त्र, भौतिक शास्त्र, गणित, संस्कृत, अंग्रेजी साहित्य, आधार पाठ्यक्रम, राजनीति विज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास, भू-गर्भ शास्त्र, हिंदी, वाणिज्य, टेक्सटाइल तथा क्लॉथिंग पाठ्यक्रमों का मॉड्यूल वार विभाजन कर कंटेंट तैयार करने का कार्य सौंपा गया है. शेष विषयों में शिक्षकों की संख्या कम होने के कारण फिर से आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे. इसके अलावा मुख्य तथा अन्य विषयों के साथ वैकल्पिक विषयों पर भी ई-कंटेंट तैयार किया जा रहा है. व्यवसायिक विषयों के पाठ्यक्रम उपलब्ध होने पर उनके भी ई-कंटेंट तैयार किए जाएंगे.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : भारतीय उच्च शिक्षा के भविष्य का पुनर्निर्माण

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रमुख विशेषताएं:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के खास बिंदु:

  • 2030 तक ईसीसीई से माध्यमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण, एसडीजी-4 के साथ संरेखित करना
  • 2025 तक नेशनल मिशन के माध्यम से फाउंडेशनल लर्निंग एंड न्यूमेरिस स्किल को बनाए रखना
  • 2030 तक प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक 100% जीईआर
  • स्कूल से वंचित रहने वाले 2 करोड़ से ज्यादा बच्चों को वापस लाना
  • 2023 तक मूल्यांकन सुधारों के लिए तैयार किए जाने वाले शिक्षक
  • 2030 तक समावेशी और न्याय संगत शिक्षा प्रणाली
  • मुख्य अवधारणाओं और ज्ञान के अनुप्रयोग का परीक्षण करने के लिए बोर्ड परीक्षा
  • हर बच्चा कम से कम एक स्किल में स्कूल से बाहर निकलेगा
  • सार्वजनिक और निजी स्कूलों में सीखने के सामान्य मानक

स्कूली शिक्षा में प्रमुख सुधार:

  • ईसीई, स्कूल, शिक्षकों और वयस्क शिक्षा के लिए नई शिक्षा नीति की रूपरेखा
  • ज्ञान परीक्षा के आधार पर बोर्ड परीक्षा लो स्टेक होगी
  • कम से कम ग्रेड 5 या माध्यमिक तक यानी अधिकतम कक्षा 8 तक मातृभाषा/क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा का निर्देश
  • बच्चे को 360 डिग्री समग्र प्रगति कार्ड
  • छात्रों के सीखने और उसके परिणामों को ट्रैक करने का निर्देश
  • राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र- परख
  • हाइयर एजुकेशन में प्रवेश परीक्षा के लिए एनटीए को पेशकश
  • शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक
  • बुक प्रमोशन पॉलिसी और डिजिटल लाइब्रेरी
  • सार्वजनिक ऑनलाइन निरीक्षण और जवाबदेही के लिए पारदर्शी

उच्च शिक्षा में प्रमुख सुधार:

  • 2035 तक 50% सकल नामांकन अनुपात
  • समग्र और बहु-विषयक शिक्षा- ऐक्छिक विषय का चयन
  • एक से अधिक प्रवेश/निकास
  • यूजी प्रोग्राम - 3 या 4 वर्ष
  • पीजी प्रोग्राम - 1 या 2 वर्ष
  • एकीकृत 5 वर्षीय स्नातक / मास्टर
  • एम फिल को बंद किया जाना है
  • क्रेडिट ट्रांसफर और अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट
  • HEIs: गहन अनुसंधान / गहन शिक्षण विश्वविद्यालयों और स्वायत्त डिग्री अनुदान महाविद्यालय
  • मॉडल बहु-विषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय (MERU) (प्रत्येक जिले में या उसके पास)

स्नातक की स्वायत्तता: शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय:

  • 15 वर्षों में संबद्धता प्रणाली को चरणबद्ध करना
  • मेंटरिंग पर राष्ट्रीय मिशन
  • स्वतंत्र बोर्ड ऑफ गवर्नर्स
  • उच्च शिक्षा के लिए एकल नियामक (कानूनी और चिकित्सा को छोड़कर)
  • निरीक्षणों के स्थान पर स्वीकृतियों के लिए ऑन-लाइन स्व प्रमाणित आधारित पारदर्शी प्रणाली
  • सार्वजनिक और निजी एचईए के लिए सामान्य मानदंड
  • निजी परोपकारी भागीदारी
  • व्यापक नियामक ढांचे के भीतर शुल्क निर्धारण
  • शिक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश जल्द से जल्द सकल घरेलू उत्पाद का 6% तक पहुंचना
  • नेशनल रिसर्च फाउंडेशन
  • शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण
  • व्यावसायिक, शिक्षक और व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण
  • नई गुणवत्ता एचईआई की स्थापना को आसान बनाया गया
  • स्टैंडअलोन एचईआई और व्यावसायिक शिक्षा संस्थान बहु-विषयक में विकसित होंगे
  • वंचित क्षेत्रों के लिए विशेष शिक्षा क्षेत्र
  • पाली, फारसी और प्राकृत के लिए राष्ट्रीय संस्थान
  • राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया गया

बता दें कि 34 साल बाद आई नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं. अब तक छात्र कॉलेज में फिजिक्स के साथ केमिस्ट्री, मैथ्स ही पढ़ सकते थे, लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत छात्र अब फिजिक्स के साथ फैशन डिजाइनिंग और केमिस्ट्री के साथ म्यूजिक भी पढ़ सकेंगे.पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के शासनकाल में 1985 में शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया था. इसके अगले वर्ष राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई थी.

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